
भोपाल। मध्य प्रदेश में बिजली दरों को बढ़ाने के प्रस्ताव पर हस्तक्षेप से हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने कहा कि यह पॉलिसी मैटर है। इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते। इस आधार पर याचिका खारिज कर दी गई है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस पुरुषेंद्र कौरव की बेंच ने कहा कि पॉलिसी मैटर में हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा। दरअसल, मध्य प्रदेश ट्रांसमिशन कंपनी ने घरेलू बिजली की दरों में 10त्न की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। इस पर मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में सुनवाई होनी है। आपत्ति और सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। नई दरें अप्रैल 2022 से लागू होनी है।
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ पीजी नाजपांडे और रजत भार्गव ने याचिका दाखिल की थी। इसमें उन्होंने कहा था कि लोग इस समय कोविड-19 के संकट से जूझ रहे हैं। ऐसे में सरकार का यह संवैधानिक कर्तव्य है कि वह लोगों को संकट से उबरने में मदद करें। केंद्र सरकार के आपदा प्रबंधन कानून 2005 के तहत कोविड-19 को अधिसूचित आपदा घोषित किया गया है। इस समय कोरोनावायरस का ओमिक्रॉन वैरिएंट तेजी से फैल रहा है। लाखों परिवार अब भी पहली और दूसरी लहर के दौरान लागू किए गए। लॉकडाउन से उबरे नहीं है और आर्थिक समस्या का सामना कर रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि सरकार अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन करते हुए विद्युत अधिनियम की धारा 108 का इस्तेमाल करें। इस संबंध में उन्होंने राज्य सरकार के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत किया था, जिस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। बेंच ने इस याचिका को खारिज कर दिया है।
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