ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

किसके नंबर बढ़ेंगे और किसके कम होंगे?
खंडवा लोकसभा की सभी विधानसभा सीटों पर इंदौरी मंत्री, विधायक, सांसद और नेता थे तो जोबट सीट पर केवल एक विधायक को भेजा गया था। सभी दावा कर रहे हैं कि उनके क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी को भारी मतों से जिताकर भेजा जाएगा, लेकिन कुछ क्षेत्रों में पार्टी की हालत खस्ता है और अब दबी जुबान में वे वहां के प्रभारी कह रहे हैं कि ऐनवक्त पर ऐसा हो गया नहीं तो वहां से तो पार्टी को इतने वोट मिलते। बताने वाले यह नहीं बता रहे हैं कि कितने वोट मिलते, क्योंकि दावा पुख्ता किसी का नहीं है। अगर महंगाई का जोर चल गया तो भाजपा को मिलने वाले वोट भी कांग्रेस के पाले में गिरे होंगे या फिर नोटा में। खैर कल तो तय हो ही जाएगा कि वास्तविक मेहनत किसने की है। इसके आधार पर ही भाजपा संगठन इनके नंबर तय करेगा। इनमें कई तो ऐसे हैं, जो महापौर का चुनाव लडऩे की आस लगाए बैठे हैं तो कुछ निगम-मंडल की कुर्सी पर बैठकर अपनी मंत्री बनने की ख्वाहिश पूरी करना चाह रहे हैं।
आखिर टंडन को विशेष तवज्जो क्यों?
कांग्रेस से आकर भाजपा में घुलने वाले इंदौरी नेताओं में अगर मंत्री तुलसी सिलावट के बाद कोई नाम सामने आ रहा है तो वे कांग्रेस के पूर्व शहर अध्यक्ष प्रमोद टंडन का। एक सक्रिय भाजपाई की तरह वे दीनदयाल भवन में हाजिरी देना नहीं भूलते हैं तो भाजपा के हर कार्यक्रम में लगभग पहुंच ही जाते हैं। कुर्सी भी उन्हें मंच की मिल जाती है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री जब इंदौर आए थे तो उनकी मीटिंग में उन्हें विशेष तवज्जो मिली और उन्हें मीटिंग में बिठाया गया। टंडन को मिलने वाली तवज्जो का राज जानने के लिए पुराने भाजपाई भी हाथ-पैर मार रहे हैं, लेकिन कारण पता नहीं चल पा रहा है।


आस लगाकर बैठे हैं भाजपा के कार्यकर्ता
भाजपा में जिस तरह से कार्यकर्ताओं औ पदाधिकारियों से काम करवाया जाता है, उसके बाद अब कार्यकर्ता अपने काम का मेहनताना मिलने की आस लगाए बैठे हैं। दरअसल इंदौर आए गृह और प्रभारी मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कह दिया था, जिला स्तर पर शासकीय विभागों में घोषित होने वाली समितियों को जल्द घोषित करेंगे और उनमें सक्रिय कार्यकर्ताओं को शामिल किया जाएगा। तब से कार्यकर्ता आस लगाए बैठे हैं, लेकिन अभी तक सूची तैयार नहीं है। कोई कह रहा है कि संगठन की ओर से सूची बना दी गई है, बस मंत्रीजी की मोहर लगना बाकी है।

अरुण यादव को खंडवा में टिकट नहीं मिलना उनके समर्थकों के लिए निराशाभरा साबित हुआ। कई इंदौरी नेता यादव के समर्थन में प्रचार करने के लिए जाने के लिए बैठे थे, लेकिन टिकट नहीं मिलने के कारण वे इंदौर में ही टाइम पास करते रहे और कहते रहे कि भिया चुनाव नहीं लड़े, नहीं तो हंगामा मचा देते और सीट जिता लाते। कहने वाले कह रहे हैं कि कांग्रेसियों की यही आदत तो कांग्रेस को डूबो देती है। समर्थक अपने नेता के लिए काम करते हैं और संगठन को दरकिनार कर देते हैं। अगर यही आदत रही तो 2023 में प्रदेश में सरकार बनाना एक सपना ही साबित होगा।

निगम में हरियाली विभाग के एक अधिकारी की हरियाली और उससे बनी खुशहाली की चर्चा चल रही है। बताया जा रहा है कि साब ने अपने रिश्तेदारों के नाम पर फर्म बनाकर ठेके लेना शुरू कर दिए हैं और कामकाज अच्छा चल रहा है। निगम में राजकुमार के पकड़ाने के बाद अब इनकी शिकायत भी की जा रही है। पिछले दिनों एक जनप्रतिनिधि के प्रतिनिधि से वे अड़ लिए ओर इसे प्रतिनिधि ने प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाकर उनके चि_े खंगालना शुरू कर दिए हैं। -संजीव मालवीय

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