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अमेरिका-चीन में टकराव, US ने एफ-22 रैप्टर्स को जापान के कडेना एयर बेस पर किया तैनात

टोक्यो (tokyo) । अमेरिका और चीन (America and China) के बीच तनाव अब टकराव की ओर बढ़ रहा है। इससे निपटने के लिए अमेरिकी वायु सेना (US Air Force) ने अपने एफ-22 रैप्टर को चीनी मुख्य भूमि से करीब एक एयरबेस पर तैनात करना शुरू कर दिया है। अमेरिकी वायु सेना ने वर्जीनिया के फर्स्ट फाइटर विंग लैंगली स्थित एफ-22 रैप्टर्स को जापान के कडेना एयर बेस (Kadena Air Base) पर तैनात किया है। कडेना ओकिनावा द्वीप पर है, जो मुख्य भूमि चीन से सिर्फ 650 किलोमीटर और ताइपे, ताइवान से इतनी ही दूरी पर है। F-22 लड़ाकू विमान ज्यादातर अमेरिकी मुख्यभूमि में तैनात रहते हैं।

कडेना एयर बेस कहां है
कडेना एयर बेस का निर्माण 1945 में जापानियों द्वारा किया गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, इसे अमेरिकी सेना ने अपने कब्जे में ले लिया। 1 नवंबर 1954 को, 18वां फाइटर-बॉम्बर विंग दक्षिण कोरिया के ओसान एयर बेस से आया और तब से वहीं है। जनवरी 1961 में आइजनहावर के राष्ट्रपति कार्यकाल के अंत में अमेरिका ने प्रशांत महासागर में लगभग 1700 परमाणु हथियार तैनात किए थे, इनमें से 800 कडेना एयरबेस पर मौजूद थे। कोरियाई और वियतनाम युद्धों के दौरान इस बेस पर बड़ी परिचालन कार्रवाई देखी गई थी। वियतनाम के बाद, इसका उद्देश्य चीन से खतरों के खिलाफ ताइवान की वायु रक्षा में सहायता करना था।


बेहद महत्वपूर्ण है कडेना एयरबेस
कडेना एयरबेस में 12,000 फुट लंबे दो रनवे हैं और इसकी अत्यधिक रणनीतिक स्थिति के कारण इसे अक्सर “प्रशांत का कीस्टोन” कहा जाता है। यह चीन के प्रमुख आर्थिक केंद्र शंघाई से सिर्फ 770 किमी दूर है। विंग के पास लंबे समय से दो F-15C/D ईगल स्क्वाड्रन, एक KC-135R/T स्ट्रैटोटैंकर यूनिट, एक E-3B/C सेंट्री यूनिट और एक HH-60 पेव हॉक्स रेस्क्यू स्क्वाड्रन है। यह विशेष अभियानों के लिए MC-130J कमांडो II और CV-22B ऑस्प्रे भी संचालित करता है। पैट्रियट PAC-III AD यूनिट उत्तर कोरिया की सामरिक बैलिस्टिक मिसाइलों से बेस की रक्षा के लिए वहां मौजूद है। लंबे समय तक यहां से एसआर-71 विमान संचालित होते रहे हैं।

कडेना एयरबेस पर नए हथियार तैनात कर रहा अमेरिका
2023 में अमेरिकी वायु सेना ने दो F-15C/D स्क्वाड्रन को वापस लेना शुरू कर दिया और अस्थायी रूप से उन्हें F-16, F-35 और अब F-22 सहित अन्य लड़ाकू विमानों से बदल दिया। 2023 के अंत में, ऐसी भी रिपोर्टें थीं कि अमेरिकी वायु सेना कडेना में बोइंग F-15EX ईगल II जेट को स्थायी रूप से तैनात करेगी। इस बेस पर 20000 से अधिक अमेरिकी सैनिक अपने परिवारों के साथ रहते हैं। इसके साथ यहां जापानी कर्मचारी भी भारी संख्या में काम करते और रहते हैं। यह पूर्वी एशिया में सबसे बड़ा और सबसे सक्रिय अमेरिकी वायु सेना बेस है। हर महीने, 650 विमान आते और जाते हैं, जो 12,000 से अधिक यात्रियों और लगभग 3,000 टन कार्गो को ले जाते हैं।

कडेना एयरबेस पर हमला कर सकता है चीन
अप्रैल 2024 के अंत में कडेना में एफ-22 की तैनाती को लड़ाकू विमानों का नियमित रोटेशन कहा गया था। स्क्वाड्रन में लगभग 20 एफ-22 रैप्टर्स शामिल हैं। पहली बार, F-22 समुद्र के पार अपने PLA वायु सेना (PLAAF) समकक्षों, J-20 “माइटी ड्रैगन” पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान का सामना कर सकता है। युद्ध की स्थिति में चीनी सेना कडेना सहित पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी ठिकानों पर हमला कर सकती है, जो उसकी कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल और क्रूज मिसाइल हमले की सीमा के भीतर है।

एफ-22 रैप्टर
लॉकहीड मार्टिन एफ-22 रैप्टर एक अमेरिकी डबल इंजन वाला स्टील्थ पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। यह यूएसएएफ के एडवांस्ड टैक्टिकल फाइटर (एटीएफ) कार्यक्रम का एक उत्पाद था और इसे एयर सुपीरियॉरिटी फाइटर जेट के रूप में डिजाइन किया गया था। हालांकि, इसमें जमीनी हमले, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और सिग्नल खुफिया क्षमताएं भी शामिल हैं। F-22 का आकार स्टील्थ और एरोडॉयनेमिक प्रदर्शन को जोड़ता है। इसका रडार क्रास सेक्शन दुनिया में मौजूद किसी भी लड़ाकू विमान की अपेक्षा सबसे कम है। इस कारण एफ-22 को दुश्मन आसानी से डिटेक्ट नहीं कर पाता है। इसने 27 साल पहले सितंबर 1997 में अपनी पहली उड़ान भरी थी, और दिसंबर 2005 में यूएसएएफ में शामिल किया गया था।

J-20 “माइटी ड्रैगन”
चेंगदू J-20 “माइटी ड्रैगन” एक चीनी ट्विनजेट स्टील्थ पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। इसे सटीक मारक क्षमता वाले हवाई श्रेष्ठता सेनानी के रूप में डिजाइन किया गया है। विमान के तीन प्रकार हैं: प्रारंभिक उत्पादन मॉडल J-20A, थ्रस्ट-वेक्टरिंग J-20B, और दो सीटों वाला विमान J-20S है। विमान ने जनवरी 2011 में अपनी पहली उड़ान भरी और पहली J-20 लड़ाकू इकाई का गठन फरवरी 2018 में किया गया। इससे चीन ऑपरेशनल स्टील्थ विमान उतारने वाला दुनिया का दूसरा और एशिया का पहला देश बन गया। आज तक लगभग 240 J-20 का निर्माण किया जा चुका है।

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