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ताइवान में जंग छिड़ी तो दुनिया की इन दिग्गज कंपनियों पर पड़ेगा बुरा असर

नई दिल्‍ली । चीन और ताइवान के बीच दशकों से जारी खींचतान (China Taiwan Crisis 2022) पिछले कुछ दिनों से चरम पर है. अमेरिकी स्पीकर नैन्सी पेलोसी (US Speaker Nancy Pelosi) की हालिया ताइवान यात्रा (Nancy Pelosi Taiwan Visit) ने संकट को एक बार फिर से उभार दिया है. चीन इस यात्रा की खबर सामने आने के बाद से ही लगातार चेतावनी दे रहा था और अब इस बात की आशंका गहरा गई है कि कहीं ताइवान की खाड़ी (Taiwan Straight) में जंग की शुरुआत न हो जाए. इन सब घटनाक्रमों के बीच दुनिया को एक अन्य चिंता सता रही है. पहले ही ऑटो (Auto Industry) से लेकर स्मार्टफोन इंडस्ट्री (Smartphone Industry) तक चिप शॉर्टेज (Chip Shoratge) से परेशान हैं. ताइवान में स्थिति बिगड़ने पर यह संकट और गंभीर हो सकता है क्योंकि यह छोटा देश सेमीकंडक्टर (Semiconductor) के मामले में दुनिया की फैक्ट्री है.


ऐसे हुई सेमीकंडक्टर क्रांति की शुरुआत
सेमीकंडक्टर के मामले में ताइवान के उभार की शुरुआत हुई साल 1985 में. ताइवान की सरकार ने Morris Chang को अपने देश में उभरती सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को डेवलप करने के लिए खाका तैयार करने का काम सौंपा. इसके बाद साल 1987 में ताइवान सरकार, Morris Chang, Chang Chun Moi और Tseng Fan Cheng ने मिलकर ‘ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी (Taiwan Semiconductor Manufacturing Company) की स्थापना की. आज यह दुनिया की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर कंपनी है. सेमीकंडक्टर के मामले में इस कंपनी के दबदबे का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि TSMC एक समय ग्लोबल मार्केट की 92 फीसदी डिमांड को पूरा कर रही थी. वहीं दूसरे स्थान पर काबिज दक्षिण कोरिया की कंपनी सैमसंग की हिस्सेदारी महज 8 फीसदी पर सीमित थी.

ताइवान पर निर्भर हैं दुनिया की दिग्गज कंपनियां
साल 2020 में कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद ताइवान की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री पर काफी बुरा असर हुआ. हालांकि इसके बाद भी सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में ताइवान का दबदबा बरकरा ही है. ताइपेई स्थित रिसर्च फर्म ट्रेंडफोर्स के आंकड़ों के अनुसार, साल 2020 में सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के टोटल ग्लोबल रेवेन्यू में ताइवान की कंपनियों की हिस्सेदारी 60 फीसदी से अधिक रही. इसमें सबसे ज्यादा योगदान TSMC का ही रहा. TSMC अभी भी दुनिया की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर कंपनी है और Apple, Qualcomm, Nvidia, Microsoft, Sony, Asus, Yamaha, Panasonic जैसी दिग्गज कंपनियां उसकी क्लांइट हैं.

इन चीजों में होता है सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल
आपको बता दें कि सेमीकंडक्टर का इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्प्यूटर, स्मार्टफोन, कारों के सेंसर में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है. सेमीकंडक्टर का प्रोडक्शन एक जटिल काम है, जिसमें डिजाइन करने वाली कंपनियों से लेकर बनाने वाली कंपनियां तक शामिल होती हैं. इसके अलावा सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के नेटवर्क में टेक्नोलॉजी सप्लाई करने से लेकर सामग्रियों और मशीनरी की आपूर्ति करने वाली कंपनियां तक शामिल होती हैं. ताइवान की अग्रणी सेमीकंडक्टर कंपनी TSMC मुख्य तौर पर मैन्यूफैक्चरिंग पर फोकस करती है. TSMC के महत्व को इस बात से भी समझा जा सकता है कि वह सैमसंग के साथ दुनिया की उन दो चुनिंदा कंपनियों में से है, जो सबस उन्नत 5-नैनोमीटर चिप्स बनाती है.

सेमीकंडक्टर के मामले में चीन से मीलों आगे है ताइवान
वहीं चीन की बात करें तो वह ताइवान से मीलों पीछे है. साल 2020 में रेवेन्यू के लिहाज से ताइवान की TSMC पहले पायदान पर थी. दूसरे नंबर पर भी ताइवान की ही एक अन्य कंपनी UMC का कब्जा था. तीसरे स्थान पर दक्षिण कोरिया की कंपनी सैमसंग थी. उसके बाद चौथे स्थान पर अमेरिकी कंपनी Global Foundries कायम थी. चीन की कंपनी SMIC सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में पांचवें नंबर की कंपनी थी. अभी कोरोना महामारी के दौरान चिप शॉर्टेज होने के बाद टीएसएमएसी कई अन्य देशों में भी प्लांट लगा रही है. इसके लिए ताइवान की इस कंपनी ने Wafer Tech, Acer, WSMC, Apple जैसी कंपनियों के साथ समझौते किए हैं.

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