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दशकों बाद देश के बजट में रक्षा क्षेत्र के साथ हुआ न्याय

– आर.के. सिन्हा

भारत ने एक बार फिर शत्रुओं को साफ संकेत और सख्त संदेश दिया है कि वह अपनी सरहदों की निगहबानी करने में कभी भी पीछे नहीं रहेगा। भारत अपने रक्षा क्षेत्र को निरंतर मजबूत करता रहेगा। केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा चुनाव से पहले गुरुवार को मोदी सरकार के अंतरिम बजट को देश के सामने रखा। उन्होंने बजट प्रस्तावों में रक्षा क्षेत्र के लिए पिछले वित्त साल की तुलना में 11.1 फीसद अधिक धन की व्यवस्था की। यह राशि देश के जीडीपी के कुल 3.4 फीसद होगी। यह एक स्पष्ट और सख्त संदेश है कि चीन और पाकिस्तान जैसे दो घोषित शत्रुओं के साथ भारत कभी भी अपनी सीमाओं की रखवाली करने में कमजोर रहने वाला नहीं है। यह दोनों दी देश घनघोर रूप से धूर्त हैं। इनसे भारत कई बार जंग भी कर चुका है। अगर एक 1962 की जंग को छोड़ दिया जाए तो भारत ने हरेक बार इन्हें करारा जवाब भी दिया है।


1962 की जंग को हुए तो अब छह दशकों का लंबा वक्त हो गया है। उसके बाद चीन ने हमारी सीमाओं के अतिक्रमण करने की जब-जब कोशिश की तो उसे कसकर मार पड़ी। बुद्ध, महावीर और गांधी का भारत अपने पड़ोसियों से सौहार्द पूर्वक संबंध रखना जरूर चाहता है। वह अपने पड़ोसियों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान भी करता है। इतिहास साक्षी है कि भारत ने किसी देश में जाकर कभी भी हमला नहीं किया है। पर भारत भी अब किसी की धौंस में आने वाला नहीं है। इस बीच, रक्षा क्षेत्र को लेकर सबसे अच्छी बात यह हो रही है कि भारत रक्षा उत्पादन में आत्म निर्भर बनने का संकल्प ले चुका है। नरेन्द्र मोदी के केन्द्र सरकार पर 2014 में सत्तासीन होने के बाद सरकार की कोशिश रही है कि हम अपनी रक्षा जरूरतों का उत्पादन खुद करें।

भारत सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के अनुरूप और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में कई नीतिगत पहल की हैं और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) और स्टार्ट-अप सहित भारतीय उद्योग द्वारा रक्षा उपकरणों के स्वदेशी डिजाइन, विकास और निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए सुधार लाए हैं, जिससे आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिला है। एक सुखद बात यह भी है कि टाटा, लार्सन एंड टुब्रो, महिन्द्रा और जिंदल जैसे मशहूर उद्योग समूह रक्षा उत्पादन में निवेश कर रहे हैं। टाटा समूह रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में लंबी छलांग लगाने की तैयार कर चुका है। टाटा मोटर्स, टाटा पावर और टाटा एडवांस्ड मैटीरियल्स रक्षा उत्पादन के काम में खासतौर पर बहुत एक्टिव हैं। भारत के सालाना लगभग दो लाख करोड़ के रक्षा बाजार में कब्जा करने में टाटा समूह एक बड़े प्लेयर के रूप में उभर रहा है।

भारत को दुश्मनों से पूरी तरह से सुरक्षित रखने के लिए रक्षा क्षेत्र में हर हालत में एक स्तर तक तो आत्मनिर्भर होना ही होगा। इस लिहाज से देश के निजी के ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी आ जाती है। दरअसल स्टॉकहोम इंटरनेशनल ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में बताया है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2013-17 और 2018-22 के बीच भारत की हथियार खरीद में 11 प्रतिशत की कमी आई है, इसके बावजूद भारत हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार देश बना हुआ है। बीते पांच सालों में दुनिया में जितने हथियार खरीदे गए, उनमें से 11 प्रतिशत अकेले भारत ने खरीदे। सऊदी अरब (9.6 फीसदी) खरीद के साथ दूसरे स्थान पर है। वहीं इनके बाद कतर (6.4%), ऑस्ट्रेलिया (4.7%) और चीन (4.7%) का नंबर आता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियारों का निर्यातक इसलिए बना क्योंकि वह चीन और पाकिस्तान जैसे देशों का पड़ोसी है।

चीन और पाकिस्तान को भारत का विकास कभी भी रास नहीं आता। यह दोनों मुल्क भारत को किसी न किसी तरह से क्षति पहुंचाने की फिराक में रहते हैं। इसलिए भारत के पास अपने रक्षा बजट को लगातार बढ़ाने के अलावा कोई चारा नहीं बचता। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सोच के चलते ही अपने अंतरिम बजट में रक्षा क्षेत्र को दिल खोलकर धन दिया।कमजोर को तो दुनिया जीने का भी अधिकार देने के लिए राजी नहीं है। कहा गया है कि ”क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो । उसको क्या जो दंतहीन, विषहीन, विनीत, सरल हो।” भारत की तरफ से पूरे विश्व को यह संदेश जाते रहना चाहिए कि हम रक्षा क्षेत्र को मजबूत करते हुए अपने अन्य क्षेत्रों की भी अनदेखी नहीं करेंगे।

यह भी गौरतलब है कि भारत रक्षा निर्यात के क्षेत्र में एक बड़ी ताकत बनने जा रहा है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले नौ साल में देश में रक्षा निर्यात में 23 गुणा की बढ़ोतरी हुई है। फिलहाल 100 से अधिक कंपनियों के जरिए देश में रक्षा क्षेत्र से जुड़ा सामान का उत्पादन हो रहा है। इन्हें ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत बनाया जा रहा है। देश रक्षा क्षेत्र में न केवल आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, बल्कि दूसरे देशों को भी निर्यात कर रहा है। विगत वित्त साल भारत ने 16 हजार करोड़ रुपये का निर्यात किया है, जिसमें सैन्य हार्डवेयर यानी गोला-बारूद और हथियार शामिल हैं। यह पिछले साल से करीबन तीन हजार करोड़ रुपये अधिक है और पिछले नौ वर्षों में सबसे अधिक और 2014 से 23 गुणा है।

अब जानेंगे कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट 2024 क्यों पेश किया? इससे पहले केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने वर्ष 2019 में अंतरिम बजट पेश किया था। तो,अंतरिम बजट क्या है और इसे 2024 में पूर्ण बजट के बजाय क्यों पेश किया जा रहा है। क्या होता अंतरिम बजट है? दरअसल जिस साल देश में लोकसभा चुनाव होने होते हैं, उस वर्ष के दौरान मौजूदा सरकार पूर्ण बजट पेश नहीं कर सकती है। इसी वजह से वित्तमंत्री अंतरिम बजट पेश करते हैं जो अल्पकाल के लिए सरकार के खर्चों और राजस्व की रूपरेखा तय करते हैं। अंतरिम बजट तब तक के लिए होता है जब तक देश में नई सरकार चुनी नहीं जाती। यह तो मानकर चलिए जब देश का पूर्ण बजट पेश होगा तब भी रक्षा क्षेत्र के साथ न्याय ही होगा।

(लेखक, वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं।)

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