भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

BJP के बाद अब कांग्रेस साधेगी आदिवासियों को

  • 24 को भोपाल में आदिवासी कांग्रेस की बैठक
  • प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ अनुसूचित जाति विभाग के पदाधिकारियों के साथ करेंगे बैठक

भोपाल। मध्य प्रदेश में दो साल बाद वर्ष 2023 में विधानसभा चुनाव होंगे। प्रदेश कांग्रेस ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। आदिवासी वर्ग को पार्टी के साथ जोड़कर रखने के लिए 24 नवंबर को भोपाल में आदिवासी कांग्रेस की बैठक बुलाई है। वहीं, अनुसूचित जाति वर्ग को साधने के लिए कार्ययोजना 26 नवंबर को बनाई जाएगी। इसके लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के पार्टी के सभी विधायक, 2018 के चुनाव के प्रत्याशी, प्रदेश पदाधिकारी, जिला और ब्लाक कांग्रेस अध्यक्षों की बैठक बुलाई है।
प्रदेश के 230 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में भले ही अनुसूचित जनजाति के लिए 47 और अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 32 स्थान आरक्षित हों पर इन वर्गों का प्रभाव अन्य क्षेत्रों में भी है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 31 अनुसूचित जनजाति और 17 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर विजय प्राप्त की थी।



पार्टी 2023 के विधानसभा चुनाव में इस प्रदर्शन को न सिर्फ दोहराना चाहती है बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी इनका साथ प्राप्त करने के लिए प्रयास कर रही है। इसके मद्देनजर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने चार माह पहले भोपाल में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों का सम्मेलन भी आयोजित कराया था। पार्टी की कोशिश यही है कि आदिवासी समुदाय को एक मंच प्रदान करके उनकी आवाज को बुलंद किया जाए। इसके लिए 24 नवंबर को होने वाली बैठक में विचार करके कार्ययोजना बनाई जाएगी। इसी तरह अनुसूचित जाति वर्ग को पार्टी के साथ जोडऩे के लिए प्रदेशभर से 26 नवंबर को बैठक में आने वाले नेताओं के साथ मंथन किया जाएगा। दरअसल, 2018 के चुनाव में जिन अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव में जीत हासिल की थी, उनमें सत्ता परिवर्तन के बाद आठ सीटों पर उपचुनाव हुए थे। इनमें कांग्र्रेस पांच सीटें हार गई। करैरा, गोहद और डबरा निर्वाचन क्षेत्र ही ऐसे रहे, जहां भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष संगठन प्रभारी चंद्रप्रभाष शेखर ने बताया कि पार्टी के सभी सहयोगी संगठनों की समीक्षा की जा रही है। इसमें मैदानी स्थिति की जानकारी लेने के साथ विधानसभा, नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों को ध्यान में रखते हुए आगामी कार्यक्रम तय किए जाएंगे।

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