वैशाख माह में कालाष्टमी आज 3 मई को मनाई जा रही है। आज भक्त भगवान काल भैरव की पूजा अर्चना कर रहे हैं। कालाष्टमी के दिन भगवान शिव का विग्रह रूप माने जाने वाले कालभैरव (Kaal Bhairav) की पूजा का विशेष महत्व है। उन्हें शिव (God Shiva) का पांचवा अवतार माना गया है। इनके दो रूप हैं पहला बटुक भैरव जो भक्तों को अभय देने वाले सौम्य रूप में प्रसिद्ध हैं तो वहीं काल भैरव अपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करने वाले भयंकर दंडनायक हैं। भगवान भैरव के भक्तों का अनिष्ट करने वालों को तीनों लोकों में कोई शरण नहीं दे सकता। पौराणिक मान्यताओं (Mythological beliefs) के अनुसार, कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव (Lord Bhairav) की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति भयमुक्त होता है और उसके जीवन की कई परेशानियां दूर हो जाती है । मान्यता यह भी है कि इस दिन भगवान भैरव की पूजा करने से रोगों से भी मुक्ति मिलती है ।
कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त:
वैशाख माह, कृष्ण पक्ष, अष्टमी तिथि
03 मई 2021, सोमवार
वैशाख कृष्ण अष्टमी आरंभ- 03 मई 2021, सोमवार, दोपहर 01 बजकर 39 मिनट से
वैशाख कृष्ण अष्टमी समाप्त- 04 मई 2021, मंगलवार, दोपहर 01 बजकर 10 मिनट पर
कालाष्टमी पूजा विधि:
इस दिन सुबह उठ जाएं। इसके बाद सभी नित्यकर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर लें।
स्नानादि के बाद स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
इसके बाद घर के मंदिर में या किसी शुभ स्थान पर कालभैरव (Kalabhairava) की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
इसके चारों तरफ गंगाजल छिड़क (Sprinkle ganga water) लें। फिर उन्हें फूल अर्पित करें।
फिर नारियल, इमरती, पान, मदिरा, गेरुआ आदि चीजें अर्पित करें।
फिर कालभैरव के समक्ष चौमुखी दीपक (Round lamp) जलाएं और धूप-दीप करें।
फिर भैरव चालीसा का पाठ करें।
फिर भगवान की प्रतिमा के सामने बैठ कर श्रीकालभैरवकम् का पाठ करें। अपनी मनोकामना पूरी होने तक इस पाठ को करें।
फिर भैरव मंत्रों का 108 बार जाप करें।
इसके बाद आरती करें और पूजा संपन्न करें।
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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