रात्रिकालीन सफाई भी शुरू… मशीनों को भी लगाया… सभी झोनों के अंतर्गत आने वाले शौचालयों की भी धुलाई, प्रकाश सहित अन्य व्यवस्थाएं करवाई
इंदौर। स्वच्छता सर्वेक्षण-2022 की तैयारियों को नगर निगम अंतिम रूप देने में जुटा है, क्योंकि अगले हफ्ते से सर्वेक्षण के लिए दिल्ली से टीम इंदौर पहुंच जाएगी। आज सुबह साढ़े 7 बजे ही निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने सिटी बस मुख्यालय पर सर्वेक्षण के संबंध में समीक्षा बैठक ली। इसमें निर्धारित गाइडलाइन और प्रोटोकॉल के मुताबिक सभी कार्य सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए। रात्रिकालीन स्वीपिंग मशीन, लीटरबिन की धुलाई के साथ ही सभी झोनों के अंतर्गत आने वाले शौचालयों की धुलाई, सफाई, प्रकाश सहित अन्य व्यवस्थाएं की जाएंगी।
कोरोना की तीसरी लहर के चलते जनवरी-फरवरी में होने वाला स्वच्छता सर्वेक्षण आगे बढ़ गया, जो कि अब मार्च के पहले पखवाड़े में होगा, जिसको लेकर नगर निगम का पूरा अमला भिड़ गया है, क्योंकि स्वच्छता के मामले में छक्का लगाया जाना है। नतीजतन आज सुबह ही निगमायुक्त श्रीमती प्रतिभा पाल ने सारे अपर आयुक्त, झोन नियंत्रणकर्ता अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक ली, जिसमें सभी अधिकारियों को बताया कि स्वच्छता सर्वेक्षण-2022 अगले हफ्ते से शुरू हो सकता है, लिहाजा आप सभी अलर्ट रहें और सर्वेक्षण की गाइडलाइन तथा प्रोटोकॉल के मुताबिक सारे कार्य सुनिश्चित करवाएं। आयुक्त द्वारा स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 की गाइडलाइन एवं प्रोटोकॉल अनुसार व्यवसायिक क्षेत्र में संस्थान व दुकान में अनिवार्य रूप से 2 प्रकार के गीले-सुखे कचरे हेतु डस्टबीन होना, प्रत्येक दुकान व संस्थान से कचरा डोर टू डोर कचरा संग्रहण वाहन में आना सुनिश्चित करना, प्रत्येक वार्ड में कम से कम एक बैक लाईन का जनभागीदारी से ब्युटीफिकेशन का कार्य, किसी भी क्षेत्र में सी एंड डी वेस्ट व मलबा फैला ना मिले, सफाई मित्र अनिवार्य रूप से युनिफार्म में आवे, ऑन साईड गीले कचरे से खाद का निर्माण करना, क्षेत्र में अनिवार्य रूप से स्वीपिंग होना, रात्रिकालीन स्वीपिंग, मेकेनाईज्ड स्वीपिंग, लिटरबीन की धुलाई व मरम्मत कार्य के साथ ही मुख्य रूप से जितने भी झोन के अंतर्गत सीटीपीटी व युरिनल्स आते है वह साफ-सुथरे रहे, पानी, सफाई, प्रकाश की उचित व्यवस्था हो, आवश्यक मरम्मत कार्य पूर्ण हो।
90 से अधिक इंजीनियरों ने देखा बायो सीएनजी संयंत्र
देवगुराडिय़ा स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड पर स्थापित बायो सीएनजी संयंत्र को द इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स के 90 से अधिक इंजीनियरों ने कल देखा। प्रभारी अधिकारी योगेन्द्र गंगराड़े ने बताया कि इन इंजीनियरों को यह बताया गया कि किस तरह गीले कचरे से बायो सीएनजी का उत्पादन किया जा रहा है और 13 तरह के सूखे कचरे का कैसे निपटान किया जाता है। सूखे कचरे से ही बनी टेबल और कुर्सी के निर्माण की प्रक्रिया भी बताई गई और किस तरह से फैले कचरे के बदबूदार ढेर थे, उसकी जगह अब खूबसूरत बगीचा बन गया है, जहां पर स्वच्छता परी को भी लगाया गया है। इंजीनियरों के इस दल ने संयंत्र देखने के बाद कहा कि इंदौर की स्वच्छता के बारे में जो सुना था उससे बेहतर काम इंदौर नगर निगम का पाया। जिस तरह से शहर को साफ-सुथरा और सुंदर बनाया गया, वहीं गीले और सूखे कचरे का जैसा निपटान हो रहा है वह वाकई प्रशंसनीय है।
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