गौरव के दरबारी लगा रहे हाजिरी
एक समय जब गौरव रणदिवे (Gaurav Ranadive) नगर अध्यक्ष (City President) हुआ करते थे, तब उनके दरबार में लगातार हाजिर रहने वाले और उनके हर निर्णय को सब पर लागू करवाने वाले कुछ दरबारी अब सुमित मिश्रा के आगे-पीछे देखे जा रहे हैं। उन्हें सुमित की नई टीम में आना है। गौरव का तो खैर राजनीतिक भला हो ही जाएगा, लेकिन उनके दरबारियों का क्या होगा, बस यही आस लिए वे उनका खास बनने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। लेकिन सुमित की राजनीतिक निगाहें भी तेज हैं। भले ही कुछ हो जाए वे नई कार्यकारणी में ऐसे चेहरे तलाश रहे हैं, जिन पर प_ावाद का साया न हो।
पटवारी का घुटना पेट की ओर ही मुड़ा
विपक्ष है तो पक्ष के खिलाफ रहेगा ही। कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रदेश के डीजीपी द्वारा विधायक और सांसदों को सैल्यूट मारने के आदेश को पलटने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि कई सांसद और विधायक अपराध में घिरे हैं, ऐसे में वर्दी वाले अपराधी को सैल्यूट कैसे मार सकते हैं। पटवारी के अनुसार भाजपा के 29 में से 9 सांसद और 163 में से 51 विधायकों पर एफआईआर हैं। राजनीतिक हलकों में पटवारी के आधे-अधूरे आंकड़ों को लेकर भी बात चल रही है कि कांग्रेस के आंकड़े उन्होंने क्यों जारी नहीं किए? क्या बचे हुए कांग्रेस विधायकों पर दाग नहीं है? वैसे भी पटवारी सुर्खियों में बने रहने के लिए रोज बयान जारी करते हैं, लेकिन कांग्रेस की आंतरिक हालत पर ज्यादा बात नहीं करते। सही भी है, घुटना है पेट की ओर झुकेगा ही।
अब पार्षद भतीजे का वीडियो सामने आया
आए दिन नेता पुत्रों और उनके रिश्तेदारों द्वारा मारपीट, गाली-गलौज और अशालीन व्यवहार के वीडियो सामने आ रहे हैं। अब एक भाजपा पार्षद के भतीजे का वीडियो एक नंबर से दौडक़र दीनदयाल भवन तक पहुंचा है। जवाबदारों ने जवाब लिया है या नहीं इसका तो नहीं मालूम, लेकिन उक्त पार्षद अपने सौम्यशील और संगठन में अनुशासन रखने के मामले में जाने जाते हैं, लेकिन भतीजे ने गड़बड़ कर दी है। न केवल एक अन्य युवक की पिटाई साथियों के साथ मिलकर की, बल्कि अभद्र भाषा का उपयोग भी किया गया। खैर, मामला अभी ठंडा है, लेकिन विरोधी उसे हवा देने में लगे हैं, ताकि अगली बार भाईसाब की कुर्सी छीनी जा सके।
चिंटू-गौरव के हाथ क्या आएगा?
जब भी मुख्यमंत्री मोहन यादव का दौरा होता है भाजपा के दोनों पूर्व अध्यक्ष गौरव रणदिवे और चिंटू वर्मा उनके आसपास मंडराने लगते हैं। अकसर वे साथ ही दिखाई देते हैं। साथ रहने वाले बताते हैं कि गौरव की तो फायदे की कुर्सी पक्की है और इसका कमिटमेंट उनके नगर अध्यक्ष होते ही हो गया था। हालांकि गौरव का लक्ष्य दूसरा है, लेकिन जब तक राजनीतिक दुकान का शटर भी बंद करके नहीं रखा जा सकता। वहीं चिंटू अपने राजनीतिक आका कैलाश विजयवर्गीय के भरोसे हैं। हालांकि उनकी हालत भी गौरव जैसी ही है कि कुछ न कुछ तो हाथ लग जाए। अब देखना यह है कि दोनों में से कौन पहले बाजी मारता है।
अनुशासन का ढिंढोरा पीट रही कांग्रेस
कांग्रेस में जब भी कोई बड़ा कांड या बात हो जाती है तो अनुशासन के नाम पर कार्रवाई का ढिंढोरा पीटा जाता है। यह बात अलग है कि कार्रवाई नहीं होती। अब बारी लक्ष्मण सिंह के इस बयान की है, जो पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दिया गया है। लक्ष्मण की वीडियो क्लिपिंग तो भोपाल से लेकर दिल्ली तक दौड़ाई गई है और हाईकमान द्वारा कार्रवाई की बात सामने आ रही है, लेकिन अपन तो लिखकर दे रहे हैं अगर लक्ष्मण पर अनुशासन की रेखा खींचा गई तो वास्तव में कांग्रेस में सुधार का दौर आ जाएगा, नहीं तो ढिंढोरा तो पीटा जाता रहेगा।
फटकार का असर, कव्वाली की जगह सुंदरकांड
सालों से मिल परिसर में एक धर्मस्थल पर कव्वाली के आयोजन हो रहे थे और करवाने वाला भी अपना धर्म बदलकर सबकुछ करवा रहा था, लेकिन कुछ दिनों पहले वहां सुंदरकांड का आयोजन हो रहा था और भगवा लहरा रहा था। मालूम पड़ा कि उक्त व्यक्ति मंच पर बैठा है और लोग उसे भगवा दुपट्टा पहना रहे हैं। पास ही में पार्षद जीतू यादव (जाटव) भी बैठे हैं। समझते देर नहीं लगी कि कुछ दिनों पहले यहीं का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें जीतू उक्त व्यक्ति को फटकार लगाते हुए दिख रहे हैं कि यहां ज्यादा फैलाव मत करो। मैं सब जानता हूं। बस इसी फटकार का असर कव्वाली की जगह सुंदरकांड में नजर आ रहा था।
उमंग सिंघार इंदौर आए और प्रदेश के एक पूर्व मंत्री के लिए ऐसा कह दिया कि उस पर बवाल होना स्वाभाविक था, लेकिन भाजपा ने उनके बयान को तवज्जो नहीं दी और मामला वहीं दब गया। वैसे भोपाली कह रहे हैं कि बात निकली है तो दूर तलक जाएगी, क्योंकि पूर्व मंत्री बोलने में कम करने में ज्यादा विश्वास रखते हैं।
-संजीव मालवीय
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