
नई दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) ने चालू माह में 10 फरवरी तक शेयर बाजार से 9,600 करोड़ रुपये निकाले हैं। भारतीय बाजार का मूल्यांकन अन्य बाजारों की तुलना में महंगा है। इसलिए विदेशी निवेशक इन पैसों को दूसरे उभरते बाजारों में लगा रहे हैं। हालांकि, डेट बाजारों में इन्होंने 2,154 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने जनवरी में कुल 28,852 करोड़ रुपये की निकासी बाजार से की थी। पिछले सात महीने में किसी एक माह में यह सर्वाधिक निकासी थी। दिसंबर में इन्होंने 11,119 करोड़ और नवंबर में 36,238 करोड़ रुपये का निवेश किया था।
विश्लेषकों का मानना है कि आगे चलकर विदेशी निवेशकों का रुझान उतार-चढ़ाव का रहेगा क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ब्याज दरों में लगातार छठीं बार वृद्धि की है। जब तक अदाणी समूह के मुद्दों पर कोई स्पष्टता नहीं आती है, तब तक विदेशी निवेशकों का यह रुझान बना रहेगा।
28,852 करोड़ रुपये की जनवरी में हुई थी शेयर बाजार से निकासी
विदेशी निवेशकों ने वित्तीय सेवाओं के सेगमेंट से ज्यादा निकासी की है। हालांकि, ऑटो और कलपुर्जों वाले सेगमेंट में निवेश किया है। आईटी में जनवरी में इन निवेशकों ने बिकवाली की थी। लेकिन इस महीने इसमें खरीदारी किए हैं।
गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में विदेशी निवेश पर कर लगाने की तैयारी
आयकर विभाग अप्रवासी निवेशकों पर कर लगाने के मकसद से गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों के उचित बाजार मूल्य (FMV) का पता लगाने के लिए आयकर कानून के तहत संशोधित मूल्यांकन नियम जारी कर सकता है। आयकर विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि इस संशोधन की जरूरत इसलिए महसूस की जा रही है कि आयकर अधिनियम व फेमा कानून में गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के एफएमवी की गणना के लिए अलग-अलग तरीके हैं।
आयकर अधिनियम के नियम 11यूए को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम को (फेमा) के अनुरूप बनाने के लिए हितधारकों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए फिर निर्धारित किया जाएगा। 11यूए अचल संपत्ति के अलावा अन्य संपत्ति के एफएमवी के निर्धारण से जुड़ा है।
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