भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

राजस्थान के साथ जल विवाद के बाद जमीन विवाद भी बढ़ा

  • दोनों राज्यों के राज्यपालों की बैठक में उठा सीमा विवाद का मामला

भोपाल। मप्र और राजस्थान के बीच अभी तक चंबल नदी एवं गांधी सागर बांध के जल बंटवारे को लेकर विवाद चल रहा था। अब दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद एवं जमीन का विवाद भी सामने आया है। दोनों राज्यों के राज्यपालों की सीमा विवाद सुलझाने के लिए उदयपुर में आयोजित बैठक में ये मामले उठे। बैठक में अधिकारी भी उपस्थित रहे। बैठक में मप्र के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने सीमावर्ती जिलों में जमीन विवाद, मप्र के मरीजों से राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में पैसा लेने, आयुष्मान कार्ड मान्य नहीं करने, तस्करी जैसे मुद्दे भी उठाए। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी बात रखी।
मध्य प्रदेश के अफसरों ने बैठक में बताया कि राजस्थान की बार्डर के जिलों नीमच, रतलाम, मंदसौर व झाबुआ के मरीज इलाज के लिए उदयपुर व आसपास के जिलों में जाते हैं, लेकिन वहां के अस्पतालों में केंद्र सरकार के आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं होता है। इस कार्ड के जरिए 5 लाख रुपए तक का इलाज की सुविधा है। इसकी वजह यह है कि राजस्थान सरकार ने अपने प्रदेश में चिंरजीवी बीमा योजना लागू की है। इस पर सहमति बनी कि इस बारे में दोनों राज्यों की सरकार के स्तर पर बात की जाएगी। बैठक के दौरान सीमावर्ती गांव के बीच में समन्वय, सरकार की योजनाओं का लाभ, अपराध नियंत्रण के लिए दोनों राज्यों की पुलिस द्वारा किए जा रहे कार्य, तस्करी रोकने के लिए किए जा रहे कार्यों पर भी चर्चा की गई। मप्र के अफसरों की तरफ से कहा गया कि सीएमएचको का लेटर की अनिवार्यता खत्म होना चाहिए।


10 साल से चल रहा है दोनों राज्यों में विवाद
मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच सीमा विवाद 10 साल से चल रहा है। दोनों राज्यों में अलग-अलग दल की सरकार होने के कारण इस विवाद को सुलझाने की गंभीर कोशिश पहले कभी नहीं हुई। यही वजह है कि मप्र के हिस्से की 20 हजार वर्गमीटर जमीन राजस्थान के हिस्से में चली गई। अब भी 21 हेक्टेयर जमीन ऐसी है, जिसकी खातेदारी दोनों राज्यों में दर्ज है। इतना ही नहीं, मप्र के 40 से अधिक गांव ऐसे हैं जिसकी कई हेक्टेयर जमीन के रिकार्ड में ओवर लैपिंग है। मध्य प्रदेश राजस्थान सीमा विवाद पर नीमच कलेक्टर दिनेश जैन कहते हैं कि मध्य प्रदेश की सीमा से लगे राजस्थान के तीन जिले चित्तौडग़ढ़, भीलवाड़ा और प्रतापगढ़ से जमीन का विवाद है। बॉर्डर एरिया की सड़कों को लेकर भी विवाद है। इस कारण से सड़कों का निर्माण नहीं हो पा रहा है। इसमें गांव से गांव को जोडऩे वाली सड़कें अधिक हैं।

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