
उज्जैन। लगातार टलते आ रहे नगरीय निकाय चुनावों को लेकर कल नगरीय प्रशासन मंत्री ने बयान दे ही दिया कि ये चुनाव अब अगले साल ही हो सकेंगे। इससे चुनाव लडऩे वालों का जोश ढीला पड़ गया है। फिलहाल कांग्रेस और भाजपा ने अब पूरी ताकत खंडवा लोकसभा तथा तीन विधानसभा उपचुनाव में लगाने की तैयारी कर ली है।
कल नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्रसिंह के बयान के बाद चुनाव कराने की बची-कुची उम्मीद पर पानी फिर गया है। मंत्री सिंह ने स्पष्ट कर दिया कि नगरीय निकाय चुनाव में नया एक्ट बनाना होगा और इस प्रक्रिया में समय लगेगा। दरअसल भाजपा चाहती है कि महापौर अध्यक्षों का चुनाव सीधे आम जनता ही करें। इस फैसले को कमलनाथ सरकार ने पलट दिया था और तब भाजपा कोर्ट तक चली गई थी। बाद में सरकार आने के बाद विधेयक तो तैयार कर लिया गया, लेकिन उसे विधानसभा में कानून नहीं बनवा पाई। अगर भाजपा अपने इसी बयान पर कायम रहती है तो माना जा रहा है कि इस सत्र के बाद आने वाले शीतकालीन सत्र तक यह एक्ट लाया जाएगा और सत्र दिसम्बर या जनवरी में आता है तो इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग अपनी प्रक्रिया उस हिसाब से शुरू करेगा। जिस हिसाब से कांग्रेस और भाजपा के नेता निगम में पार्षद और महापौर के दावेदार अपनी तैयारी कर रहे थे, उनका जोश अब ठंडा पड़ गया है, वहीं ऐसे नेताओं को अब उपचुनाव में तैनाती पर विचार किया जा रहा है। भाजपा और कांग्रेस ने प्रभारी बनाकर इन क्षेत्रों में नेताओं की तैनाती शुरू कर दी है, वहीं छोटे नेताओं को भी छोटी-छोटी पंचायतों से लेकर नगर पंचायतों की जवाबदारी दी जाएगी। एक लोकसभा और 3 विधानसभा चुनावों को लेकर दोनों ही पार्टी अपना दमखम लगाना चाह रही है। वैसे कांग्रेस में दमोह सीट जीतने का जोश कायम है।
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