उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News)

शिप्रा का पानी मिलाकर किया जा रहा शहर में जलप्रदाय..आज नलों से गंदा पानी आया

  • अमावस्या स्नान पर्व के लिए पाईप लाईन के जरिये शिप्रा में आया था नर्मदा का पानी-गंभीर में जलस्तर घट रहा

उज्जैन। गर्मी शुरु होते ही शिप्रा नदी के साथ-साथ गंभीर बाँध का जलस्तर भी तेजी से घट रहा है। अमावस्या स्नान के पहले शिप्रा कई स्थानों पर सूख गई थी। स्नान के लिए नर्मदा का पानी शिप्रा में छोड़ा गया था। यही पानी अब गंभीर डेम के पानी के साथ मिलाकर जलप्रदाय किया जा रहा है और आज सुबह शहर के कई इलाकों में नलों से गंदा और बदबूदार पानी आया। उल्लेखनीय है कि हर साल फरवरी माह के बाद शिप्रा नदी का जलस्तर गर्मी बढऩे के साथ-साथ तेजी से गिरता है। इस बार भी मार्च महीने के अंत तक यही स्थिति बनी और शिप्रा नदी त्रिवेणी से लेकर गऊघाट तक तथा इधर ऋणमुक्तेश्वर घाट से लेकर गंगाघाट के बीच कई जगह से सूख गई थी। गुड़ी पड़वा के एक दिन पहले अमावस्या स्नान पर्व को देखते हुए जिला प्रशासन ने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण से शिप्रा में पानी छोडऩे की माँग की थी। इसके बाद पाईप लाईन के जरिये 2 मिलियन क्यूबिक पानी शिप्रा में छोड़ा गया था।



इस कारण शिप्रा का जलस्तर त्रिवेणी घाट से लेकर रामघाट तक बढ़ गया था। बाद में जब यह पर्व निपटा तो अगले दिन से पीएचई ने शिप्रा नदी के पानी को गंभीर के पानी के साथ मिलाकर जलप्रदाय शुरु कर दिया था। हालांकि अधिकारी नर्मदा से पानी आने से पहले भी यह स्पष्ट कर चुके थे कि नर्मदा के पानी का जलप्रदाय में उपयोग किया जाएगा। इधर पुराने शहर के अधिकांश इलाकों में आज सुबह जब नियमित जलप्रदाय हुआ तो लोगों के मटमैला और बदबूदार पानी मिला। कई लोगों ने मोबाइल से इसके फोटो खींचे और सोशल मीडिया पर भी डाले।

गंभीर में भी जल स्तर गिर रहा
पीएचई के कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के मुताबिक गंभीर डेम में आज सुबह 1 हजार 11 एमसीएफटी पानी शेष रह गया था। पिछले एक हफ्ते में गंभीर डेम से गर्मी बढऩे के साथ ही लगभग 10 से 11 एमसीएफटी पानी रोज घट रहा है, जबकि नियमित जलप्रदाय के लिए अधिकतर 4 से 5 एमसीएफटी पानी ही पर्याप्त होता है। इस पर अधिकारियों का कहना है कि गर्मी के कारण वाष्पीकरण हो रहा है। इस कारण बाँध का जलस्तर तेजी से घट रहा है। ऐसे में गंभीर डेम में मौजूद पानी की वर्तमान स्थिति का आंकलन किया जाए तो 11 एमसीएफटी औसत रोज खपत के मान से यह लगभग 100 बार जलप्रदाय इतना पानी ही शेष रहा गया है।

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