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इस प्रदेश में गुटखा-पान मसाला पर लगा प्रतिबंध, पहले इन राज्यों में भी लगता रहा है बैन

डेस्क: पश्चिम बंगाल सरकार ने तंबाकू या निकोटिन मिले गुटखे, पान मसाला पर प्रतिबंध लगा दिया है. बंगाल सरकार के नियम के मुताबिक, गुटखा, पान मसाला बनाने, रखने और बेचने पर प्रतिबंध होगा. यह नियम 7 नवंबर से प्रभावी होगा और अगले एक साल तक के लिए जारी रहेगा. उसके बाद सरकार इसे आगे बढ़ाने पर विचार करेगी. बंगाल के फूड सेफ्टी कमिश्नर की तरफ से यह आदेश जारी किया गया है.

पश्चिम बंगाल गुटखा पर प्रतिबंध लगाने वाला नया राज्य बन गया है. इससे पहले देश के कई प्रांतों में निकोटिन मिले गुटखे या पान मसाला बेचने पर प्रतिबंध लगते रहे हैं. हालांकि लचर प्रशासनिक कार्रवाई के चलते यह नियम महज कागजों में ही दर्ज है और पनवाड़ी से लेकर बड़े-बड़े दुकानदार ऐसे पान मसाला धड़ल्ले से बेचते हैं. जिन-जिन राज्यों में गुटखा और पान मसाला पर प्रतिबंध रहा है, उनमें उत्तराखंड, बिहार, दिल्ली और यूपी जैसे राज्य हैं. पहले ये प्रतिबंध 1 साल के लिए होते हैं जिन्हें बाद में बढ़ा दिया जाता है.

उत्तराखंड : उत्तराखंड सरकार ने 2019 में गुटखा और पान मसाले पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का फैसला किया. बंगाल की तरह उत्तराखंड का यह प्रतिबंध भी 1 साल के लिए था. लगभग सभी राज्य साल भर के लिए नियम बनाते हैं जिसे बाद में बढ़ा दिया जाता है. उत्तराखंड में निकोटीन युक्त गुटखा, पान मसाला और अन्य किसी भी नाम से बिकने वाले ऐसे खाद्य पदार्थों के निर्माण, भंडारण, वितरण और बिक्री को आदेश के जारी होने से एक साल तक की अवधि के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया.


बिहार : इस कड़ी में उत्तराखंड या बंगाल ही अकेले नाम नहीं हैं जहां ऐसे खाद्य पदार्थों या चबाने वाली चीजों पर प्रतिबंध है. बिहार और झारखंड के साथ दिल्ली और यूपी भी इसमें शामिल हैं. राजस्थान में इस तरह का प्रतिबंध रहा है जिसे बाद में खोल दिया गया. बिहार सरकार ने तो 12 कंपनियों के नाम पर ही प्रतिबंध लगा दिया जिनका उत्पाद बाजारों में नहीं बिकेगा. बिहार में पान मसालों के नमूने लिए गए थे जिनमें खतरनाक मैग्नीशियम कार्बोनेट की मात्रा पाई गई थी. मैग्नीशियम कार्बोनेट दिल से जुड़ी बीमारियां बढ़ाता है. इसे किसी भी खाद्य पदार्थ में मिलाने पर प्रतिबंध है.

झारखंड : कुछ ऐसा ही प्रतिबंध झारखंड में भी है. झारखंड सरकार ने पान मसालों के अलग-अलग ब्रांडों के नमूने में मैग्नीशियम कार्बोनेट पाए जाने के बाद रजनीगंधा, विमल, पान पराग समेत 11 पान मसालों के उत्पादन, भंडारण और बिक्री पर 12 महीने के लिए प्रतिबंध को आगे बढ़ा दिया. इन पान मसालों में रजनीगंधा, विमल, शिखर, पान पराग, दिलरुबा, राजनिवास, सोहरत, मुसाफिर, मधु, बहार, पान पराग प्रीमियम आदि शामिल हैं. गुटखा और पान मसालों पर यह प्रतिबंध अलग-अलग जिलों से मिले नमूनों की जांच में मैग्नीशियम कार्बोनेट की मात्रा पाए जाने के कारण लगाई गई.

राजस्थान : राजस्थान की जहां तक बात है तो वहां पहले गुटखा और पान मसालों पर प्रतिबंध था, लेकिन बाद में उसे हटा लिया गया. कोविड में लॉकडाउन को देखते हुए गुटखा, बीड़ी-सिगरेट, तंबाकू, पान मसाला और पान की बिक्री पर प्रतिबंध था जिसे अब हटा लिया गया है. कोरोना संक्रमण को रोकने और एहतियात बरतने के लिए यह रोक लगाई गई थी जिसे सरकार ने बाद में हटा लिया. हालांकि इसके सेवन को लेकर नियम बहुत सख्त हैं. नियम के मुताबिक, किसी भी सार्वजनिक स्थान पर इन चीजों का सेवन वर्जित है और इसके उल्लंघन पर सजा का प्रावधान है. दिल्ली और यूपी में भी इस तरह के प्रतिबंध देखे जाते हैं. ये प्रतिबंध 1 साल के लिए होते हैं लेकिन बाद में उसे फिर बढ़ा दिया जाता है.

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