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भारत आए Tablighi Jamaat के 49 सदस्‍यों ने कबूला जुर्म, court ने सुनाई सजा

लखनऊ । विदेश से आए तबलीगी जमात (Tablighi Jamaat) के 49 सदस्‍यों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुशील कुमारी (Judicial Magistrate Sushil Kumari) ने इन सबको जेल में बिताई गई अवधि के कारावास और 1500 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया है।  उन्होंने अपने आदेश में कहा कि कोविड-19 (Covid 19) महामारी की असामान्य परिस्थितियों में अभियुक्तों ने उस समय अपराध किया, जब समाज में अविश्वास व डर का माहौल था। इसलिए सभी विदेशी अभियुक्तों को दंडित किया जाता है।


कई धाराओं में दर्ज हुआ था मुकदमा
पुलिस ने लखनऊ और अन्य जिलों के विभिन्न पुलिस थानों में इन लोगों के खिलाफ आईपीसी (Indian Penal Code) की धारा 188, 269, 270, 271 व महामारी अधिनियम, पासपोर्ट अधिनियम, विदेशियों विषयक अधिनियम तथा आपदा प्रबंधन अधिनियम की अलग अलग धाराओं में आरोप पत्र दाखिल किया गया था।

भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 188 के अनुसार किसी भी पब्लिक सर्वेंट (Public Servant) के द्वारा जारी किए गए ऑर्डर (Order) को न मानने वालों के खिलाफ सजा का प्रावधान दिया गया है। इसके मुताबिक, “जो कोई भी जानबूझकर पब्लिक सर्वेंट के आदेश की अवमानना करता है, उसको जेल की सजा या जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं.”। वही धारा 269 और 270 जिसमें लोक स्वास्थ्य, सुरक्षा, सुविधा, शालीनता और नैतिकता को प्रभावित करने वाले अपराधों का उल्लेख है।  धारा 269 के अनुसार, “जो कोई विधिविरुद्ध रूप से या उपेक्षा से ऐसा कोई कार्य करेगा, जिससे कि और जिससे वह जानता या विश्वास करने का कारण रखता हो कि, जीवन के लिए संकटपूर्ण किसी रोग का संक्रमण फैलना संभाव्य है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा.” 

भारतीय दंड संहिता की धारा 271 एक ऐसा प्रावधान है, जब कोई घातक बीमारी लोगों पर अपना प्रभाव डालती है, जिसके लिए सरकार द्वारा लगाए गए संगरोधन आदेशों की आज्ञाकारिता की आवश्यकता होती है, और उसी समय की अवज्ञा के लिए दंड भी निर्धारित किया जाता है।

अदालत के समक्ष अभियुक्तों की ओर से कहा गया कि कोविड-19 महामारी एक असामान्य परिस्थिति थी। वे सभी विदेशी हैं। दूरिस्ट वीजा (Visa) पर भारत आए थे। उनके सभी कागजात वैध (Legal Documents) हैं। उनके द्वारा जानबूझकर कोई कृत्य नहीं किया गया है। वो अपने देश वापस जाना चाहते हैं इसलिए उन्हें कम से कम दंड से दंडित किया जाए।

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