नई दिल्ली। लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन (Larsen & Toubro Chairman) एस.एन. सुब्रह्मण्यन (S.N. Subramanian) की ओर से सप्ताह में 90 घंटे और रविवार को भी काम करने का बयान चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बयान के सामने आने के बाद वर्क लाइफ बैलेंस (Work life balance) पर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। हालांकि इस विचार से सभी लोग सहमत नहीं हैं। महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने उत्पादकता पर ध्यान देने की बात कही है, उन्होंने कहा कि घंटे नहीं बल्कि आउटपुट मायने रखता है। श्रम-संबंधी डाटा के विश्लेषण से पता चलता है कि भारतीय (Indian) कम वेतन पर लंबे समय तक काम (Long hours work for low pay) कर रहे हैं, जबकि उत्पादकता काफी कम है।
51 फीसदी भारतीय हर सप्ताह 49 घंटे काम कर रहे
भारतीय श्रम कानून यह कहता है कि हर दिन 9 घंटे से अधिक काम नहीं होना चाहिए। इसमें आधे घंटे का आराम भी शामिल है। कर्मचारियों को कम से कम एक दिन साप्ताहिक अवकाश का भी अधिकार है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) के अनुसार एक भारतीय कर्मचारी औसतन हर सप्ताह 46.7 घंटे काम करता है।
भारत सबसे अधिक काम करने वाले देशों में से एक है। यहां 51 फीसदी कर्मचारी हर सप्ताह 49 घंटे से अधिक काम करते हैं। आईएलओ के अनुसार यह 170 देशों में सबसे अधिक है। इसके विपरीत भारतीय कर्मचारी की न्यूनतम मासिक आय सबसे कम 220 डॉलर ही है। भारत में श्रम उत्पादकता (किसी देश की अर्थव्यवस्था का प्रति घंटा उत्पादन) सिर्फ 8 डॉलर है जो विकासशील देशों में सबसे कम है।
भारत में जी20 देशों में सबसे अधिक काम, पर वेतन कम
49 घंटे प्रति सप्ताह से अधिक काम करनेवाले कर्मचारियों का प्रतिशत
– टॉप-3 देश हर महीने वेतन
– भारत 51.4 220 डॉलर
– इंडोनेशिया 21.9 548 डॉलर
– दक्षिण कोरिया 16.6 1978 डॉलर
सबसे कम काम करनेवाले देश – हर महीने वेतन
कनाडा 8.9 1883
फ्रांस 8.8 2016
रूस 1.8 534
स्रोत: आईएलओ
कुछ क्षेत्रों में उत्पादकता काफी धीमी
2022-23 में टॉप 5 सेक्टर में श्रम उत्पादकता(प्रतिशत में)
उद्योग साल दर साल ग्रोथ वित्त वर्ष 15-19 का औसत(प्रतिशत में)
कंस्ट्रक्शन 2.9 2.3
कृषि, 2.7 4.4
मछली पकड़ना
बिजनेस सर्विस 6.4 4.3
व्यापार 7.2 7.5
धातु के उत्पाद -3.3 0.6
खाद्य उत्पादन,
पेय पदार्थ, तंबाकू -5.2 12.6
स्रोत: आरबीआई केएलईएमएस डाटाबेस,
लंबे समय तक काम करने से उत्पादकता में वृद्धि नहीं
शोध से पता चलता है कि लंबे समय तक काम करने से उत्पादकता में वृद्धि नहीं हो सकती है। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर जॉन पेनकेवेल द्वारा 2014 में किए गए एक महत्वपूर्ण अध्ययन कहा गया कि एक निश्चित सीमा से ज्यादा काम करने से वास्तव में आपकी उत्पादकता कम हो सकती है। 50 घंटे काम करने के बाद कर्मचारी का आउटपुट कम हो जाता है और 55 घंटे काम करने के बाद और भी कम हो जाता है।
जो व्यक्ति 70 घंटे काम करता है, वह उन अतिरिक्त 15 घंटों में कुछ भी ज्यादा नहीं कर पाता। इसके अलावा, लंबे घंटे घातक भी साबित हो सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन और आईएलओ के 2021 के विश्लेषण से पता चला है कि 2016 में लंबे समय तक काम करने के कारण लगभग तीन-चौथाई मिलियन लोग स्ट्रोक और हृदय रोग से मर गए। इनमें मध्यम आयु वर्ग और पुरुष सबसे अधिक प्रभावित हुए।
कई देशों में ओवरटाइम के अतिरिक्त पैसे
श्रम कानूनों में ओवरटाइम को लेकर भी प्रावधान बनाए गए हैं। कई देशों में नियमित वेतन से 50% अधिक ओवरटाइम प्रीमियम है। भारत में ब्लू कॉलर कर्मचारी (निर्माण कार्यों, मशीन ऑपरेटर इत्यादि) अपने सामान्य वेतन की दर से दोगुना ओवरटाइम के लिए पात्र होते हैं। हालांकि व्हाइट कॉलर कर्मचारियों (प्रबंधकों, पर्यवेक्षकों और अनुबंध पर काम करने वाले)के लिए प्रावधान स्पष्ट नहीं है।
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