जीवनशैली धर्म-ज्‍योतिष

वेहद खास है इस साल का करवा चौथ व्रत, बन रहा विशेष संयोग

महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य का व्रत करवा चौथ (Karwa Chauth) कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं अपने जीवनसाथी के दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

बता दें कि महिलाएं अपने पति की अच्‍छी सेहत और लंबी आयु के लिए रखा जाने वाला करवा चौथ (Karwa Chauth) का व्रत जीवन में सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। ज्‍योतिष (Astrology) के मुताबिक अगर इस व्रत को महिलाएं सही तरीके से और पूरे विधि-विधान से रखा जाए तो सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, क्‍योंकि हिंदू धर्म में करवा चौथ सुहागन स्त्रियों (sweet ladies) के लिए काफी खास होता है।

बता दें कि यह व्रत कार्तिक महीने के कृष्‍ण पक्ष की चतुर्थी को रखा जाता है, इस साल करवा चौथ व्रत 24 अक्टूबर, रविवार को है। इस दिन सुहागिनें पति की लंबी आयु और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत रखा जाता है।
इस दिन व्रती महिलाएं रात में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत पारण करती हैं। इस साल करवा चौथ पर शुभ संयोग बनने से इसका महत्व और बढ़ गया है क्‍योंकि रविवार और मंगलवार को करवा चौथ का पड़ना बहुत शुभ होता है। दरअसल, रविवार और मंगलवार को पड़ने वाली सभी चतुर्थी बहुत शुभ मानी जाती हैं गणेश चतुर्थी का व्रत तो मंगलवार की चतुर्थी से ही शुरू किया जाता है।


करवा चौथ पर बन रहे शुभ योग
करवा चौथ पर चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में उदित होगा। धार्मिक दृष्टि से यह नक्षत्र बेहद शुभ माना जाता है। इस नक्षत्र के स्वामी चंद्रमा हैं और माना जाता है कि चंद्र दर्शन से मनोकामना पूर्ण होती है।

पूजा का शुभ समय
चतुर्थी तिथ‍ 24 अक्‍टूबर 2021 को सुबह 03:01 बजे शुरू होगी और 25 अक्‍टूबर को सुबह 05:43 मिनट पर समाप्‍त होगी. करवा चौथ की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 24 अक्‍टूबर 2021 को शाम 06:55 से 08:51 बजे तक है, वहीं चंद्रोदय रात 08:11 पर होगा!



महिलाएं इन बातों का रखें विशेष ध्यान
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के दौरान काला पहनने की मनाही होती है। यह अशुभता का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि मंगलसूत्र के काले दाने के अलावा इस दिन किसी काले रंग का प्रयोग न करें।

करवा चौथ व्रत
इस दिन विवाहित महिलाएं सूर्योदय से पहले जागकर नहा-धोकर सास द्वारा दी गई सरगी खाती हैं। इसके बाद पूरा दिन निर्जला और निराहार रहना होता है। शाम को महिलाएं सोलह शृंगार करके शिव-पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा करती हैं।

भगवान शंकर के पूरे परिवार की पूजा सुख-समृद्धि देती है। साथ ही करवे (मिट्टी के बर्तन) में पकवान रखकर करवे की पूजा करें। फिर रात में चंद्रमा को अर्ध्‍य दें, साथ ही गणेश जी और चतुर्थी माता को भी अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद पति का मुंह छलनी में देखें और फिर व्रत खोलें। इससे सारी मनोकामनाएं आपकी भगवान पूरीं करेंगे।

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