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पत्रकार तरुण आत्महत्या मामले में एम्स ट्रॉमा सेंटर के चिकित्सा अधीक्षक हटाए गए


नयी दिल्ली । राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कोरोना का इलाज करा रहे पत्रकार तरुण सिसोदिया आत्महत्या मामले में एम्स ट्रॉमा सेंटर के चिकित्सा अधीक्षक को शुक्रवार रात हटाया गया।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। श्री हर्षवर्धन ने कहा, “कोरोना से संक्रमित पत्रकार तरुण सिसोदिया के आत्महत्या मामले में एम्स ट्रॉमा सेंटर के चिकित्सा अधीक्षक को तत्काल हटाने का निर्देश दिया गया है।”

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “पत्रकार तरुण के आत्महत्या मामले की जांच के लिए गठित की गयी चार सदस्यीय जांच समिति ने आज अपनी रिपोर्ट पेश की। समिति को तरुण की मृत्यु में किसी भी गलत इरादे के सबूत नहीं मिले हैं। इसके अलावा समिति को कोविड-19 के उपचार प्रोटोकॉल में भी कोई खामी नजर नहीं आई है।”

उन्होंने कहा, “एम्स प्रशासन में उचित बदलाव के सुझाव के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश दिया गया है। इस मामले पर मुझे 27 जुलाई से पहले रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है।”

दरअसल, पत्रकार तरूण की मौत में कुछ और तथ्य सामने आ रहे हैं। पता चला है कि कोरोना पॉसिटिव होने और एम्स में दाखिल होने के बाद भी वह वहां से रिपोर्ट कर रहा था। उसने एम्स में चल रही कुछ संदिग्ध गतिविधियों को सामने लाने की कोशिश की। एक वीडियो बनाया। इसके बाद उसे बिना आवश्यकता के आईसीयू में भेज दिया गया, ताकि वह अपने पास मोबाइल न रख सके। उससे पहले ही उसने व्हाट्स अप चैट में अपने मर्डर की आशंका व्यक्त की थी।

सवाल कई उठ रहे हैं, मसलन उसे सांस लेने में कठिनाई नहीं थी तो उसे आईसीयू में क्यों भेजा गया, उससे उसका मोबाइल छीनने के प्रयास क्यों हुए, उससे उसके परिवार से बात कराने का प्रबंध क्यों नहीं किया गया, वह 5 दिन से बाहरी लोगों से संपर्क साधने का प्रयास करता रहा, पर वह विफल रहा, क्यों, वह ग्राउंड फ्लोर के आईसीयू में भर्ती था तो चौथी मंजिल तक कैसे पहुंचा या किसने पहुंचाया, क्या कोरोना पॉसिटिव मरीज आईसीयू से कहीं भी जाने लायक रहता है या उसे जाने दिया जाता है।

सवाल और भी हैं, उसके मित्र मिलकर उसे न्याय दिलाने के लिए और उसके परिवार को कोरोना योद्धा जैसा सम्मान दिलाने के लिए एकजुट होकर इस वक्‍त दिल्‍ली में प्रयास कर रहे हैं, एम्स ट्रॉमा सेंटर के चिकित्सा अधीक्षक हटाए जाने को इसी दिशा में पहला कदम माना जा सकता है।

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