भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

सरकारी जांच पर भरोसा नहीं

  • जांच समिति में एक विधायक को शामिल करने की मांग

भोपाल। अधिकारी किसी भी सरकार के लिए आंख और कान होते हैं। इसलिए सरकार किसी भी मामले की जांच अधिकारियों से ही कराती है। लेकिन मप्र के विधायकों को सरकारी जांच पर भरोसा नहीं है। यानी अधिकारियों द्वारा की जा रही जांच पर उन्हें विश्वास नहीं है। इसलिए उनकी मांग है कि सरकार के विभिन्न विभागों में घोटाले, आर्थिक अनियमितताओं, निर्माण में गड़बड़ी की जांच करने वाली समिति में विधायकों को शामिल किया जाए। दरअसल, प्रदेश में जितने भी मामलों की जांच कराई जाती है उनमें से अधिकांश के परिणाम आने में देर होती है। इस कारण सरकार के विभिन्न विभागों में घोटाले, आर्थिक अनियमितताओं, निर्माण में गड़बड़ी की जांच अधिकारियों से कराए जाने पर से विधायकों का विश्वास उठता जा रहा है। वे विधानसभा समिति अथवा समिति में किसी एक विधायक को शामिल कराना चाहते हैं।



दोनों पार्टियों के विधायकों की मांग
जांच में खुद को शामिल करने की मांग सिर्फ कांग्रेस के विधायक नहीं कर रहे, बल्कि भाजपा विधायक भी हैं। उनका कहना है कि जांच में रस्म अदायगी की गई है या जांच सही नहीं की गई। गड़बडिय़ों में नीचे से ऊपर तक के अधिकारी शामिल हैं, इसके चलते जांच सही नहीं होती। भाजपा विधायक गौरीशंकर बिसेन ने कुक्कुट विकास निगम में तमाम तरह की गड़बडिय़ों और संचालक एचबीएस भदौरिया की नियुक्ति से जुड़े मुद्दे उठाए। जांच समिति में किसी एक विधायक को भी रखने को कहा। हालांकि मंत्री का जवाब था कि जांच कराई गई है, कोई गड़बड़ी नहीं हुई। फिर जांच करा लेंगे। कांग्रेस विधायक डॉ. विजयलक्ष्मी साधौ ने कन्यादान योजना में बांटी सामग्री की गुणवत्ता खराब और हितग्राहियों तक कम सामग्री पहुंची। इसकी जांच विधायकों की समिति से कराई जाए। मंत्री ने जवाब दिया कि जांच की गई है, कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। आगे भी जांच करा लेंगे। लेकिन विधायक को जांच कमेटी में रखने के लिए तैयार नहीं हुए। कांग्रेस विधायक लाखन सिंह ने भितरवार में राशन घोटाला हुआ। जांच सही नहीं हुई, दोबारा जांच कराई जाए, इसमें विधायक को जरूर रखा जाए। मंत्री ने कहा कि जांच में दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है। लेकिन विधायक को कमेटी में रखने का आश्वासन नहीं दिया। वहीं भाजपा विधायक उमाकांत शर्मा ने सिरोंज क्षेत्र की ग्रामीण सड़कों के निर्माण और मरम्मत में गड़बड़ी हुई। अधिकारियों ने मंत्री से गलत जवाब दिलाया है। सड़कों के निर्माण की दोबारा जांच हो और उसमें विधायकों को शामिल किया जाए। मंत्री का जवाब था कि पूरे मामले की जांच करा लेंगे। विधायक को कमेटी में रखने को लेकर हर बार टाल दिया।

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