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Weather: मध्यप्रदेश में नवंबर वाली सर्दी ने तोड़े रिकॉर्ड, 5 और 6 दिसंबर से कड़ाके की ठंड

December 02, 2025

भोपाल. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में अब ठंड का असली दौर शुरू होने जा रहा है। मौसम विभाग (Meteorological Department) के मुताबिक 5 या 6 दिसंबर से प्रदेश में शीतलहर (Cold Wave) की एंट्री हो जाएगी। उत्तरी पर्वत क्षेत्रों में नया वेस्टर्न डिस्टर्बेंस सक्रिय होगा, जिसके चलते वहां बर्फबारी (snowfall) बढ़ेगी और उसी का असर ठंडी हवाओं के रूप में एमपी तक पहुंचेगा। अगले तीन दिनों में रात का तापमान 2 से 3 डिग्री की और गिरावट दर्ज हो सकती है।वभोपाल और इंदौर समेत राज्य के 6 जिलों में रविवार-सोमवार की रात पारा 10 डिग्री से नीचे पहुंच गया। इंदौर सर्वाधिक ठंडा रहा, जहां न्यूनतम तापमान 8.2°C दर्ज हुआ। भोपाल में 9.4°C, जबलपुर 11.8°C, और ग्वालियर-उज्जैन में 12°C रहा। प्रदेश का सबसे ठंडा स्थान रहा पचमढ़ी, जहां तापमान 6.8°C दर्ज किया गया। सोमवार को अधिकतम तापमानों में भी गिरावट दर्ज की गई। मलाजखंड 23.7°C के साथ सबसे ठंडा रहा। पचमढ़ी, शिवपुरी, सिवनी, बैतूल, भोपाल, धार, रीवा सभी जिलों में अधिकतम तापमान 24-26 डिग्री के बीच रहा।

नवंबर ने तोड़ दिए 94 साल पुराने रिकॉर्ड
भोपाल में इस बार लगातार 15 दिन शीतलहर चली यह 1931 के बाद सबसे लंबा शीतलहर काल है। 17 नवंबर की रात पारा 5.2°C पहुंच गया, जो पिछले 80 साल में सबसे कम था। इंदौर में भी 25 साल बाद पारा 6.4°C तक लुढ़का। सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन के अनुसार उत्तर भारत में नवंबर की शुरुआत में ही भारी बर्फबारी शुरू हो गई थी। जैसे ही हवा की दिशा उत्तर-पश्चिम हुई, ठंडी हवाएं सीधे मध्य प्रदेश में दाखिल हो गईं।

दिसंबर-जनवरी कड़कड़ाती ठंड के असली महीने
जैसे मानसून में जुलाई-अगस्त सबसे ज्यादा प्रभावी रहते हैं, वैसे ही सर्दियों में दिसंबर और जनवरी ठंड का पीक सीजन होते हैं। इन्हीं दो महीनों में उत्तरी हवाएं सबसे ज्यादा सक्रिय रहती हैं और तापमान सबसे तेज गिरता है। पश्चिमी विक्षोभ के एक्टिव होने से दिसंबर में मावठा (हल्की सर्दी की बारिश) भी होती है, जिससे दिन की ठंड और बढ़ जाती है।

दिसंबर-जनवरी में 20-22 दिन कोल्ड वेव चलने की संभावना
मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस बार कोल्ड वेव का असर लंबे समय तक रहेगा। जनवरी में कई जिलों में 20 से 22 दिनों तक शीतलहर देखने को मिल सकती है।

क्यों बढ़ी इस बार इतनी ठंड?

1. ला नीना का प्रभावः वैश्विक मौसम मॉडल पहले से संकेत दे रहे थे कि इस साल ला नीना सक्रिय रहेगा। प्रशांत महासागर का ठंडा होना एशिया और भारत की ओर ठंडी हवाओं को और तेज धकेलता है। उसी का असर मध्य भारत में कड़ाके की ठंड के रूप में दिख रहा है।

2. पहाड़ों पर जल्द बर्फबारीः हिमाचल, उत्तराखंड और कश्मीर में सामान्य समय से काफी पहले बर्फबारी शुरू हो गई। इससे मध्य भारत में ठिठुरन 20–30% तक बढ़ी।

3. ठंडी हवाएं 25% ज्यादा गहराई तकः इस बार ठंड सतह तक सीमित नहीं रही। भोपाल, ग्वालियर, रतलाम, सागर जैसे चार प्रमुख मौसम जोन में ठंडी हवाएं 25% तक ज्यादा अंदर तक घुस आईं।

4. पश्चिमी विक्षोभ का लगातार सक्रिय रहनाः बार-बार आने वाले वेस्टर्न डिस्टर्बेंस से कई जिलों में मावठा होगा। इससे तापमान 4-6 डिग्री गिर सकता है और भोपाल, मंदसौर, रतलाम, उज्जैन, इंदौर-देवास, ग्वालियर-मुरैना में कोल्ड-डे की स्थिति बन सकती है।

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