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आज है अक्षय तृतीया की शुभ तिथि, मां लक्ष्‍मी की पूजा में पढ़े ये कथा, घर मे होगी सुख समद्वि

साल 2021 में आज यानि 14 मई, दिन शुक्रवार को मनाई जा रही है अक्षय तृतीया का पावन पर्व । अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है और स्वर्ण की खरीदारी करने की भी परंपरा है। पौराणिक मान्यताओं (Mythological beliefs) के अनुसार, ऐसा करने से घर में धन, वैभव और समृद्धि (prosperity) बढ़ती है और जातक के जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती है। अक्षय तृतीया में इस बार लक्ष्मी योग (Lakshmi Yoga) भी बन रहा है जोकि काफी शुभ माना जाता है।

इस योग में कोई भी नया काम करने, जमीन, जायदाद से जुड़े कामों और सोने की खरीद से शुभ फल की प्राप्ति होती है। अक्षय तृतीया इस बार लॉकडाउन में पड़ रही है ऐसे में घर में रहते हुए ही ये त्योहार मनाएं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन ही मां लक्ष्मी (Maa laxmi) का जन्म हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी की पूजा के बाद अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा पढ़ने से शुभ फल मिलता है। आज हम लेकर आए हैं अक्षय तृतीया की कथा ।

अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा:



पौराणिक कथा (mythology) के अनुसार, शाकल नगर में धर्मदास नामक वैश्य रहता था। धर्मदास, स्वभाव से बहुत ही आध्यात्मिक था, जो देवताओं व ब्राह्मणों (Brahmins) का पूजन किया करता था। एक दिन धर्मदास ने अक्षय तृतीया के बारे में सुना कि ‘वैशाख शुक्ल की तृतीया तिथि को देवताओं (gods) का पूजन व ब्राह्मणों को दिया हुआ दान अक्षय हो जाता है।’

यह सुनकर वैश्य ने अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान कर, अपने पितरों का तर्पण किया।स्नान के बाद घर जाकर देवी-देवताओं का विधि-विधान से पूजन कर, ब्राह्मणों को अन्न, सत्तू, दही, चना, गेहूं, गुड़, ईख, खांड आदि का श्रद्धा-भाव से दान किया।

धर्मदास की पत्नी, उसे बार- बार मना करती लेकिन धर्मदास अक्षय तृतीया को दान जरूर करता था। कुछ समय बाद धर्मदास की मृत्यु हो गई।कुछ समय पश्चात उसका पुनर्जन्म (Rebirth) द्वारका की कुशावती नगर के राजा के रूप में हुआ। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अपने पूर्व जन्म में किए गए दान के प्रभाव से ही धर्मदास को राजयोग मिला

नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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