नई दिल्ली । उत्तराखंड (Uttarakhand) के मुख्यमंत्री और बीजेपी (BJP) नेता तीरथ सिंह रावत (CM Tirath Singh Rawat) को अचानक दिल्ली से बुलावा आया है । रावत को पार्टी आलाकमान द्वारा दिल्ली बुलाया गया है । वे आज यानि कि बुधवार की शाम दिल्ली (Delhi) में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के सामने उपस्थित होंगे। कयास लगाए जा रहे हैं कि राष्ट्रीय संगठन उनके साथ उपचुनाव पर चर्चा कर सकता है, राज्य में विधानसभा की दो सीटें खाली हैं। वहीं कई और मुद्दों पर भी उनके साथ बातचीत की जा सकती है।
आश्चर्य की बात इसमें यह है कि सीएम तीरथ रावत अभी चिंतन शिविर (BJP Chintan Shivar) से वापस लौटे थे और अब उन्हें तुरंत दिल्ली बुला लिया गया है। बतादें कि पिछले दिनों तीरथ रावत के सीएम (CM Tirath Rawat) पद पर बने रहने को लेकर कांग्रेस नेता की तरफ से दिए गए बयान के बाद उत्तराखंड में राजनीतिक उठा पटक का दौर जारी है।
बीजेपी के तीन दिवसीय चिंतन शिविर के समापन के बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का यह दिल्ली दौरा काफी अहम माना जा रहा है । ये भी कहा जा रहा हैकि दिल्ली में तीरथ सिंह रावत बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर आगामी विधानसभा चुनाव समेत विभिन्न विषयों पर भी चर्चा करेंगे । हालांकि मुख्यमंत्री ने इसे अनौपचारिक मुलाकात बताया है।
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदलने और उत्तर प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले ही बैठक कर चुके हैं । उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत के विधायक का चुनाव लड़ने की समय सीमा खत्म होने को है। सीएम को विधायक के रूप में चुने जाने के लिए सिर्फ 10 सितंबर तक का समय बचा है लेकिन कोरोना महामारी के बीच उपचुनाव कराए जाने को लेकर अभी सस्पेंस बना हुआ है। यदि समय पर उपचुनाव नहीं कराए गए तो इससे सीएम की कुर्सी पर बड़ा कानूनी और राजनीतिक संकट खड़ा हो सकता है।
संविधान के आर्टिकल-164 (4) के तहत, एक मंत्री को छह महीने के भीतर राज्य विधानमंडल का सदस्य होना जरूरी है, तभी वह आगे मंत्री बना रह सकता है। अगर तय समय तक वह विधायक नहीं चुना जाता है तो वह मंत्री नहीं रह सकता। इसीलिए आगे मुख्यमंत्री बने रहने के लिए तीरथ सिंह रावत को 10 सितंबर से पहले विधायक चुना जाना जरूरी है।
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