टिकरी-कुंडली बॉर्डर । संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) ने अपने आंदोलन (Movement) के खर्च का एक साल (One year) का सारा लेखा जोखा (Account) पेश कर दिया (Presented) । 81 लाख से ज्यादा (More than 81 lakh) स्टेज, लाइट एंड साउंड पर खर्च हुए(Spent on stage, light and sound), करीब 18 लाख (18 lakh) का पानी पी गए (Drank water) ।
किरती किसान यूनियन पंजाब के नेता रविंद्र सिंह ने 29 नवंबर तक का हिसाब-किताब सबके सामने रखा, जिसके अनुसार इस आंदोलन को देश और विदेश से 6 करो़ड़ 35 लाख 83 हजार 940 रुपये चंदा मिला, जिसमें से 5 करोड़ 39 लाख 83 हजार 940 रुपये खर्च हो चुके हैं। आंदोलन के कोष में 96 लाख रुपये शेष बचे हैं। किसान नेताओं के अनुसार चंदे की ज्यादातर राशि NRI से आई है। हिसाब-किताब के अनुसार सबसे ज्यादा राशि लाइट एंड साउंड पर, जबकि सबसे कम खर्च पीने के पानी पर किया गया है।
किसान मोर्चा की तरफ से बताया गया कि आंदोलन के संचालन के दौरान काफी रुपये खर्च हुए। पंडाल तैयार करने से लेकर आंदोलन में जरूरी व्यवस्थाओं को में बड़े पैमाने पर रुपयों की जरूरत पड़ी। सबसे ज्यादा राशि 81.47 लाख, बड़े बड़े स्टेज, साउंड और लाइट पर खर्च हुए हैं। इसके बाद मेडिकल पर 68.57 लाख खर्च किए गए हैं। टिकरी कुंडली बॉर्डर पर शेड के लिए 45 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। इसके अलावा तिरपाल, कैमरे और वॉकी-टॉकी वगैरह में 38.37 लाख रुपये खर्च किए जा चुके हैं, वहीं आईटी सेल को 36.82 लाख और सफाई में 32.80 लाख रुपये खर्च किए गए हैं, साथ ही वाटर प्रूफ टेंट पर 19.28 लाख और पीने के पानी पर 17.95 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। आंदोलन के दौरान चलने वाले लंगरों के लिए बनाए गए टेंट में 51 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह किसान एक साल से भी ज्यादा समय से आंदोलन कर रहे हैं, इस दौरान हजारों किसान अपने घरों को छोड़ यहीं पर रुके हुए थे, उनके रहने और बाकी जरूरतों को यहीं पूरी किया जा रहा था। रविंद्र सिंह ने कहा कि आंदोलन के दौरान मौसम बदले तो इंतजामों में भी बदलाव करना पड़ा था, लंगर से लेकर मेडिकल और टेंट तक को लेकर ऐसी व्यवस्था की गई थी, ताकि आंदोलनकारियों को अपने उद्देश्य को हासिल करने में कोई कठिनाई न हो, फिर भी यदि किसी को संदेह है तो वह आंदोलन का पूरा लेखा-जोखा चेक कर सकता है।
रविंद्र सिंह ने कहा कि आंदोलन जल्द खत्म नहीं हुआ तो और पैसों की जरूरत पड़ेगी, वहीं आज केंद्र और किसान मोर्चा के सदस्यों के बीच बातचीत होनी है। जानकारों का मानना है कि किसान आंदोलन खत्म करने का रास्ता निकालने पर सरकार विचार कर रही है।