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चुनाव आयोग का BJP और DMK के सहयोगी दलों पर एक्शन, 42 तमिल पार्टियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल

September 21, 2025

चेन्नई. चुनाव आयोग (Election Commission) की तरफ से निष्क्रिय राजनीतिक दलों (Political parties) के खिलाफ लगातार सख्त कदम उठाए जा रहे हैं. आयोग ने अगले साल होने वाले तमिलनाडु (Tamil Nadu) विधानसभा चुनाव (assembly elections) से पहले राज्य की 42 पार्टियों का रजिस्ट्रेनश रद्द किया है, इनमें सत्ताधारी डीएमके (DMK) और बीजेपी (BJP) के सहयोगी दल भी शामिल हैं. चुनाव आयोग ने लगातार 6 साल तक चुनाव न लड़ने के आधार पर देशभर में 474 राजनीतिक दलों को रजिस्टर्ड पार्टियों की लिस्ट से हटा दिया है.

चुनावी खर्च का नहीं दिया ब्यौरा
चुनाव आयोग के इस ‘सफाई अभियान’ की जद में अकेले तमिलनाडु की 42 पार्टियां आई हैं. तमिलनाडु में पिछले तीन वित्तीय वर्षों (2021-
22, 2022-23, 2023-24) में अपना सालाना ऑडिट अकाउंट जमा नहीं करने वाले 39 और राजनीतिक दलों की पहचान की गई है. ये ऐसे दल हैं जिन्होंने चुनाव तो लड़ा है, लेकिन चुनाव खर्च की रिपोर्ट दाखिल नहीं की है.

राजनीतिक दलों के रजिस्ट्रेशन के लिए बनाई गई गाइडलाइन में साफ कहा गया है कि अगर कोई पार्टी लगातार छह साल तक चुनाव नहीं लड़ती है, तो उसे पंजीकृत दलों की सूची से हटा दिया जाएगा. इस नियम के तहत 42 तमिल पार्टियों पर एक्शन लिया गया है.


इन तमिल पार्टियों पर हुआ एक्शन
जिन तमिल पार्टियों पर चुनाव आयोग ने एक्शन लिया है उनमें, पापनासम के विधायक एमएच जवाहिरुल्ला के नेतृत्व में मनिथानेया मक्कल काची (एमएमके), थिरुचेंगोडे के विधायक ईआर ईश्वरन के नेतृत्व में कोंगुनाडु मक्कल देसिया काची (केएमडीके) और जॉन पांडियन के नेतृत्व में तमिलागा मक्कल मुनेत्र कड़गम शामिल है.

एमएमके, जिसके दो विधायक हैं और केएमडीके, जिसका एक विधायक और एक सांसद है, ने पिछला विधानसभा और लोकसभा चुनाव डीएमके के टिकट पर लड़ा था. चुनाव आयोग का यह फैसला इसलिए अहम है क्योंकि एमएमके और केएमडीके दोनों ही सत्तारूढ़ डीएमके की सहयोगी हैं. बीजेपी की सहयोगी जॉन पांडियन की टीएमएमके ने पिछला लोकसभा चुनाव तेनकासी में कमल के निशान पर लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, जबकि तमीमुन अंसारी की एमजेके, जिसने 2016 का विधानसभा चुनाव AIADMK के चुनाव चिन्ह पर लड़ा था, इसके बाद के चुनावों से पार्टी दूर रही.

दूसरे दलों के चिन्ह पर लड़ा चुनाव
इसी तरह लिस्ट से हटाई गई अन्य पार्टियों में थमिमुन अंसारी के नेतृत्व वाली मणिथानेया जननायगा काची शामिल है, जिसने नागपट्टिनम सीट से चुनाव लड़ा था. एनआर धनपालन के नेतृत्व वाली पेरुंथलाइवर मक्कल काची, जिसने पेरम्बूर सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली, दोनों ही 2016 और 2021 के विधानसभा चुनावों में AIADMK के टिकट पर चुनाव लड़े थे.

चुनाव आयोग का कहना है कि चुनावी प्रणाली को साफ-सुथरा बनाने की व्यापक और सतत रणनीति के तहत पिछले छह साल में चुनाव नहीं लड़ने और बाकी मानदंडों का उल्लंघन करने की वजह से कुल 474 पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (Registered Unrecognized Political Parties) को लिस्ट से हटा दिया गया है.

दो महीने में 800 से ज्यादा पार्टियां बाहर
आयोग की तरफ से राजनीतिक पार्टियों की लिस्ट को ज्यादा पादर्शी बनाने के लिए बड़े पैमाने पर यह कैंपेन चलाई जा रही है. पिछले दो महीने में कुल 808 राजनीतिक दलों को लिस्ट से बाहर किया जा चुका है. साथ ही आयोग ने 359 अन्य RUPPs को लिस्ट से हटाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. अगर ये सियासी दल जरूरी दस्तावेज और शर्तें पूरी नहीं करते, तो जल्द ही आयोग इन पार्टियों को भी अपनी लिस्ट से हटा सकता है, जिससे बाद पंजीकृत पार्टियों की लिस्ट से हटाए जाने वाले दलों की कुल संख्या 833 हो जाएगी.

चुनाव आयोग के जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29A के तहत राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त सियासी दलों (RUPPs) को आयोग में रजिस्टर्ड किया जाता है. रजिस्ट्रेशन के बाद इन पार्टियों को चुनाव चिन्ह, टैक्स छूट जैसे विशेष अधिकार हासिल होते हैं. लेकिन नियमों के मुताबिक, अगर कोई राजनीतिक दल लगातार छह साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ता, तो उसे रजिस्टर्ड पार्टियों की लिस्ट से हटा दिया जाता है.

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