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VHP केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में 4 प्रस्ताव पारित, समान नागरिक संहिता को लागू करने की मांग

हरिद्वार। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) की केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल (Central Guiding Board) की बैठक के दूसरे दिन रविवार को चार प्रस्ताव पारित किए गए। इस दौरान कुटुंब प्रबोधन, समान नागरिक संहिता, धर्मांतरण, लव जिहाद, कश्मीर टारगेट किलिंग और काशी में ज्ञानवापी और मथुरा(Gyanvapi and Mathura) में कृष्ण जन्म भूमि सहित कई विषयों पर चर्चा हुई। मार्गदर्शक मंडल ने समान नागरिक संहिता (uniform civil code) को देशभर में लागू करने की अपनी मांग दोहराई।

सत्र की अध्यक्षता करते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती(Shankaracharya Swami Vasudevananda Saraswati) ने कहा कि विहिप की यह बैठक संत समाज के विचारों का मंथन है, जिससे अमृतरूपी विचार निकलेंगे और सम्पूर्ण विश्व में सार्थक संदेश जाएगा। देशभर में जुमे की नमाज के बाद होने वाले दंगों पर आक्रोश प्रकट (express outrage) करते हुए कहा कि यह विधर्मियों की सोची समझी साजिश है। इसको रोकने के लिए केन्द्र सरकार सख्त और प्रभावी कानून बनाए।

कृष्णानंद महाराज (Krishnanand Maharaj) ने पंजाब के वर्तमान हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पंजाब 1984 के आतंकवाद के भीषण दौर को दोहराने के कगार पर है। आज सिख गुरुओं की शिक्षा पर चलने की आवश्यकता है। मध्य प्रदेश के संग्राम महाराज ने कहा हिन्दू धर्म ग्रंथों का विस्तार हिमालय से भी ऊंचा है। केंद्रीय मार्गदर्शक मण्डल की दो दिवसीय बैठक के दोनों सत्रों में उपस्थित रहे देश के शीर्ष संतों और धर्माचार्यों ने समान नागरिकता कानून को उत्तराखंड राज्य में लागू करने की प्रतिबद्धता पर उत्तराखंड सरकार (Government of Uttarakhand) का धन्यवाद करते हुए हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव की सभी को शुभकामनाओं के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन चरित्र को आत्मसात करने का संदेश दिया। देश की वर्तमान परिस्थितियों पर गहन चिन्तन मंथन करने के पश्चात सर्वसम्मति से 4 विषयों को महत्वपूर्ण मानते हुए निम्नलिखित प्रस्ताव को पारित किया गया।



ये हैं चार प्रस्ताव
1. कुटुम्ब प्रबोधन के माध्यम से समाज में पारिवारिक आत्मीयता और देश के प्रति जिम्मेदारी का भाव जागृत करने के उद्देश्य से कार्य करने की आवश्यकता है।
2. देश में निर्बाध चल रहे अवैध धर्मान्तरण पर तत्काल रोक लगाने के लिए कठोर कानून बनना चाहिए।

3. देश में समान नागरिक कानून को व्यापक विचार-विमर्श के पश्चात सर्वसम्मति के आधार पर कानून लागू करना चाहिए।

4. देश के सभी मठ-मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से बाहर किया जाए।

बैठक में निर्मल पीठाधीश्वर श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह, निरंजन पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि, युग पुरुष स्वामी परमानंद महाराज, श्रीमहंत रवीन्द्रपुरी महाराज, म.म.स्वामी प्रेमानंद, महामंडलेश्वर स्वामी जनार्दन हरी महाराज-महाराष्ट्र, स्वामी ललितानंद, महंत रामकृष्ण दास, म.म.स्वामी जितेंद्रदास-कानपुर, स्वामी निजानंद- गुजरात, स्वामी रामदास-हिमाचल, स्वामी आत्मानंद पुरी-गुजरात, स्वामी चिदंबरानंद, आचार्य महामंडलेश्वर विशोकानंद भारती, स्वामी श्यामानंद-चंडीगढ़, महंत ज्ञानानंद महाराज, साध्वी प्राची, म.म.रूपेन्द्रप्रकाश महाराज, स्वामी परमानंद सरस्वती-ओडिशा सहित देश भर से 178 शीर्ष संतों और 34 साध्वी धर्माचार्यों ने प्रतिभाग किया।

बैठक का संचालन विहिप के केन्द्रीय मंत्री अशोक तिवारी ने किया। इसमें पधारे संतजनों का स्वागत विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक दिनेश चन्द्र, केन्द्रीय उपाध्यक्ष एवं राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चंपत राय, केन्द्रीय संगठन महामंत्री विनायकराव देशपांडे, केन्द्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे, केन्द्रीय उपाध्यक्ष ओमप्रकाश सिंघल, केन्द्रीय मंत्री धर्मनारायण, राजेंद्र सिंह पंकज, राज बिहारी, केंद्रीय मंत्री एवं प्रांत अध्यक्ष उत्तराखंड रविदेव आनंद ने किया।

इस अवसर पर प्रमुख रूप से प्रांत संगठन मंत्री उत्तराखंड अजय कुमार, क्षेत्र सेवा प्रमुख भारत गगन अग्रवाल, प्रांत संयोजक बजरंग दल अनुज वालिया, विभाग अध्यक्ष बलराम कपूर, जिला अध्यक्ष नितिन गौतम, जिला मंत्री भूपेंद्र सैनी, जिला उपाध्यक्ष प्रभाकर कश्यप, मयंक चौहान, अमित मुल्तानिया आदि उपस्थित रहे

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