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देश में एक ऐसा मंदिर जहां पति-पत्नी साथ नहीं करते पूजा, हैरान कर देगी इससे जुडी ये मान्‍यताएं

नई दिल्‍ली। देश में कई ऐसे मंदिर (Temple) हैं, जहाँ माथा टेकने से हर मुराद पूरी हो जाती है. यही वजह है कि लोग दूर-दराज से इन देवालयों व तीर्थ स्थानों में दर्शन के लिए जाते हैं. मान्यता है कि सांसारिक जीवन में सुखों की प्राप्ति के लिए भगवान (God) की भक्ति ही सर्वश्रेष्ठ रास्ता है. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यताएं हैं कि शादी के बाद विवाहित जोड़े को किसी भी शुभ कार्यक्रम, पूजा-पाठ (worship), हवन आदि में एक साथ शामिल होना होता है. तीर्थ और पूजा-पाठ का शुभ फल पति-पत्नी के जोड़े के रूप में ही प्राप्त होता है.

आज हम आपको बताने जा रहे हैं भारत के एक अद्भुत मंदिर (amazing temple) के बारें में, जहां पति-पत्नी एक साथ दर्शन नहीं कर सकते हैं. यहां किसी कपल को साथ में पूजा-पाठ करने की अनुमति नहीं है. आइए जानते हैं इस मंदिर की कथा और इससे जुड़ी रोचक बातें..

अद्भुत और अनोखा मंदिर
विवाहित जोड़ों के लिए दर्शन पर बैन लगा देने वाला यह अनोखा मंदिर देवभूमि हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में मौजूद है. शिमला (Shimla) में मौजूद यह मंदिर माता दुर्गा का मंदिर है. इस अनोखे और खास मंदिर को मां दुर्गा श्राई कोटि माता के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर की देख-रेख और व्यवस्था का सारा इंतज़ाम माता भीमा काली ट्रस्ट करता है. शिमला में मौजूद इस मंदिर की समुद्रतल से ऊंचाई 11000 फीट है.



एक साथ दर्शन करने से मिलती है सजा
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मां दुर्गा (Maa Durga) के इस मंदिर में पति और पत्नी या विवाहित जोड़ों के लिए एक साथ में पूजा करना मना है. अगर विवाहित जोड़ा या दंपत्ति किसी तरह से इस मंदिर में जाकर माता की प्रतिमा के दर्शन कर लेते हैं, तो फिर उन्हें इस अपराध के लिए सजा भी भुगतनी पड़ सकती है. हालांकि, अगर पति-पत्नी इस मंदिर में दर्शन करना चाहते हैं तो उन्हें मंदिर में माता के दर्शन अलग-अलग ही करने होंगे.

मंदिर की परंपरा की कहानी
इस अनोखे और खास मंदिर के बारे में एक बहुत पुरानी कहानी प्रचलित है. मान्यता है कि एक बार भगवान शिव के दोनों पुत्र गणेश जी और कार्तिकेय जी ब्रह्मांड के चक्कर लगाने के लिए निकले. गणेश जी ने अपने माता-पिता की परिक्रमा की और पूछने पर कहा कि माता पिता के चरणों में ही ब्रह्मांड है. वहीं कार्तिकेय जी ने पूरे ब्रह्मांड का चक्कर लगाया और जब वह अपनी परिक्रमा करके वापस लौटे, तब तक गणेश जी का विवाह हो चुका था.

श्राप की वजह से विवाहित जोड़ें नहीं करते दर्शन
गणेश जी का विवाह हो जाने की बात से, कार्तिकेय जी नाराज हो गए और उन्होंने कभी विवाह न करने का संकल्प लिया. पुत्र कार्तिकेय के विवाह न करने के प्रण पर माता पार्वती बहुत ज़्यादा नाराज़ हुईं. कार्तिकेय जी जिस जगह पर रह रहे थे, वहां माता पार्वती ने कहा कि जो भी पति-पत्नी कार्तिकेय जी के दर्शन करेंगे, वह एक दूसरे से अलग हो जाएंगे. इस कारण दंपत्ति यहां साथ पूजा करने से थोड़ा-बहुत डरते भी हैं.

नोट– उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सिर्फ सामान्‍य सूचना के लिए है हम इसकी सत्‍यता की पुष्टि नहीं करते हैं.

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