उज्‍जैन न्यूज़ (Ujjain News) मध्‍यप्रदेश

उज्जैन में हो रहा 108 वर्षीय अखंड महामृत्युंजय महायज्ञ, वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में हुआ शामिल

उज्जैन। मध्यप्रदेश के उज्जैन (Ujjain) में शिप्रा तट गंगा घाट (Shipra Beach Ganga Ghat) पर स्थित श्री मोन तीर्थ पीठ (Mon Tirth Peeth) पर विगत सात साल से प्रतिदिन भगवान के पूजन-अर्चन के साथ उनकी प्रसन्नता के लिए 108 वर्षीय अखंड महामृत्युंजय महायज्ञ किया जा रहा है। इसमें प्रतिदिन महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. सुमनानंद गिरि महाराज आहुतियां देते हैं। 108 साल के लिए किए जा रहे इस अखंड महामृत्युंजय महायज्ञ की जानकारी देते हुए मोन तीर्थ के पीठाधीश्वर और महामंडलेश्वर स्वामी डॉ सुमनानंद गिरि महाराज ने बताया, साल 2016 में ब्रह्म ऋषि श्री श्री मोनी बाबा ने राष्ट्र कल्याण के लिए इस महायज्ञ की शुरुआत की थी, जिसके लिए वह हिमालय के त्रियुगी नारायण से पैदल अग्नि लाकर श्री मोहन तीर्थ पीठ पहुंचे थे। जहां इसी अग्नि से इस 108 वर्षीय अखंड महायज्ञ की अग्नि प्रज्जवलित की गई थी।

इस महायज्ञ में आध्यात्मिक गुरु योगीराज पायलट बाबा, अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि, मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री एवं साध्वी उमा भारती, संगीतज्ञ उस्ताद अमजद अली खान, फिल्म निर्देशक गोविंद पहलानी, प्रसिद्ध गायक आलम अरमान मलिक और देश की कई प्रसिद्ध हस्तियां आहुतियां दे चुकी हैं।

सात साल से नित्य किए जा रहे 108 वर्षीय अखंड महामृत्युंजय महायज्ञ को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल कर लिया गया है। इंदौर के बाइपास रोड स्थित सिटी क्लब डीएलएफ गार्डन में आयोजित समारोह में मोन तीर्थ के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी डॉ. सुमनानंद गिरि महाराज को यह अवार्ड प्रदान किया गया।


महामंडलेश्वर स्वामी सुमनानंद गिरि ने बताया कि मोन तीर्थ पर असाध्य रोगों के निवारण के लिए तीन साल तीन महीने और तीन दिन का विशिष्ट यज्ञ भी किया जाता है, जिससे कैंसर जैसे असाध्य रोगों का निवारण भी हो चुका है। बताया जाता है कि दिल्ली निवासी उमंग मेहंदी दत्ता और पूजा मेहंदी दत्ता के सात साल के पुत्र को भी यही असाध्य बीमारी थी। उनकी मांसपेशियां काम नहीं कर रही थी। डॉक्टरों ने यह कह दिया था कि अब यह बीमारी ठीक नहीं हो सकती है, लेकिन दत्ता दंपत्ति ने यह विशिष्ट यज्ञ कराया, जिससे अब बच्चा अब पूर्णतः स्वस्थ है।

महामंडलेश्वर डॉ. सुमनानंद गिरी बताते हैं कि यज्ञ मे प्रतिदिन आहुतियां देने के साथ ही देवी देवताओं को प्रसन्न किया जाता है। अकाल मृत्यु रोग निवारण और भय मुक्ति के लिए पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए आहुतियां दी जाती है। जबकि वर्ष में 4 बार आने वाली नवरात्रि पर मां दुर्गा और मां गायत्री की प्रसन्नता के लिए आहुतिया दी जाती है। इसके साथ ही कार्तिक कृष्ण पक्ष में धन प्राप्ति और व्यापार वृद्धि के लिए भगवान कुबेर को आहुतियां दी जाती है, जबकि हनुमान जयंती पर शत्रु नाश के साथ ही विशेष पर्व पर समस्त देवी देवताओं के निमित्त आहुतियां दी जाती है, जिससे कि देवी देवता इस यज्ञ से प्रसन्न रहें।

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