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वायु प्रदूषण की वजह से भी कम होता है पुरूषों में स्‍पर्म काउंट, शोध में खुलासा

वायु प्रदूषण (Air pollution) न सिर्फ हमारी शारीरिक क्षमता को प्रभावित कर रहा है बल्कि इससे पुरुषों की प्रजनन क्षमता (Fertility) भी प्रभावित हो रही है। डॉक्टर एनडीटीवी की खबर के मुताबिक निवर्सिटी ऑफ मैरीलेंड स्कूल ऑफ मेडिसिन (University of Maryland School of Medicine) के शोधकर्ताओं ने दावा किया है वायु प्रदूषण पुरुषों में स्पर्म काउंट घटा रहा है। शोध के मुताबिक वायु प्रदूषण के कारण दिमाग के अंदर सूजन हो जाती है जिसका सीधा संबंध पुरुषों की प्रजनन क्षमता से जुड़ा हुआ है।

यह अध्ययन इंवायरोनमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव (Environmental Health Perspectives) में प्रकाशित हुआ है। वैज्ञानिक पहले से जानते थे कि तनावपूर्ण अवस्था में दिमाग का सीधा संबंध प्रजनन अंगों (reproductive organs ) से है, जो प्रजनन क्षमता और स्पर्म काउंट को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए भावनात्मक तनाव महिलाओं में पीरियड्स (periods) को अनियमित कर देता है। हालांकि पहली बार इस बात का पता चला है कि वायु प्रदूषण (air pollution) के कारण जब दिमाग में सूजन हो जाती है तो इससे पुरुषों में स्पर्म काउंट(sperm count) भी घट जाता है।



इलाज खोजने में लगे वैज्ञानिक
प्रमुख शोधकर्ता और यूएमएसओएम में मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर ने ज़ेकांग यिंग (Zhekang Ying) ने कहा कि हम शोध कर रहे हैं क्या प्रदूषण से फर्टिलिटी (Fertility) पर असर का इलाज खोजा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमने अपने शोध में देखा कि जब चूहों के दिमाग में सूजन से प्रभावित हुए अंगों को हटा दिया, तो स्पर्म काउंट में जो गिरावट थी, वह कम हो गई। यिंग ने कहा कि हम ऐसी थेरेपी विकसित करने में लगे हुए है जिसमें वायु प्रदूषण के कारण प्रभावित हो रही प्रजनन क्षमता को पहले से ठीक किया जा सके।

90 प्रतिशत आबादी पर वायु प्रदूषण का खतरा
यूएमएसओएम में कार्डियोलॉजी रिसर्च के निदेशक चार्ल्स होंग (Charles Hong) ने बताया कि इस नतीजों का प्रभाव सिर्फ प्रजनन क्षमता पर ही नहीं पड़ा है बल्कि डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज आदि पर भी पड़ने की आशंका है। ये सब वायु प्रदूषण के कारण दिमाग में सूजन के प्रभाव से हो सकते हैं। रिसर्च पेपर में कहा गया है कि दुनिया की लगभग 92 प्रतिशत जनसंख्या ऐसे क्षेत्रों में रहती है जहां 2.5 माइक्रोमीटर से छोटे पार्टिकल्स वायु में सूक्ष्म कणों के रूप में मौजूद है।ये विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित न्यूनतम सुरक्षा मानकों से अधिक है।ये सूक्ष्म कण कार, फैक्टरी, जंगल में आग, लकड़ी जलने इत्यादि से निकलते हैं। ये पार्टिकल्स शरीर के लिए बहुत नुकसानदेह है। यही पार्टिकल्स प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर रहे हैं।

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