ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

भाजपाइयों के बिगड़े बोल से नुकसान
भाजपा में जिस तरह से शीर्ष और नीचे तक के नेताओं के बोल बिगड़ रहे हैं, उसको लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। सवाल उठ रहे हैं, क्या सत्ता के नशे में चूर पार्टी विथ डिफरेंस के नेता सभ्य शब्दों की परिभाषाभूल गए हैं? मुरलीधर राव के बयान कि बनिये और ब्राह्मण मेरी जेब में है, चाहे किसी भी अर्थ में दिया गया हो, लेकिन राव का जोरदार विरोध हुआ और पुतले तक जल गए। बिसाहूलाल एक समाज विशेष की महिलाओं के लिए बोल गए कि इनको घर से बाहर निकालो, उनके पुतले जल गए। विरोध बढ़ता देख सीएम तक को हाथ जोडऩा पड़े। बाद में रही-सही कसर रामेश्वर शर्मा ने पूरी कर दी और कांग्रेसियों के घुटने तक तोडऩे की बात कह डाली। उषा ठाकुर के कोरोना वैक्सीन के बदले ताबीज वाले बयान, कमल पटेल के शिवराज की तुलना टंट्या मामा से करने के बयान में कहीं न कहीं भाजपा बैकफुट पर आई है। आए भी क्यों न बद्जुबानी चीज है ही ऐसी।
कांग्रेस में नई परिपाटी कब तक रहेगी?
कांग्रेस की बंद कमरे में बैठक होती है तो उसकी खबर भी दीवारों से छनकर बाहर आ जाती है। सज्जन वर्मा की मौजूदगी में गांधी भवन में हुई बैठक के पहले विनय बाकलीवाल ने कहा कि आज से मंच पर केवल अपेक्षित नेता बैठेंगे और मीटिंग में होने वाली बात कोई मीडिया में नहीं करेगा। बाकलीवाल की बात कांग्रेसियों ने कितनी मानी, इसका पता तब चला जब मीटिंग खत्म होते से ही कुछ कांग्रेसियों के पेट में मरोड़ आई और अंदर क्या हुआ-क्या नहीं, सब कुछ मीडिया के सामने परोस दिया गया।


ट्विटर पर उड़ गए भाजपाइयों के फॉलोअर
भाजपाई परेशान है कि उन्होंने जैसे-तैसे ट्विटर पर अपने फॉलोअर की संख्या बढ़ाई, ताकि बताया जा सके कि उनके सोशल मीडिया पर कितने चाहने वाले हैं। सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन ट्विटर की पॉलिसी के तहत पिछले दिनों निष्क्रिय फॉलोअर हटा दिए गए। इनमें कई बड़े नेताओं के ट्विटर अकाउंट भी थे। प्रदेश संगठन मंत्री सुहास भगत के तो करीब डेढ़ हजार फॉलोअर हटा दिए। इसके बाद तो कई नेता ट्वीट कर बताने लगे कि उनके साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ है। अब कर तो कुछ सकते नहीं। सभी ट्विटर वालों को कोस रहे हैं।
दो दिन इंदौर में क्या करते रहे वीडी और भगत
इंदौर के दीनदयाल भवन में हुई वरिष्ठ नेताओं की बैठक का विषय किसी को भी समझ नहीं आया। बड़े नेताओं ने कान लगाए, लेकिन मजाल है कि आवाज बाहर आ सके। खैर बैठक हो गई और दूसरे दिन प्रबुद्धजनों के सम्मेलन की सफलता से स्थानीय नेताओं की पीठ भी थपथपा दी गई। बाद में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश संगठन मंत्री सुहास भगत दो दिन तक यहीं रूके रहे। भगत तो कार्यालय में ही थे, लेकिन शर्मा एक होटल में रूके थे। इसकी जानकारी भी सार्वजनिक नहीं की गई, नहीं तो कार्यालय पर नेताओं का जमावड़ा लगा रहता। जिनसे बात करना थी, वे सीधे लिफ्ट से दूसरे माले पर पहुंचे, बात की और जैसे आए थे, वैसे ही वापस हो लिए।


अब ठंडी नहीं होगी तंदूर की आग
शादी-ब्याह के मौसम में तंदूर वालों की कमाई पर नगर निगम के उस आदेश ने पानी फेर दिया, जिसमें कोयला जलाने पर प्रतिबंध लगाना है। बस फिर क्या था भाजपा के युवा मोर्चा के नेता ऋषिसिंह खनूजा जो खुद कोयले का काम करते हैं, व्यापारियों को लेकर गौरव के पास पहुंच गए और कहा कि भाईसाब जैसे-तैसे कोरोना के बाद धंधा चल निकला था, लेकिन अब क्या होगा? गौरव ने अपने सहायक से एक नंबर घुमाने को कहा। निर्णय हुआ कि फिलहाल दो महीने तक तो तंदूर की आग ठंडी नहीं पडऩे दी जाएगी।
कांग्रेस के पास नाश्ते का बजट नहीं
आजादी के बाद सालों तक और फिर 15 महीने प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में रही, लेकिन उनके पास नाश्ते तक का बजट नहीं है, ये सुनकर आपको आश्चर्य होगा। दरअसल गांधी भवन में हुई बैठक के दौरान जब मीडियाकर्मियों को चाय-नाश्ता कराने की बात आई तो कार्यालय में बैठे एक शख्स ने कह दिया कि मेरे पास अलग से बजट नहीं है। प्रवक्ता सनी राजपाल साथ में ही थे। उन्होंने अपनी जेब में हाथ डाला और कार्यालय के कर्मचारियों को नाश्ता लाने के लिए कहा। हालांकि तब तक तो बात बाहर जा चुकी थी और काफी देर तक बजट नहीं होने की बात पर ठहाके लगते रहे।
और कुछ नहीं, पेट्रोल तो डलवा दो महामंत्रीजी
भाजपा के नगर महामंत्री घनश्याम शेर को जब से भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड में डायरेक्टर बनाया गया है, तब से उनकी बखत और पूछपरख भी बढ़ गई है। वैसे शेर हैं तो पुराने खाटी नेता, लेकिन अभी उनका एक नया रूप सामने आया है। वे जहां भी जाते हैं, कार्यकर्ता उनसे मजाक में कह देते हैं कि अब तो पेट्रोल कितना भी महंगा हो जाए, घनश्यामजी की चिट्ठी काम कर जाएगी। वैसे घनश्याम शेर अपनी स्टाइल में हंसकर कह देते हैं जी-भाईसाब। आगे कुछ नहीं कहते, क्योंकि उन्हें मालूम है कि यहां क्या मिलना है और क्या नहीं?

कांग्रेसियों को बैठे-बिठाए उषा ठाकुर पर शब्दों के हमले करने का मौका मिल गया। कांग्रेसी कह रहे हैं मेडम जब ताबीज की तारीफ कर रही थी तो उन्होंने ताबीज क्यों नहीं पहना ? कांग्रेस के हमलावर प्रवक्ता ट्वीट कर रहे हैं, लेकिन भाजपा की ओर से कोई जवाब नहीं आ रहा है।
-संजीव मालवीय

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