इंदौर न्यूज़ (Indore News)

103 एकड़ अतिशेष घोषित मौर्या हिल्स पर हो रही हैं धड़ल्ले से रजिस्ट्रियां

कृषि जमीनों के नाम पर बड़े-बड़े भूखंडों को खरीद…रसूखदार तान रहे हैं अवैध बंगले…
कालोनाइजर से लेकर अफसरों से लेकर कई व्यापारी जमीन खरीददारों में शामिल
बड़ों को आराम… छोटों का काम तमाम
इंदौर, राजेश ज्वेल।
एक तरफ प्रशासन (Administration) कनाडिय़ा रोड (Kanadiya Road) पर बने दो अवैध मैरिज गार्डनों (Illegal Marriage Gardens) को जमींदोज करने के साथ एक हजार करोड़ की सीलिंग (Ceiling) जमीनों की जांच शुरू करता है, वहीं दूसरी तरफ इसी के आगे 103 एकड़ अतिशेष घोषित हो चुकी मौर्या हिल्स की जमीनों पर धड़ल्ले से रजिस्ट्रियां (Registries) हो रही हंै और पहाड़ी खुदाई के साथ अवैध भव्य बंगले बनाए जा रहे हैं। मास्टर प्लान में भूरी टेकरी की यह पूरी जमीन लो डेंसिटी (Low Density) एरिया घोषित है, जहां पर सिर्फ 0.15 एफएआर के साथ ही निर्माण किया जा सकता है। मगर वास्तुविद लवकेश तिवारी (Architect Lavkesh Tiwari) सहित कई रसूखदारों के बड़े-बड़े बंगले तन गए हैं। इतना ही नहीं, पिछले कुछ महीनों में ही अफसर, कालोनाइजर से लेकर शहर के कई बड़े व्यापारियों ने कृषि जमीनों (Agricultural Lands) के रूप में बड़े-बड़े आकार के भूखंड खरीदे। इन पर आने वाले समय में ऐसे ही भव्य बंगले बनाए जाएंगे, जबकि कुछ समय पूर्व ही कलेक्टर ने खेती की जमीनों को टुकड़ों में बेचकर उस पर अभिन्यास मंजूर करवाकर विकास अनुमति लेने पर रोक भी लगाई थी, क्योंकि इससे अनियोजित विकास होता है।


अभी जब अवैध निर्माण (Illegal Construction)  तोड़े जा रहे हैं तो मीडिया से लेकर आमजन का पहला सवाल यह रहता है कि जब यह निर्माण हो रहे थे तब क्यों नहीं रोका गया..? मगर हकीकत यह है कि जब निर्माण शुरू होते हैं तब रसूखदार दबाव-प्रभाव के चलते कार्रवाई से बच जाते हैं। अभी मौर्या हिल्स पर जो अवैध बंगले (Illegal Bungalows) बन रहे हैं वह जब कुछ समय बाद अगर तोड़े जाएंगे तब भी यही सवाल उठेगा कि जब बन रहे थे तब क्यों नहीं निर्माण रूकवाया गया..? अग्निबाण ने भूमाफियाओं (Land Mafia) के खिलाफ जब पूर्व में भी मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुहिम शुरू हुई थी, तब चार किश्तों में मौर्या हिल्स के भू-घोटाले को सिलसिलेवार उजागर किया था, लेकिन जांच के अभाव में उलटे धड़ल्ले से रजिस्ट्रियां होने लगी। इसी साल मार्च-अप्रैल से लेकर अभी तक कई रजिस्ट्रियां मौर्या हिल्स (Maurya Hills)  की जमीनों की करवाई गई, जिसमें अफसर से लेकर कालोनाइजर और अन्य व्यापारी शामिल हैं। सारडा, लाखोटिया, मूंदड़ा से लेकर एक्रुअल रियलिटीज के डायरेक्टर आयुष पिता राजेन्द्र जैन ने लगभग डेढ़ लाख स्क्वेयर फीट जमीनों की दो अलग-अलग रजिस्ट्रियां करवाई और अन्य भूखंडों की भी इसी तरह रजिस्ट्रियां निरंतर जारी है, जिस पर आने वाले समय में इसी तरह भव्य बंगले बनाए जाएंगे। जबकि ड्रेनेज, पानी से लेकर अन्य कोई मूलभूत सुविधाएं कालोनाइजर ने नहीं जुटाई और पिछले दिनों ही इस तरह जमीनों पर स्वयं के आवास के अभिन्यास मंजूर करवाकर नक्शे मंजूरी के मामले में कलेक्टर ने रोक भी लगवाई और निगमायुक्त श्रीमती प्रतिभा पाल (Municipal Commissioner Smt. Pratibha Pal) ने भी इस तरह के निर्देश जारी किए। यह भी महत्वपूर्ण है कि मौर्या हिल्स और उससे लगी कुल 133 एकड़ अतिशेष यानी सीलिंग की इन जमीनों के संबंध में 24 साल पहले न्यायालय अपर आयुक्त इंदौर संभाग ने एक महत्वपूर्ण आदेश 19.12.1997 पारित किया, जिसमें 30 एकड़ जमीन पर चूंकि साकेत कालोनी विकसित हो गई थी, लिहाजा उसे छोड़ा गया और शेष 103.60 एकड़ मौर्या हिल्स (Maurya Hills)  की जमीन को अतिशेष घोषित किया गया। बीजे कम्पनी की तमाम दलीलों को नकारते हुए यह अतिशेष घोषित करने का आदेश जारी हुआ, जिस पर लगभग 200 भूखंड काटकर फार्म हाउस के नाम पर बेच दिए गए थे, जिनमें से अब फिर नए सिरे से बिक रहे हैं। उत्तम झंवर व अन्य के नाम पर मौर्या हिल्स की ये जमीनें हैं, लेकिन रसूख के बल पर सालों से कोई जांच-पड़ताल ही इस बड़े भू-घोटाले को लेकर नहीं हुई। मौर्या हिल्स की 100 एकड़ से अधिक अतिशेष जमीन सालों से खाली पड़ी है और उसके पहले कनाडिय़ा रोड पर अभी पटेल बंधुओं के मैरिज गार्डनों को तोडक़र एक हजार करोड़ रुपए की सीलिंग जमीनों की जांच शुरू करवाई गई। जबकि शासन सुप्रीम कोर्ट में भी हार चुका है। दूसरी तरफ मौर्या हिल्स की जमीनों की धड़ल्ले से रजिस्ट्रियां हो रही है और बंगले भी बन रहे हैं।

