इंदौर। प्राधिकरण ने योजना 155 में 100 करोड़ रुपए की राशि वाले लगभग 847 फ्लैटों का निर्माण कुछ वर्ष पूर्व किया था और मजे की बात यह है कि एप्रोच रोड (approach road) यानी जाने का रास्ता बनाए बिना ही इन फ्लैटों का निर्माण कर दिया, जिसके चलते अभी तक मात्र 39 फ्लैट ही बिक सके हैं। अब प्राधिकरण के नवागत अध्यक्ष ने दौरा कर एप्रोच रोड बनाने की बात कही है, जिसके लिए प्राधिकरण खुद या निगम की सहायता से एप्रोच रोड बनाएगा, ताकि सुपर कॉरिडोर से सीधी कनेक्टीविटी हो सके और आईटी कम्पनियों (IT companies) के लोग ही ये सस्ते फ्लैट ले सकें। 20 से 25 लाख रुपए कीमत के ये फ्लैट पिछले कई वर्षों से बने पड़े हैं और पिछले दिनों प्राधिकरण ने इन फ्लेटों की कीमतों में कुछ कमी भी की थी। मगर प्रॉपर एप्रोच रोड ना बनने के कारण लोग इन फ्लैटों को लेने से कतराते रहे हैं, जबकि प्राधिकरण की अन्य योजनाओं में बने फ्लैटों की बुकिंग (booking) लगातार अच्छी रही है। खासकर आनंद वन में तो महंगे फ्लैट भी आसानी से बिके।
प्राधिकरण द्वारा कई योजनाओं में बहुमंजिला इमारतें (multi-storey buildings) बनाई गई है, जिनमें फ्लैटों के साथ-साथ नीचे व्यावसायिक दुकानें भी निर्मित की गई। योजना 140 आनंद वन में फेज-1 और फेज-2 में प्राधिकरण ने जो लग्जरी फ्लेट बनाए उनकी लगातार बुकिंग अच्छी रही है। 50 लाख रुपए से लेकर एक करोड़ रुपए से अधिक कीमत के ये फ्लैट निरंतर बिकते रहे हैं, लेकिन योजना 155 में प्राधिकरण ने कुछ वर्ष पूर्व 847 फ्लैटों का निर्माण किया था। सुपर कॉरिडोर के पास स्थित इस योजना में दरअसल एप्रोच रोड की समस्या है और पूर्व में भी इस पर चर्चा हुई, मगर रोड का निर्माण नहीं हो सकी।
अब चूंकि अध्यक्ष की नियुक्ति हो गई है, लिहाजा इस तरह के निर्णय फटाफट हो सकेंगे। कल अध्यक्ष जयपालसिंह चांवड़ा (President Jaipal Singh Chanwda) ने इन फ्लैटों का अवलोकन किया और ना बिकने का कारण पता किया और अधिकारियों को निर्देश दिए कि एप्रोच रोड के संबंध में बोर्ड प्रस्ताव तैयार करे। प्राधिकरण सीईओ विवेक श्रोत्रिय का कहना है कि एप्रोच रोड बन जाएगा तो सुपर कॉरिडोर पर स्थित आईटी कम्पनियां टीसीएस-इन्फोसिस (TCS-Infosys) में ही काम करने वाले अधिकांश लोग यहां पर फ्लैट ले लेंगे, क्योंकि अभी जो 39 फ्लैट बिके हैं, उनमें भी ज्यादातर फ्लेट आईटी कम्पनियों () के लोगों ने ही लिए हैं।
आनंद वन (Anand Van) का फ्लैट जहां 50 लाख का है, तो यहां के फ्लेट 20 से 25 लाख रुपए में मिल जाते हैं। एप्रोच रोड का निर्माण प्राधिकरण या नगर निगम की सहायता से भी कराया जा सकता है। पूर्व में इन फ्लैटों की कीमतें कुछ कम की थी और दीपावली पर भी प्राधिकरण ने इन फ्लैटों का प्रचार-प्रसार किया था और कुछ फ्लेट बुक भी हुए थे। ढाई लाख रुपए से लेकर 5 लाख रुपए तक की कीमत घटाने के बावजूद अधिकांश फ्लैट अनबिके रह गए। अगर इन सभी फ्लैटों को प्राधिकरण बेच दे तो उसे 100 करोड़ रुपए की आमदनी आसानी से हो जाएगी। पूर्व में भी प्राधिकरण कई बार इन फ्लैटों को बेचने के विज्ञापन निकाल चुका है। 7 से 8 साल इन फ्लैटों के निर्माण को हो चुके हैं और अब इनका रख-रखाव करना भी प्राधिकरण को भारी पड़ रहा है और समय बीतने के साथ फ्लैटों की स्थिति भी खराब होगी और फिर अभी जो कीमत मिल रही है, उतनी भी नहीं मिलेगी।
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