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चीन में नए सिविल कोड ने बदल दी महिलाओं की जिंदगी, घरेलू कामकाज के बदले पत्नी को मिला 7,700 डॉलर का मुआवजा

बीजिंग। चीन में लागू हुए नए सिविल कोड (नागरिक संहिता) के तहत आए पहले फैसले से चीन में तीखी बहस छिड़ गई है। तलाक की अर्जी पर आए इस फैसले में अदालत ने पति को आदेश दिया कि साथ रहने के वर्षों के दौरान पत्नी ने जो घरेलू कार्य किए, उसके बदले वह उसे 7,700 डॉलर का भुगतान करे। चीन के सरकार समर्थित संगठन ऑल चाइना वूमन्स फेडरेशन के मुखपत्र चाइना वूमन्स न्यूज में इस केस के बारे में रिपोर्ट छपी है।


इसके मुताबिक वांग उपनाम की एक महिला ने पिछले साल अपने पति से तलाक के लिए अर्जी दी थी। उसने कहा था कि उसका पति घरेलू कामकाज में हिस्सा नहीं बंटाता और वह उसकी देखभाल नहीं करता है। साथ ही वह रोज उसे बच्चों की देखभाल के लिए उसे घर पर छोड़ कर अपने काम पर चला जाता है। बीजिंग स्थित एक अदालत ने इस मामले में फैसला पत्नी के हक में सुनाया। उसने पति को आदेश दिया कि घरेलू कार्यों की उपेक्षा करने के एवज में वह पत्नी को 50 हजार युवान (7,700 डॉलर) का भुगतान करे।

शंघाई से चलने वाली वेबसाइट सिक्स्थटॉन.कॉम के मुताबिक फैसला देने वाली बेंच के प्रमुख जज फेंग मिआओ ने बीते सोमवार को मीडिया को फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि शादी टूटने के बाद दंपति की जायदाद का विभाजन करते वक्त ठोस संपत्तियों को ध्यान में रखा जाता है। घरेलू कार्य ऐसी संपत्ति है, जिसका भी मूल्य होता है, लेकिन जिसकी गणना ठोस संपत्तियों में नहीं होती।

चीन में पिछले एक जनवरी से लागू हुए नए सिविल कोड के मुताबिक अगर किसी दंपति के बीच कोई सदस्य बच्चों के पालन-पोषण, बुजुर्गों की देखभाल, घरेलू कार्य आदि में ज्यादा जिम्मेदारियां निभाता है, तो वह तलाक के समय अपने पार्टनर से मुआवजा मांगने का अधिकारी है। लेकिन ऐसे मुआवजे का दावा वही तभी कर पाएगा, जब विवाह के वक्त दोनों ने इससे संबंधित करार पर दस्तखत किए हों। लेकिन चीन में पारंपरिक रूप से ऐसा करार होने की प्रथा नहीं है।

फैसले की जानकारी आने के बाद चीन की ऑनलाइन मीडिया पर इसको लेकर तीखी बहस चल रही है। कई लोगों ने इस निर्णय को सकारात्मक बताया है। लेकिन कुछ लोगों ने कहा है कि चीन में गृहणियों को घरेलू कामकाज का जितना बोझ उठाना पड़ता है, उसे देखते हुए कोर्ट ने मुआवजे की जो रकम तय की, वह बहुत कम है। एक वेबसाइट के कराए सर्वेक्षण में चार लाख लोगों ने भाग लिया। उनमें से 93 फीसदी ने राय जताई कि 50 हजार युवान मुआवजे के रूप में रकम बहुत कम है। ये मांग भी उठी है कि पहले से करार होने पर भी किसी पीड़ित पार्टनर को मुआवजा मांगने का हक होना चाहिए।

लेकिन शेनयांग लॉयर्स एसोसिएशन की महासचिव झांग यान ने वेबसाइट सिक्स्थटोन से कहा कि मुआवजे के नए कानून से चीन की भावी गृहणियों के अधिकारों की बेहतर ढंग से सुरक्षा होगी। उन्होंने कहा कि गृहणियों को न सिर्फ ढेर सारे घरेलू काम करने पड़ते हैं, बल्कि अपनी इन जिम्मेदारियों की वजह से वे समाज से भी कट जाती हैं। पत्नी-पत्नी के रिश्ते में निश्चित रूप से पत्नी ज्यादा कमजोर स्थिति में रहती है।

जानकारों का कहना है कि चीन में दिख रहे नए ट्रेंड के मद्देनजर मुआवजे के मामले में ठोस नियमों की जरूरत है। विश्व श्रम संगठन के एक ताजा आंकड़ों के मुताबिक चीन में 2010 में 63.9 फीसदी महिलाएं नौकरी-पेशा थीं। यह आंकड़ा पिछले साल गिर कर 59.8 फीसदी रह गया।

चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के 2018 के एक सर्वे के मुताबिक चीन में महिलाएं रोज औसतन तीन घंटा 20 मिनट घरेलू कार्य करती हैं। पुरुष इससे डेढ़ घंटा कम समय इन कार्यों में लगाते हैं। जानकारों का कहना है कि इसे देखते हुए महिलाओं की परिवार में भूमिका को अधिक मान्यता मिलनी चाहिए और उसकी कीमत अधिक उदारता से लगाई जानी चाहिए।

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