नई दिल्ली: भारत की 140 करोड़ आबादी ने अपनी ताकत दिखा दी है. पाकिस्तान से तनाव के बीच भारतीयों ने मुस्लिम देश तुर्की और अजरबैजान को बता दिया कि कैसे बिना गोली और बोली के उन्हें घुटनों पर लाया जा सकता है. दरअसल, तुर्की और अजरबैजान की गिनती पाकिस्तान के सबसे अच्छे दोस्तों में होती है. भारत से तनाव में दोनों ने पाकिस्तान का साथ भी दिया. हालांकि वो पाकिस्तान को मात खाने से नहीं बचा पाए और उल्टे उनकी बेइज्जती हो गई. टेंशन में जब दोनों मुस्लिम देशों ने अपना रंग दिखाया तो भारतीयों ने भी ठान लिया कि उनको सबक सिखाना जरूरी हो गया है.
फिर क्या था भारतीयों ने सोशल मीडिया पर बॉयकाट तुर्की और अजरबैजान नाम से मुहिम छेड़ी दी. इसमें ट्रैवल एजेंसियां भी शामिल हो गईं. उन्होंने दोनों देशों के लिए बुकिंग पर रोक लगा दी. ट्रैवल प्लेटफॉर्म ईजमाईट्रिप ने एक एडवाइजरी जारी कर यात्रियों से कहा है कि वे तुर्की और अजरबैजान की यात्रा केवल अत्यंत आवश्यक होने पर ही करें. इक्सिगो ने तो तुर्की और अजरबैजान के लिए सभी उड़ान और होटल बुकिंग निलंबित कर दी.
कॉक्स एंड किंग्स की ओर से कहा गया कि हमने अजरबैजान और तुर्की के लिए सभी नए यात्रा प्रस्तावों को रोकने का फैसला किया है. हम भारतीय यात्रियों को भी सलाह देते हैं कि वे अपने विवेक का प्रयोग करें और किसी भी गैर-जरूरी यात्रा से बचें.
तुर्की की सरकार के अनुसार, पिछले साल 3,30,000 भारतीयों ने तुर्की की यात्रा की, जबकि 2014 में यह संख्या 119,503 थी. इसके टूरिज्म बोर्ड ने कहा कि तुर्की का पर्यटन राजस्व 2024 में 61.1 बिलियन डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 8.3 प्रतिशत की वृद्धि है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल तुर्की में पर्यटकों का औसत खर्च 82,922 रुपये था.
तुर्की की तरह हाल के वर्षों में अजरबैजान ने भी भारतीयों का ध्यान आकर्षित किया है. अजरबैजान पर्यटन बोर्ड के हवाले ने कहा कि 2014 में सिर्फ 4,853 भारतीय अजरबैजान आए थे, जबकि 2024 में पर्यटकों की संख्या बढ़कर 243,589 हो गई. 2023 में लगभग 1.17 लाख भारतीय देश में आए थे. रूस, तुर्की और ईरान के बाद भारत, अजरबैजान के लिए चौथा सबसे बड़ा पर्यटक स्रोत बनकर उभरा है. अब जब बुकिंग को निलंबित कर दिया गया है तो भारतीय भी तुर्की और अजरबैजान जाने से बच रहे हैं. उन्होंने दोनों मुस्लिम देशों को घुटनों पर लाने के लिए ये फैसला लिया है.
तुर्की और अजरबैजान से पहले भारतीय मालदीव को भी कड़ा सबक सिखा चुके हैं. ये बात है पिछले साल के शुरुआत की. तब पीएम मोदी ने लक्षद्वीप की एक फोटो डाली दी. उन्होंने ज्यादा से ज्यादा भारतीयों को वहां की यात्रा करने की अपील की थी. पीएम मोदी की इस अपील के बाद मालदीव के कई मंत्री भड़क गए थे और उन्होंने विवादित बयान दिया था. इसके बाद भारतीयों ने मालदीव को पाठ पढ़ाने की ठान ली थी. उन्होंने बॉयकाट मालदीव ट्रेंड चलाया.
भारतीयों के इस फैसले के बाद मालदीव को भारी नुकसान हुआ और वहां का पर्यटन घुटनों पर आ गया. बाद में मालदीव को अपनी गलती का अहसास हुआ और भारत के सामने गिड़गिड़ाने लगा. उसने भारतीयों से मालदीव की यात्रा करने की अपील की. बता दें कि भारतीय अच्छी खासी संख्या में छुट्टियां बिताने मालदीव जाते हैं. देश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का योगदान लगभग एक तिहाई है. टूरिज्म के लिए वो विशाल पड़ोसी भारत पर निर्भर करता है.
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