
उज्जैन। ऐसा माना जाता है कि देश में होली (Holi) के त्यौहार की शुरुआत उज्जैन (Ujjain) से होती है, यहां सबसे पहले महाकालेश्वर मंदिर (Mahakal tempel) में होलिका दहन होता है। महाकाल के आंगन में होलिका दहन के बाद ही सभी जगह होलिका दहन शुरू हो गया। भक्तों ने बाबा महाकाल के साथ होली खेली। यहां संध्या आरती में पंडे-पुजारियों ने महाकाल के साथ गुलाल और फूलों से होली खेली।

पूरा मंदिर परिसर गुलाल और रंगों से पट गया। इस खूबसूरत नजारे को देखने के लिए बड़ी की तादाद में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे। दो वर्षों से कोरोना के चलते भगवान और भक्तों के बीच दूरी बनी हुई थी, इस दूरी को आज के होली उत्सव ने खत्म कर दिया। हर साल इस मौके पर हजारों श्रद्धालु महाकाल मंदिर होली मनाने पहुंचे थे।बाबा महाकाल की संध्या आरती के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं को कार्तिक मंडपम और गणेश मंडपम से दर्शन की इजाजत मिली। दो वर्षों के बाद आए इस पल का इंतजार कर रहे भक्तों को महाकाल के साथ होली खेलने का मौका मिला। सभी भक्त इसमें बाबा के जयकारों के साथ शिवमय हो गए। इस अद्भुत नजारे को देख भक्तों को मथुरा-वृंदावन की होली की अनुभूति हुई।
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