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अमेरिका के बाद रोमानिया और मोलदोवा में भी दिखे रहस्यमयी गुब्बारे!

वाशिंगटन। एक सप्ताह पहले ही अमेरिका ने अटलांटिक महासागर (Atlantic Ocean) में दक्षिण कैरोलाइना के तट के पास एक चीनी जासूसी गुब्बारा (Spy balloon) दिखने के मामले में और तूल पकड़ता जा रहा है, हालांकि अमेरिका सेना (America Army) ने गुब्‍बारे को नष्ट कर दिया था, जिसने 30 जनवरी को अमेरिकी हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया था। चीन ने स्वीकार किया है कि यह गुब्बारा उसका था लेकिन उसने इस बात से इनकार किया कि इसका मकसद जासूसी करना था। चीन का कहना है कि इसका उद्देश्य मौसम संबंधी जानकारी जुटाना था। अब रोमानिया और मोलदोवा के आसमान में भी ऐसे ही रहस्यमयी गुब्बारे दिखाई दिए हैं। हैरानी की बात ये है कि जब इन गुब्बारे जैसे दिखने वाली रहस्यमयी चीजों को निशाना बनाने के लिए जेट उड़े तो ये गुब्बारे जैसी दिखने वाली चीजें गायब हो गईं और काफी देर तलाशने के बाद भी उनका कुछ पता नहीं चल सका!



रोमानिया के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि उनकी वायुसेना के सर्विलांस सिस्टम ने हवा में एक मौसमी गुब्बारे जैसी चीज को देखा। इसके बाद दो मिग21 लांसर विमानों को दक्षिण पूर्वी रोमानिया के हवाई क्षेत्र में भेजा गया, जहां गुब्बारा दिखाई दिया था। हालांकि जेट को हवा में कोई ऐसी चीज नहीं दिखाई दी। हवा में काफी देर तलाश के बाद करीब 30 मिनट बाद फाइटर जेट बेस पर वापस लौट आए। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सर्विलांस में गुब्बारा 11 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ता दिखा।

वहीं रोमानिया के पड़ोसी देश मोलदोवा में भी एक ऐसा ही रहस्यमयी गुब्बारा दिखाई दिया। मोलदोवा के नागरिक उड्डयन विभाग ने बताया कि रक्षा मंत्रालय से उन्हें हवा में किसी रहस्यमयी गुब्बारे के उड़ने की जानकारी मिली थी। यह गुब्बारे जैसी दिखने वाली चीज यूक्रेन सीमा के पास दिखाई दी।

मौसम में खराबी के चलते मोलदोवा की फ्लाइट्स उस गुब्बारे का पता लगाने के लिए उड़ान नहीं भर सके। एक घंटा 22 मिनट तक गुब्बारे पर नजर रखने के बाद गुब्बारे को हानिकारक नहीं माना गया।

गौरतलब है कि एक सप्ताह पहले ही अमेरिका ने अटलांटिक महासागर में दक्षिण कैरोलाइना के तट के पास एक चीनी जासूसी गुब्बारे को नष्ट किया था, जिसने 30 जनवरी को अमेरिकी हवाई क्षेत्र में प्रवेश किया था. चीन ने स्वीकार किया है कि यह गुब्बारा उसका था लेकिन उसने इस बात से इनकार किया कि इसका मकसद जासूसी करना था। चीन का कहना है कि इसका उद्देश्य मौसम संबंधी जानकारी जुटाना था।

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