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घाघरा व सरयू नदी में उफान से एक दर्जन से अधिक गावों में घुसा बाढ़ का पानी

गोंडा, 02 अगस्त । घाघरा व सरयू नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण दोनों नदियां उफान पर हैं। घाघरा खतरे के निशान से 108 तथा सरयू 42 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। जिससे कर्नलगंज के एल्गिन चरसडी व तरबगंज के भिखारीपुर बांध को खतरा मडराने लगा है। इन नदियों में एक सप्ताह से लगातार छोड़े जा रहे पानी से नदी पूरे शबाब पर है। शुक्रवार को विभिन्न बैराजों से छोड़े गए करीब साढे तीन लाख क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज शनिवार को जारी रहा। रविवार को भी बांध के आस पास वाले गांव में बाढ़ के पानी का फैलाव तेजी से हो रहा है। सात गांव बाढ़ के पानी से बुरी तरह प्रभावित हो चुके हैं। जिसमें ग्राम माझा रायपुर, परसावल, नेपुरा, पारा, बेहटा और कमियार, यह बाराबंकी और गोंडा जिले की सीमा पर बसे गांव हैं तथा करनैलगंज तहसील के ग्राम नकहरा के नौ मजरे पूरी तरह बाढ़ के पानी से डूब चुके हैं और सभी मजरे अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।

एल्गिन चरसडी बांध बनने के बाद पहली बार आए पानी के इतने बड़े सैलाब से ग्रामीण भयभीत हैं। ग्रामीणों के मुताबिक पहली बार घाघरा नदी में इतना पानी आ रहा है। इसके पूर्व घाघरा नदी का फैलाव मात्र एक किलोमीटर की परिधि में था। जो अब बढ़कर करीब ढाई किलो मीटर से भी ज्यादा हो गया है। जिससे पानी का दबाव बांध एवं आसपास के गांव में कम होना चाहिए, मगर पानी का जबरदस्त सैलाब आने से घाघरा नदी 108 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच चुकी है और जिन गांवों में आज तक पानी नहीं घुसा वहां तक घाघरा के बाढ़ का पानी दस्तक दे चुका है।

गोंडा और बाराबंकी जिले की सीमा पर बसी ग्राम पंचायतें कमियार, माझा रायपुर, परसावल, नैपुरा तो पूरी तरह जलमग्न हो चुकी हैं। इसके अलावा ग्राम पारा और बेहटा के अधिकांश मजरे बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं। करनैलगंज तहसील के ग्राम नकहरा के 9 मजरे पूरी तरह पानी में डूब चुके हैं। जहां की स्थिति लगातार भयावह होती जा रही है और ग्रामीण परेशान हैं। प्रशासन ने ग्रामीणों के सुख सुविधा के लिए बाढ़ चौकी की स्थापना कर दी है। जहां राजस्व के अधिकारी और कर्मचारी कैम्प कर रहे हैं और पल-पल की सूचना अधिकारियों को दे रहे हैं। मगर ग्रामीणों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है।

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