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इस दिन है शीतला अष्‍टमी का पावन व्रत, जानें तारीख व मुहूर्त

हिंदु धर्म में धार्मि‍क त्‍यौहारों का बड़ा महत्‍व है हर एक त्‍यौहार व व्रत को बढ़े ही हर्षोल्‍लास और श्रद्वापूर्ण तरीके से मनाया जाता है । हिंदी पंचांग के अनुसार हर साल शीतला (Sheetla Ashtami) अष्टमी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। साल 2021 में शीतला अष्टमी (Sheetla Ashtami) का व्रत इस बार 4 अप्रैल को मनाया जाएगा । इस व्रत को कई जगहों पर बसौड़ा या बसोरा भी कहते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि शीतला अष्टमी (Sheetla Ashtami) के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाना चाहिए।

Sheetala Ashtami शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami ) पूजन शुभ मुहूर्त
शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami ) इस बार 4 अप्रैल (रविवार) को है। अष्टमी तिथि की शुरुआत 4 अप्रैल को तड़के 04.12 बजे से हो रही है। इसका समापन 5 मार्च को तड़के 02.59 बजे होगा। ऐसे में पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त 4 अप्रैल को सुबह 6.08 बजे से शाम 6.41 बजे तक का होगा।

ऐसे में इस दिन शीतला माता (Sheetla Mata) को बासी प्रसाद ही चढ़ाया जाता है। इसके मायने ये हुए कि प्रसाद को एक दिन पहले ही बना लिया जाता है। इस दिन माता को प्रसाद चढ़ाने के बाद खुद भी बासी भोजन करना चाहिए।



शीतला माता (Sheetla Mata) दरअसल शक्ति की देवी मां दुर्गा का एक ही रूप हैं। वे रोगों को हरने वाली देवी हैं। उन्हें चेचक जैसे रोग की देवी भी कहा गया है। वे अपने हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाड़ू) और नीम के पत्ते धारण किए होती हैं और उनकी गर्दभ (गधे) की सवारी है।

ऐसी मान्यता है कि शीतला माता (Sheetla Mata) को ठंडी और मीठी चीजें बहुत प्रिय हैं। इसलिए उन्हें प्रसाद में ठंडी चीजें चढ़ाई जाती है। उनके लिए चावल गुड़ या गन्ने के रस से बनाए जाते हैं। इन्हें चैत्र के कृष्ण पक्ष की सप्तमी की रात को बनाया जाता है।

शीतला अष्टमी (Sheetla Ashtami) व्रत को लेकर ये भी मान्यता है कि इसे करने से परिवार के सदस्यों को त्वचा रोग संबंधी बीमारियां नहीं होती हैं। ये व्रत ऐसे समय आता है जब मौसम बदल रहा होता है। सर्दियों के दिन खत्म होते हैं और गर्मियां आती हैं। इसलिए ऐसा कहते हैं कि इस अष्टमी के बाद बासी खाना नहीं खाया जाना चाहिए।

करें ये उपाय
शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami ) के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि के बाद पूजा की तैयारी करें। इसके लिए थाली में दही, पुआ, रोटी, बाजरा, सप्तमी के दिन बने मीठे चावल आदि रखें। एक दूसरी थाली भी लें। उसमें आटे से बना दीपक, रोली, वस्त्र, अक्षत, हल्दी, मोली, सिक्के और मेहंदी रखें। दोनों थाली में ठंडे पानी का लोटा भी रखें।

इसके बाद शीतला माता (Sheetla Mata) की पूजा करें और दीपक को बिना जलाए मंदिर में रखें। एक-एक कर सभी चीजें माता शीतला को समर्पित करें। अंत में जल चढ़ाए और बचे हुए जल को घर के सभी सदस्यों के आंखों पर लगाए। कुछ जल घर के हिस्सों में भी छिड़के। पानी अगर बचा हुआ है तो उसे घर पर पूजा के स्थान पर रख दें। वहीं, पूजा समग्री और प्रसाद गाय और ब्राह्मण को भी दें

नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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