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गिरफ्तारी के बाद पार्थ चटर्जी से ममता ने बनाई दूरी, CM ने नहीं उठाया फोन

कोलकाता। टीचर भर्ती घोटाला मामले में फंसे पश्चिम बंगाल सरकार (Government of West Bengal) में मंत्री पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी (arrest) को लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. शनिवार को जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूछताछ के बाद गिरफ्तारी की प्रक्रिया आगे बढ़ाई तो पार्थ चटर्जी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी(Chief Minister Mamata Banerjee) को चार बार फोन किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं होने से बात नहीं हो सकी थी. इस बात का जिक्र ED ने अपनी कागजी कार्रवाई में भी किया है.



बता दें कि ईडी ने पार्थ चटर्जी की सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों पर रेड मारी थी. जहां से टीम को 20 करोड़ से ज्यादा कैश मिला था. इसके अलावा, कई ऐसे पेपर मिले थे, जिनमें लेन-देन के पुख्ता सबूत थे. अर्पिता कैश के बारे में सही जानकारी भी नहीं दे सकी थीं. इस मामले के सीधे तार मंत्री पार्थ चटर्जी से जुड़े मिले. जांच एजेंसी ने लगातार 26 घंटे तक पार्थ चटर्जी से पूछताछ की. जिसके बाद पार्थ को गिरफ्तार करने का फैसला लिया.

नियमानुसार, जब भी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है तो वह अपने किसी एक सगे-संबंधी को सूचना दे सकता है. इसमें आरोपी शख्स के परिवार का सदस्य या रिश्तेदार अथवा मित्र हो सकता है. ताकि जरूरी कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सके. शनिवार को गिरफ्तारी के दौरान पार्थ चटर्जी ने ईडी अधिकारियों से कहा कि वह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सूचित करना चाहते हैं. पार्थ ने ममता को तड़के सुबह 2.31 बजे, 2:33 बजे, 3:37 बजे और सुबह 9:35 बजे चार बार कॉल किया, लेकिन किसी भी कॉल का जवाब नहीं दिया गया. पार्थ को 23 जुलाई की सुबह 1.55 बजे गिरफ्तार किया गया था.

वहीं, गिरफ्तारी के बाद पार्थ की तबीयत बिगड़ गई थी. उन्हें पहले स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया. बाद में ईडी की आपत्ति पर हाईकोर्ट ने भुवनेश्वर के AIIMS ले जाने के लिए कहा है. इसके अलावा कोर्ट ने उस आदेश को भी खारिज कर दिया जिसमें पार्थ चटर्जी के वकील को पूछताछ के दौरान उपस्थित रहने की अनुमति दी गई थी. सोमवार दोपहर तीन बजे तक एम्स भुवनेश्वर की ओर से पार्थ चटर्जी की मेडिकल रिपोर्ट कोलकाता हाई कोर्ट के सामने पेश की जाएगी.

बता दें कि कल शाम चार बजे ट्रायल कोर्ट के समक्ष सुनवाई होनी है. पार्थ चटर्जी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया जाएगा. हाई कोर्ट ने कहा कि यह सभी जानते हैं कि डॉक्टर हिप्पोक्रेटिक शपथ लेने के बाद ही डॉक्टर मरीज का इलाज शुरू करते हैं, इसलिए डॉक्टरों की विश्वसनीयता पर कोई सवाल ही नहीं है. हालांकि, हाल के दिनों में बंगाल में सत्तारूढ़ राजनीतिक दल के एक से अधिक नेताओं को गिरफ्तार किया गया था या पूछताछ के लिए जांच अधिकारी के सामने पेश होने का निर्देश दिया गया था लेकिन उन्होंने एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती होकर जांच एजेंसी की ओर से की जाने वाली पूछताछ से खुद को बचा लिया था.

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