ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे


भाजपा कार्यालय में प्रमोद की हाजिरी
जो कांग्रेसी भाजपा में आए हैं वो भले ही दीनदयाल भवन में न आकर सीधे कहीं ओर हाजिरी भरा रहे हों, लेकिन कांग्रेस के पूर्व शहर अध्यक्ष प्रमोद टंडन ने यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराना शुरू कर दी है। वे नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे के कार्यालय में बैठ रहे हैं और लोगों से मिल रहे हैं। देखने वाले यह भी बता रहे हैं कि गौरव से उनकी पटरी भी बैठने लगी है। अब ये पॉलिटिक्स है भिया, जिनको मेहमान के बतौर एंट्री दिलाई है उनका सम्मान तो करना पड़ेगा। वैसे दूसरे जितने भी कांग्रेसी हैं वे या तो सिलावट के समर्थक हैं या फिर सीधे सिंधिया से जुड़े हैं, इसलिए वे अभी भाजपा के कार्यालय से दूर हैं।
मुंह फूल गया राजपूत नेताओं का
मंत्री तुलसी सिलावट जिन गांवों में प्रचार करने जा रहे हैं वहां के राजपूत युवा उनके सामने करणी सेना का नारा लगाते हुए खड़े हो जाते हैं और आरक्षण सहित अन्य मुद्दों को लेकर मांग करने लगते हैं। सिलावट ने इससे निजात पाने की सोची और राजपूत समाज के नेताओं को लेकर भोपाल पहुंच गए और सीएम से मिलवा दिया। चुनावी साल होने के कारण आवभगत भी अच्छी हुई और राजपूत नेता सीएम से मिले और घोषणा होने पर खुश भी हो गए। लेकिन भाजपा के ही कुछ राजपूत नेताओं को इस मामले में तवज्जो नहीं मिली तो उन्होंने मुंह फूला लिया है। अब उनको मनाने सिलावट को जाना पड़ेगा।
कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना लगाते रहे
बदनावर में जो कुछ हुआ उसको लेकर भंवरसिंह शेखावत ने बगावत का झंडा बुलंद कर रखा है। फिलहाल तो शेखावत को इस मामले में पार्टी की ओर से किसी प्रकार का आश्वासन नहीं मिला है, लेकिन उन्होंने शहरहित में जनआंदोलन की बात कहकर अपनी राजनीति फिर से चमकाने की कोशिश की है। शेखावत ने पत्रकारों के सामने जो तीर चलाए, उसका निशाना कहीं ओर लगाया जा रहा था। ठाकुर साब का कहना था कि तानाशाही चल रही है, जनप्रतिनिधि मौन हैं और शहर में जनआंदोलन खड़ा हो जाएगा। उनसे जब तानाशाह कौन है और कौन से जनप्रतिनिधि मौन हैं? पूछा तो उन्होंने बात ही पलट दी।
कोरोना से डरे कई पदाधिकारी
भाजपा के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारी कोरोना से डरे हुए हैं। हालांकि इनको सांवेर विधानसभा में कई प्रकार की जवाबदारी दी गई है, लेकिन वे उतने ही नजर आते हैं, जितना काम उनको दिया गया है। पहले तो इनमें से कई की सुबह और शाम की चाय कार्यालय पर ही होती थी। वे अब कहते फिर रहे हैं कि पार्टी ने जो जवाबदारी दी है उसमें लगे हैं, लेकिन सही बात तो यह है कि कार्यालय में हो रही भीड़ से वे बिदक रहे हैं और जिस तरह से नेताओं में कोरोना फैल रहा है, उससे उन्होंने कार्यालय से ही दूरी बनाकर रख ली है, भले ही कार्यालय को सेनिटाइज किया जा रहा हो।
ये नजदीकियां न बन जाएं दूरियां
जिस तरह से सांसद शंकर लालवानी अपने समर्थकों में अपने ही समाज को तवज्जो देते हैं, उससे उनके साथ के ही कुछ लोग नाराज हैं, लेकिन वे अपनी नाराजगी सार्वजनिक रूप से जाहिर नहीं कर पाते हैं। फुसफुसाहट शुरू हुई है कि भाईसाब का ध्यान आजकल हमारे ऊपर नहीं रहा। सांसद जैसे ही किसी कार्यक्रम में आते हैं, उनके आसपास वे लोग ही मंडराने लग जाते हैं और दूसरे दूर हो जाते हैं। वैसे सांसद के आसपास जो सक्रियता इन दिनों देखने को मिल रही है, उसमें अधिकांश पार्षद के टिकट के दावेदार शामिल हैं ।
शुक्ला की सक्रियता पार्टी को अखरी
पिछले दिनों जब ठेले वालों के साथ नगर निगम के दुव्र्यवहार की घटनाएं सामने आईं तो विधायक संजय शुक्ला ने सबसे पहले मैदान पकड़ा। शुक्ला ने कह दिया कि मेरे क्षेत्र में किसी निगम वाले ने ठेले को हाथ लगाया तो खैर नहीं। अब पार्टी को भी कुछ करना था, सो दूसरे दिन अध्यक्ष और पूर्व मंत्री कलेक्टर के सामने गुस्सा जाहिर करने पहुंच गए। हालांकि पहले शुक्ला और बाद में भाजपा ने इस मुद्दे पर अपना दांव चल दिया था। भाजपा नेताओं को भी कुछ नहीं सूझी तो उन्होंने अपनी बात रखने के बहाने क्राइसिस मैनेजमेंट समिति की बैठक तक कर डाली।
पुराने कम्प्यूटर में नया साफ्टवेयर
2018 में जाती भाजपा सरकार में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त करने वाले कम्प्यूटर बाबा ने कमलनाथ का दामन थामा और अपना जलवा बरकरार रखा। बाबा अब उन शहरों में घूम रहे हैं, जहां उपचुनाव होना है। इसके लिए बाकायदा उन्होंने अपने कम्प्यूटर में लोकतंंत्र बचाओ नामक नया साफ्टवेयर डाला है, जिसमें धर्म-अधर्म, खरीद-फरोख्त जैसी प्रोग्रामिंग भी लोड करवाई गई है। फिलहाल दौरा ग्वालियर और चंबल के इलाकों में चल रहा है और शिवराज पर खूब निशाने साधे जा रहे हैं। इसके आउटपुट में बाबा की राज्यमंत्री की कुर्सी बरकरार रह सकती है।
बाजारों को दोनों तरफ खोलने को लेकर पूर्व महापौर के नजदीकी रिश्तेदार सक्रिय हुए और कुछ व्यापारियों के साथ सोशल मीडिया पर सोमवार से सभी दुकानें छह दिन खोलने का अभियान चलाया, लेकिन इस अभियान की हवा उस समय निकल गई, जब इनसे जुड़े कई व्यापारियों को तलब कर लिया गया और एफआईआर दर्ज कर दी। रिश्तेदार पीछे हो गए और व्यापारी फंस गए। इनमें राजबाड़ा क्षेत्र के एक रेडीमेड गारमेंट के व्यापारी और सीतलामाता बाजार के व्यापारी भी थे।

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