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पांच उद्योगों में 2.60 लाख करोड़ के अवैध कारोबार से सरकार को लगी 58,521 करोड़ की चपत

नई दिल्ली। रोजमर्रा के उपभोग के सामान (एफएमसीजी) (everyday consumption goods- FMCG), तंबाकू उत्पाद, मोबाइल फोन और शराब सहित पांच प्रमुख उद्योगों (five major industries) में अवैध कारोबार की वजह से 2019-20 में कर के रूप में सरकारी खजाने को 58,521 करोड़ रुपये की चपत (Rs 58,521 crore loss) लगी है। उद्योग मंडल फिक्की ने बृहस्पतिवार को एक रिपोर्ट में कहा, 2019-20 में इन उद्योगों में अवैध कारोबार का आकार 2.60 लाख करोड़ से थोड़ा अधिक था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच प्रमुख उद्योगों में हुए कुल अवैध कारोबार में एफएमसीजी उद्योग की हिस्सेदारी 75 फीसदी थी। सरकार को होने वाले कुल कर नुकसान में दो अत्यधिक विनियमित और उच्च कर वाले उद्योग तंबाकू उत्पाद एवं शराब हैं। सरकार को हुए कुल कर नुकसान में इन दोनों की करीब 49 फीसदी हिस्सेदारी है।


इस उद्योग ने सरकार को लगाई सबसे ज्यादा चपत
इन पांच क्षेत्रों में अवैध व्यापार से सरकार को एफएमजीसी खाद्य वस्तुओं में 17,074 करोड़ के कर का नुकसान हुआ। शराब उद्योग में 15,262 करोड़, तंबाकू उद्योग में 13,331 करोड़ और एफएमसीजी घरेलू एवं निजी उपयोग उद्योग में 9,995 करोड़ की चपत लगी। मोबाइल फोन उद्योग में 2,859 करोड़ के कर का नुकसान हुआ।

करीब 16 लाख लोगों को गंवानी पड़ी नौकरी
फिक्की ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पांच प्रमुख उद्योगों में अवैध कारोबार की वजह से 2019-20 के दौरान करीब 16 लाख लोगों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी। इस दौरान एफएमसीजी खाद्य वस्तुओं में सबसे अधिक 7.94 लाख नौकरियां गईं। इसके बाद तंबाकू उद्योग में 3.7 लाख, एफएमसीजी घरेलू एवं निजी उपयोग उद्योग में 2.98 लाख और शराब उद्योग में 97,000 नौकरियां गईं। इसके अलावा, मोबाइल फोन उद्योग में 35,000 लोगों की नौकरी चली गई।

128 स्टार्टअप ने अगस्त में जुटाए 8,069 करोड़
128 घरेलू स्टार्टअप ने अगस्त में 99.5 करोड़ डॉलर (8,069.40 करोड़ रुपये) जुटाए हैं। ग्लोबल डाटा ने बृहस्पतिवार को रिपोर्ट में कहा कि वेंचर कैपिटल का यह आंकड़ा जुलाई में जुटाई गई पूंजी से 9.7 फीसदी ज्यादा है। संस्थान के प्रमुख विश्लेषक औरोज्योति बोस ने कहा कि जुटाई गई पूंजी अब भी एक अरब डॉलर से कम है। इस साल जनवरी-अगस्त के बीच 1,239 सौदे हुए।

डब्ल्यूटीओ में भारत घरेलू कीमतें घटाने को निर्यात पर लगाई रोक
भारत ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की बैठक में गेहूं व चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का बचाव किया है। एक अधिकारी के मुताबिक, भारत ने कहा कि घरेलू कीमतों पर काबू पाने और खाद्य सुरक्षा चिंताओं के कारण निर्यात पर अंकुश लगाना जरूरी हो गया। हालांकि, ये उपाय अस्थायी हैं। इन पर निगरानी हो रही है। पिछले हफ्ते जिनेवा में अमेरिका व यूरोपीय संघ ने कहा था कि भारत के इस फैसले से वैश्विक बाजारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

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