इंदौर, राजेश ज्वेल। प्राधिकरण ने रिंग रोड पर योजना-97 वर्ष 1981 में घोषित की थी और इसे चार भागों में बांटा। योजना में शामिल जमीनों का अवॉर्ड भी प्रशासन ने घोषित कर दिया। मगर इसमें शामिल कुछ गृह निर्माण के साथ निजी जमीनों को दो साल में विकसित करने की शर्त पर छोड़ा भी गया। मगर अभी दो साल पहले सुप्रीम कोर्ट आदेश के चलते प्राधिकरण योजना में शामिल सभी खुली जमीनों का मालिक बताया गया और इस आधार पर नगर तथा ग्राम निवेश से पिछले महीने प्राधिकरण ने अभिन्यास भी मंजूर करवाया। मगर कई बेशकीमती जमीनों को छुड़वाने के जहां उच्च स्तरीय प्रयास लगातार जारी रहे, तो इसी तरह ज्योति गृह निर्माण संस्था की 10 एकड़ जमीन को भी कब्जे में नहीं लिया और 100 करोड़ रुपए से अधिक कीमत की इस जमीन को लेकर बड़ा खेला चलता रहा। जबकि मौके पर शॉपिंग मॉल का अभिन्यास भी चार साल पहले निरस्त हो चुका है और कई एनओसी भी जारी कर दी गई।
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने जो महत्वपूर्ण फैसला योजना-97 की जमीनों को लेकर सुनाया उसके चलते प्राधिकरण को हजारों करोड़ रुपए की जमीनें हासिल हो गई है और फैसले के बाद प्राधिकरण के अधिकारियों ने दावा भी किया कि जो गलत तरीके से एनओसी जारी हुई है उन्हें निरस्त किया जाएगा। 1980 से 1983 के बीच अधिकांश एनओसी जारी की गई और लगभग 60 से अधिक एनओसी धारा 50-7 में योजना को अंतिम रूप देने के बाद जारी की गई। इतना ही नहीं, इन जमीनों का अवॉर्ड भी पारित हो गया। भले ही जमीन मालिकों ने मुआवजा हासिल किया हो अथवा नहीं। मगर शासन के पास मुआवजा तो जमा करवा ही दिया था। इसमें ज्योति गृह निर्माण संस्था की 10 एकड़ जमीन को लेकर 4 साल पहले भी मामला सुर्खियों में आया और यहां बन रहे एक शॉपिंग मॉल का अभिन्यास भी नगर तथा ग्राम निवेश ने निरस्त कर दिया।
ग्राम तेजपुर गड़बड़ी के सर्वे नम्बर 304 से लेकर 308 व अन्य की लगभग 10 एकड़ जमीन को प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट आदेश के बावजूद कब्जे में नहीं लिया और यहां तक कि अभी जो नगर तथा ग्राम निवेश से 27 मई को योजना 97 पार्ट-2 का अभिन्यास मंजूर करवाया उसमें भी यह टीप लिखी है कि भू-अर्जन अधिकारी के पत्र क्रमांक 2239 दिनांक 19.05.2025 अनुसार संकल्प क्रमांक 30 से प्रभावित भूमि एवं अवॉर्ड से कम की गई भूमि खसरा नम्बर 307 व अन्य की शामिल है। अब यह समझ से परे है कि नगर तथा ग्राम निवेश ने मंजूर अभिन्यास में इस तरह की टीप क्यों दर्शाई और इससे संस्था को भविष्य में किस तरह से लाभ मिलेगा, जबकि नगर तथा ग्राम निवेश लगभग ढाई एकड़ पर मंजूर मल्टीप्लेक्स और शॉपिंग मॉल का अभिन्यास 30 मार्च 2021 को निरस्त कर चुका है और संस्था की जमीन पर एनओसी नए सिरे से हासिल करने के भी प्रयास लगातार जारी हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि तत्कालीन नगरीय विकास और आवास मंत्री ने भी इस मामले की जांच के निर्देश प्राधिकरण सीईओ को दिए थे। बावजूद इसके ना तो प्राधिकरण ने जांच की और ना ही संस्था की जमीन का कब्जा लेने के कोई प्रयास किए।
अवैध उत्खनन के साथ प्रशासन ने पकड़ा था भू-घोटाला
चार साल पहले प्रशासन ने हुकमाखेड़ी की जमीन पर विशाल बेसमेंट की खुदाई में अवैध उत्खनन का मामला पकड़ते हुए लगभग 5 करोड़ रुपए का जुर्माना भी आरोपित किया था। उस दौरान जब जमीन की जांच की गई तो पता चला कि एक शॉपिंग मॉल लाभम् ग्रुप द्वारा बनाया जा रहा है, जो कि प्राधिकरण की योजना में शामिल अवॉर्ड पारित जमीन पर निर्मित हो रहा है। इसी आधार पर नगर तथा ग्राम निवेश ने 4 जनवरी 2020 को मंजूर शॉपिंग मॉल के अभिन्यास को निरस्त कर दिया था। उक्त शॉपिंग मॉल सुयश एग्जिम प्रा.लि. द्वारा निर्मित किया जा रहा था।
दो वर्ष की अवधि में पूरा नहीं किया विकास कार्य
एक तरफ सुयश एग्जिम के शॉपिंग मॉल का अभिन्यास निरस्त हुआ, तो दूसरी तरफ ज्योति गृह निर्माण की जमीन पर बन रहे ग्रांड जोडियक शॉपिंग मॉल का अभिन्यास भी निरस्त किया गया और चार सालों से इसका काम रूका पड़ा है। योजना-97 घोषित करते वक्त यह तय किया था कि रजिस्टर्ड गृह निर्माण संस्थाओं के आधिपत्य वाली जमीनों को 2 साल की अवधि में निजी विकास पूर्ण करना पड़ेगा और नगर तथा ग्राम निवेश अभिन्यास स्वीकृत कर सकेगा। मगर इस शर्त का पालन भी ज्योति गृह निर्माण द्वारा नहीं किया गया और टुकड़ों में जमीनें भी बेच डाली।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved