भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

केंद्रीय बजट ने दिखाई विकास की आस… चुनावी वर्ष में मप्र का बजट होगा खास

भोपाल। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन में केंद्र सरकार को जो बजट पेश किया है उसमें सभी वर्गों को साधने के साथ ही विकास पर फोकस किया गया है। केंद्रीय बजट से यह संकेत मिल गया है कि चुनावी वर्ष में मप्र का बजट भी खास होगा। चुनावी वर्ष होने के कारण इसमें सभी वर्गों को साधने के जतन भी होंगे। इसकी तैयारी वित्त विभाग ने प्रारंभ कर दी है। वित्त विभाग ने सभी 55 विभागों से बजट की प्लानिंग मंगा है। प्रयास यही रहेगा कि केंद्रीय योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाया जाए ताकि राज्य बजट का अधिक से अधिक उपयोग सरकार की प्राथमिकता वाली योजनाओं में किया जा सके। नई योजनाएं वे ही शामिल की जाएंगी, जिनके उद्देश्य की पूर्ति किसी अन्य योजना के माध्यम से नहीं हो सकती है।

दरअसल, केंद्रीय बजट के पेश होने के बाद अब राज्य के बजट को अंतिम रूप दिया जाएगा। वित्त विभाग सूबे के अन्य महकमों से प्रस्ताव मंगा चुका है, विभागीय स्तर पर बैठकें लगभग पूरी हो चुकी हैं। अनुमान है कि इस बार राज्य का बजट तीन लाख करोड़ से ज्यादा का होगा। बजट चुनावी भी होगा। सरकार का फोकस सामाजिक क्षेत्रों पर ज्यादा है। समाज के विभिन्न वर्गों को साधने का प्रयास हो रहा है। इसमें युवा, किसान, व्यापारी, महिलाएं सहित अन्य वर्ग शामिल हैं। सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी कई योजनाओं का ऐलान सीएम कर चुके हैं। हाल ही में लाड़ली बहना योजना की घोषणा भी की है। एससी, एसटी सहित ओबीसी वर्ग के लोगों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए स्वरोजगार संबंधी योजनाएं, कार्यक्रम बजट में रहेंगी। सरकार की चिंता है कि राज्य में आय से ज्यादा खर्च है, इसलिए खर्च कम किए जाने का प्रयास किया जा रहा है। चुनावी वर्ष होने से विधायकों की ओर से विकास कार्यों की मांग है। रुके कार्य भी कराए जाने का दबाव है। ऐसे में सरकार को खजाने की चिंता है।


सभी वर्गों को साधने के जतन
चुनावी वर्ष होने के कारण इस बार के बजट में सभी वर्गों को साधने के जतन भी होंगे। इसकी तैयारी वित्त विभाग ने प्रारंभ कर दी है। शिवराज सरकार ने वर्ष 2022-23 का बजट दो लाख 79 हजार 237 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तुत किया था। यह अब तीन लाख करोड़ रुपये तक हो सकता है। राजस्व संग्रहण भी लक्ष्य के आसपास चल रहा है। सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए अनुपयोगी परिसंपत्ति के विक्रय के साथ अन्य माध्यमों से वित्त प्रबंधन करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। लोक निर्माण विभाग ने सड़क परियोजनाओं के लिए पांच सौ करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण लिया है। वहीं, आबकारी नीति के माध्यम से भी राजस्व बढ़ाया जा रहा है। तीन साल बाद रेत खदान नीलाम करने के लिए नीति लार्ई जा रही है। इसके माध्यम से भी राजस्व बढ़ाने का प्रयास होगा। कुल मिलाकर सरकार अपने वित्तीय स्थिति मजबूत करने के साथ केंद्रीय योजनाओं के भरपूर उपयोग की कार्ययोजना पर काम कर रही है। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार से केंद्रीय करों के हिस्से में इस वर्र्ष 64 हजार 107 करोड़ रुपये प्राप्त होने का अनुमान है। वहीं, 44 हजार 595 करोड़ रुपये का सहायता अनुदान मिलना अनुमानित है। इस राशि को प्राप्त करने के लिए लंबित प्रस्तावों को प्राथमिकता पर लेकर स्वीकृत करने के प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं तो सभी विभाग प्रमुखों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने स्तर पर भी केंद्रीय अधिकारियों सेे संवाद बनाकर रखें। इसका लाभ भी प्रदेश को मिल रहा है। कई योजनाओं में प्रदेश का प्रदर्शन देश के अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर है। पूंजीगत व्यय लगातार बढ़ाया जा रहा है। इसे प्रोत्साहन देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अतिरिक्त राशि भी दी गई है। इस वर्ष भी 48 हजार करोड़ रुपये का प्रविधान बजट में किया हैै। चालू वित्तीय वर्ष में सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्र के लिए एक लाख 17 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान है। अब इस क्षेत्र के लिए बजट बढ़ाकर एक लाख 25 हजार करोड़ रुपए किए जाने की संभावना है। अनुसूचित जनजाति उपयोजना के लिए बजट की बात करें तो वर्तमान में यह 26, 941 करोड़ रुपए है, इसे बढ़ाकर तीन हजार करोड़ रुपए से अधिक किया जा रहा है।

