जबलपुर न्यूज़ (Jabalpur News)

आखिर कब तक बिना कारण ही बंद रहेंगे शहर के 34 अस्पताल!

  • विधायक को शहर के आम नागरिक ने लिखा खत

जबलपुर। शहर में अग्निशमन दल घटना के बाद शहर के 34 अस्पतालों को बिना कारण बताओ नोटिस दिए फायर एनओसी के अभाव का हवाला देकर बंद कर दिया गया था। परंतु आज दिनांक 6 जनवरी 2023 तक 5 महीने बीत चुके है प्रशासनिक स्तर पर नए आदेश के तहत 50 बिस्तर से कम अस्पतालों के लिए फायर एनओसी की आवश्यकता नहीं है। केवल फायर इंजीनियर का प्रमाण पत्र आवश्यक है जो कि सभी के पास प्राप्त है। ऐसी स्थिति में नियमों का पालन करने के लिए अस्पताल को बंद रखकर खानापूर्ति करना कहां तक न्याय संगत है। एक आम नागरिक ने विधायक विनय सक्सेना को खत लिखकर उचित कार्यवाही की मांग की है। खत में बताया गया है कि इस संबंध में पिछले 2 महीनों से फायर का पोर्टल बंद पड़ा है। नगर निगम द्वारा किसी भी प्रकार का कोई सहयोग नहीं किया जा रहा है। जिन छोटे अस्पतालों की टेंपरेरी फायर एनओसी हो चुकी है उन्हें अब बिल्डिंग परमीशन के नियमों में फंसाया जा रहा है जबकि बिल्डिंग परमिशन का नियम 2012 2016 के बाद आया था जबकि लगभग सभी अस्पताल 2012-2016 के पूर्व के है।


नर्सिंग होम एक्ट में नए आदेश का बहाना
जहां तक मुख्य चिकित्सा अधिकारी का सवाल है तो वह बार-बार नर्सिंग होम एक्ट में नए आदेश के जुडऩे का इंतजार कर रहे हैं। उन बंद अस्पतालों से जो कि 2012-2016 के पूर्व के हैं बिल्डिंग परमिशन मांगी जा रही है। जबकि नगर निगम किसी भी पुरानी बिल्डिंग की बिल्डिंग परमिशन देने के लिए तैयार नहीं है। जहां तक सच्चाई का सवाल है तो शहर के कम से कम 50 से 60 बड़े अस्पताल ऐसे हैं जिनकी पूरे नियमानुसार नहीं परमिशन नहीं है एवम वे आवासीय भूमि पर आवासीय नक्शे में संचालित हो रहे है। क्या इन 34 अस्पतालों से सारे नियमों की पूर्ति बंद रखकर कराई जानी चाहिए एवं अन्य अस्पतालों को लगातार समय दिया जा रहा है यह पक्षपात पूर्ण व्यवहार उन छोटे छोटे अस्पतालों के साथ किया जा रहा है जिन्हें अब फायर एनओसी की आवश्यकता भी नहीं है। ऐसी स्थिति में जन स्वास्थ्य की हानि हो रही है। जबकि बड़े अस्पताल मनमाने दामों पर इलाज कर रहे हैं। इन छोटे अस्पतालों को बंद रखकर आम जनता पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है। इन बंद अस्पतालों में काम करने वाले हजारों कर्मचारी एवं उनके परिवार बेरोजगार हो गए है इन सब का जिम्मेदार कौन है। इस बात का तत्काल संज्ञान लेते हुए सामाजिक हित में तुरंत कार्रवाई के लिए निर्देश देकर समाज को अनुग्रहित करें।

मुझे पहले भी इस बात की जानकारी लगी थी। सरकार को ऐसा रास्ता निकालना चाहिए की वैधानिक अस्पतालों को बहाल करना चाहिए। भ्रम और असमंजस की स्थिति निर्मित नहीं होना चाहिए। पुराने अस्पतालों जिनको दस्तावेजों की कमी बताकर बंद कर दिया गया है, इसके लिए एक जांच कमेटी बनाकर जांच कराना चाहिए और वैधानिक अस्पतालों को पुन: शुरु करने की अनुमति देना चाहिए। जिससे अमाजनता को उपचार संबंधी परेशानियों का सामना न करना पड़े।
विनय सक्सेना, विधायक

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