इंदौर न्यूज़ (Indore News) मध्‍यप्रदेश

एक हजार करोड़ की जमीन छुड़वा ली भोपाल से, 8 माह रोके रखी अनुमति

  • अग्निबाण एक्सपोज …पार्ट-1 – लैंड पुलिंग एक्ट में बायपास की टीपीएस-6 योजना शासन को भेजी मंजूरी के लिए और जमीन मालिकों ने दिखा दिए खेल

इंदौर। पूर्व कांग्रेस सरकार द्वारा लागू किए गए लैंड पुलिंग एक्ट के तहत ही अब इंदौर विकास प्राधिकरण की योजनाएं विकसित की जाएंगी, जिसके चलते पुरानी आधा दर्जन से अधिक योजनाएं नए सिरे से घोषित करना पड़ी, जिसमें बायपास की पुरानी योजना 175 के स्थान पर टीपीएस-6 योजना घोषित की गई। पिछले दिनों शासन ने 5 टीपीएस योजनाओं को तो मंजूरी दे दी, मगर टीपीएस-6 के साथ 7 की मंजूरी रोके रखी और टीपीएस 7 में तो कोई संशोधन नहीं करवाया, मगर टीपीएस-6 जो कि बायपास के भिचौली हब्सी, कनाडिय़ा और टिगरिया राव में प्रस्तावित है उसमें 150 एकड़ से अधिक जमीन छुड़वा ली। 8 माह तक शासन ने इस योजना को मंजूरी नहीं दी और जब नियम के मुताबिक 7 माह तक मंजूरी ना मिलने के कारण योजना स्वत: ही लेप्स हो गई, तब संशोधन करने के निर्देश प्राधिकरण को दिए। नतीजतन अभी पिछले दिनों हुई बोर्ड बैठक में 150 एकड़ से अधिक जमीन को योजना से कम करने का निर्णय लिया गया। एक हजार करोड़ रुपए से अधिक कीमत की ये जमीनें अधिकांश शहर के चर्चित जादूगरों की है। अब प्राधिकरण पश्चिमी क्षेत्र की जमीनों को छोडक़र बायपास के दूसरी तरफ यानी पूर्वी क्षेत्र की बची 250 हैक्टेयर जमीन पर नई योजना घोषित कर रहा है।


यह पहला मौका नहीं है जब इंदौरी जमीनी जादूगरों ने भोपाल में जमावट कर जमीनी खेल ना किए हों। पूर्व में भी प्राधिकरण की तमाम योजनाओं में जमीन शामिल करने और फिर छोडऩे के खेल होते रहे हैं। अभी चूंकि लैंड पुलिंग एक्ट लागू हो गया है, जिसमें 50 फीसदी जमीन उनके मालिकों को लौटा दी जाती है और शेष 50 फीसदी जमीन का उपयोग मास्टर प्लान की सडक़ें, गार्डन बनाने और एमिनिटिज के अलावा 20 फीसदी जमीन पर भूखंड विकसित कर प्राधिकरण उस योजना का खर्चा निकालेगा। पिछले दिनों 5 टीपीएस योजनाओं को शासन ने वैसे ही मंजूरी दे दी, जैसा प्रस्ताव प्राधिकरण ने भेजा था। मगर बायपास की योजना टीपीएस-6 की मंजूरी अटकाए रखी। दरअसल, प्राधिकरण ने संकल्प क्र. 80 दिनांक 14.08.2020 के जरिए भिचौली हब्सी, कनाडिय़ा और टिगरिया राव की प्रस्तावित आवासीय और सडक़ उपयोग की नई योजना टीपीएस-6 अनुमोदन के लिए भोपाल भिजवाई। इसमें कुल 345 हैक्टेयर का क्षेत्रफल शामिल किया गया। कुछ संशोधन के बाद 28 सितम्बर 2020 को इसका नोटिफिकेशन भी हो गया। धारा 50 की उपधारा 2 के तहत शासन को प्रस्तावित योजना का अनुमोदन अथवा निरस्तीकरण करना था, जिसके लिए 7 माह की समय सीमा एक्ट में अलग-अलग स्टेज की निर्धारित है। मगर शासन ने 7 माह की समयावधि बीत जाने का इंतजार किया और फिर सुनियोजित तरीके से जब इंदौर सहित प्रदेशभर में कोरोना की दूसरी लहर का जनता कफ्र्यू और लॉकडाउन लगा था, उस दौरान 5 अप्रैल को पत्र भेजा जो प्राधिकरण को डाक के जरिए दो माह बाद 4 जून को मिला, जिसके चलते टीपीएस-6 और 7 योजनाएं स्वत: समाप्त यानी लेप्स हो गई। अभी 27 जुलाई की बोर्ड बैठक में टीपीएस-7 को तो वैसे ही लागू करने, लेकिन टीपीएस-6 में पश्चिमी क्षेत्र की 94 हेक्टेयर जमीन घटाने का निर्णय लिया गया, जिसमें से 13 हेक्टेयर में से अधिक जमीनों पर टीएनसीपी से नक्शे मंजूर हैं, तो साढ़े 5 हेक्टेयर जमीन 45 मीटर के कंट्रोल एरिया में और लगभग 13 हेक्टेयर जमीन सडक़ों के निर्माण में जाने के बाद जो लगभग 60 हेक्टेयर यानी 150 एकड़ जमीन बच रही है उसे टुकड़ों-टुकड़ों में बताया गया और इस निजी जमीन को छोडऩे का निर्णय बोर्ड ने शासन के दबाव के चलते ले लिया। आज की तारीख में यह जमीन एक हजार करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की होती है और शहर के शहर के जमीनी जादूगरों के नाम पर ही ये अधिकांश जमीनें हैं।


चौथी बार लेप्स हुई है बायपास की योजना
बायपास की योजना के साथ गजब का संयोग है और जमीनी जादूगर पहले दिन से ही इसे समाप्त करवाने के लिए जुटे रहे। सबसे पहले प्राधिकरण ने बायपास पर योजना 164 घोषित की, जो कि निरस्त हो गई। इसके बाद योजना 168 घोषित की गई, उसे भी हाईकोर्ट में हार का मुंह देखना पड़ा। तत्पश्चात प्राधिकरण ने ताबड़तोड़ बोर्ड बैठक बुलाकर योजना 175 घोषित की गई। हालांकि उसमें भी अधिक क्षेत्रफल था, जिसे बाद में टीपीएस 6 में कम किया गया, लेकिन चौथी टीपीएस-6 योजना भी अंतत: शासन की मंजूरी के अभाव में लेप्स हो गई।

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