सरकार की चिंता खर्च कम करने पर
जानकारी के अनुसार नए वित्तीय वर्ष के लिए बजट तैयार कर रही सरकार की चिंता खर्च कम करने को लेकर है, क्योंकि कमाई से ज्यादा खर्चा है। वेतन-भत्ते और ब्याज भुगतान पर बजट का 48 प्रतिशत हिस्सा खर्च हो जाता है। शेष 52 प्रतिशत विकास कार्य, योजनाओं इत्यादि पर खर्च करने होते हैं। अब सरकार का फोकस खर्चों में कमी को लेकर है। इस पर मंथन चल रहा है। वित्त विभाग ने भी सभी विभागों से खर्चों में कमी करने को कहा है। चालू वित्तीय वर्ष में राज्य का बजट 2.79 लाख करोड़ का है। अब यह बढ़कर 3 लाख करोड़ से ज्यादा होने का अनुमान है। चुनावी वर्ष में अधूरे पड़े विकास कार्यों को समय रहते पूरा करने का दबाव सरकार पर है। योजनाओं के लिए भी बजट की दरकार है। सूत्रों का कहना है कि सरकार का जोर नई योजनाओं की जगह मौजूदा योजनाओं के क्रियान्वयन पर अधिक रहेगा। इसके लिए पर्याप्त वित्तीय प्रविधान भी किए जाएंगे। प्रदेश सरकार का स्थापना व्यय लगातार बढ़ता जा रहा है। कुल बजट का 48 प्रतिशत हिस्सा केवल वेतन-भत्ते, पेंशन और ब्याज अदायगी पर खर्च हो रहा है। अकेले वेतन-भत्ते को देखें तो वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक पचास हजार करोड़ रुपये से अधिक इस पर व्यय होंगे। जो बजट का 26.47 प्रतिशत होता है। वहीं, पेंशन पर बजट का लगभग दस प्रतिशत और ब्याज भुगतान पर 11.36 प्रतिशत व्यय अनुमानित है। आगामी वित्तीय वर्ष में यह व्यय और बढ़ेगा क्योंकि सरकार रिक्त पदों पर भर्तियां करने जा रही है। आगामी वित्तीय वर्ष में कर्मचारियों की वार्षिक वेेतनवृद्धि, महंगाई भत्ता और पेंशनर की महंगाई राहत बढ़ाने के लिए प्रविधान प्रस्तावित करने के निर्देश सभी विभागों को दिए गए हैं। इससेे साफ है कि स्थापना व्यय तो कम हो नहीं सकता है, ऐसे में सरकार के पास विकास कार्यों के लिए अधिक राशि की व्यवस्था करने का एक ही रास्ता है कि स्वयं की आय बढ़ाई जाए।

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