निगम को होश नहीं… पहाड़ी पर लगातार अवैध खुदाई भी
पिछले दिनों नगर निगम (municipal Corporation)  ने 8 प्रकरणों की जांच कर नगर तथा ग्राम निवेश को मंजूर किए गए अभिन्यास को निरस्त करने को कहा था। मगर खुद नगर निगम शहरभर में अवैध निर्माण करवाने का सबसे बड़ा दोषी रहा है और मौर्या हिल्स (Maurya Hills)  पर बन रहे अवैध बंगलों की भी आज तक जांच नहीं की गई। जबकि 2005-06 में वन आवास के मंजूर अभिन्यासों पर निगम ने भवन अनुज्ञा देने से इनकार करते हुए नोटिस भी जारी किए और तत्कालीन एसडीओ ने जमीन का डायवर्शन करने से भी इनकार किया, क्योंकि भू-उपयोग आवासीय था। मजे की बात यह है कि कृषि के नाम पर हो रही रजिस्ट्री के बाद भव्य बंगले बनाए जा रहे हैं, जबकि शहर में अब कृषि यानी खेती की जमीन वैसे भी नहीं बची है। यानी अवैध निर्माण के साथ-साथ स्टाम्प ड्यूटी की भी बड़ी चोरी हो रही है।
वन आवास के नाम पर भी मंजूर हो चुके हैं कई नक्शे
हाउसिंग बोर्ड या इंदौर विकास प्राधिकरण की योजनाओं से बचने के लिए मौर्या हिल्स (Maurya Hills)  की जमीनों पर धड़ल्ले से वन आवास के नक्शे भी मास्टर प्लान आने से पहले मंजूर करवाए गए। ये नक्शे झंवर बंधुओं और उनके रिश्तेदारों के अलावा जमीन के बड़े-बड़े टुकड़े खरीदने वालों ने भी मंजूर करवाए। इतना ही नहीं जो आरई-2 अभी बन रहा है उसका अलाइनमेंट भी मौर्या हिल्स के कर्ताधर्ताओं ने संशोधित करवा लिया था। नगर तथा ग्राम निवेश से मंजूर वन आवासों में हजारों पेड़ लगाने की जानकारी दी गई, जिसकी जांच में बड़ा पर्यावरण घोटाला भी निकलेगा।


कनाडिय़ा थाने में धूल खा रही है धोखाधड़ी की शिकायत
मौर्या हिल्स (Maurya Hills)  की 133 एकड़ जमीन की अवैध रजिस्ट्री ( Illegal Registry ) और नामांतरण के साथ धोखाधड़ी की शिकायत कनाडिय़ा रोड थाने पर नागपुर के निवासी आदित्य प्रताप शाह ने सौंप रखी है, जिसमें उसने आरोप लगाए हैं कि यह जमीन श्रीमंत राजकन्या सावित्रीबाई बंसुड़े, जिनका मैं ग्रैंड सन यानी पोता हूं के स्वामित्व व आधिपत्य की होकर उपपंजीयक इंदौर के समक्ष रजिस्टर्ड वसीयत लेख नम्बर 51, दिनांक 03.09.1968 को मेरे नाम पर निष्पादित की गई और जमीन का मालिकाना हक मेरी उम्र 25 साल होने पर मेरे नाम हस्तांतरित व नामांतरित करने का अधिकार दिया गया। लेकिन यह पूरी जमीन षड्यंत्रपूर्वक और कूटरचित दस्तावेज के आधार पर बीजे कम्पनी और उनके कर्ताधर्ताओं ने हड़प ली। अब देखना यह है कि माफियाओं के खिलाफ शुरू हुए इस अभियान में इस शिकायत पर भी कोई सुनवाई-कार्रवाई होती है या नहीं..?

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