विदेश

Covaccine-Sputnik V पर अमेरिका को भरोसा नहीं , यहां पढ़ने के लिए दोबारा लगानी होगी वैक्सीन

नई दिल्ली। भारत की कोवैक्सीन(Covaccine) और रूस की स्पुतनिक-V (Sputnik V) को अमेरिका असरदार नहीं मानता है। ये दोनों वैक्सीन ले चुके छात्रों को यदि यहां पढ़ना है तो उन्‍हें फिर से वैक्सीन लगवानी होगी।
भारत में रहने वालीं 25 साल की मिलोनी दोषी कोलंबिया यूनिवर्सिटी (Columbia University) से मास्टर्स डिग्री करना चाहती हैं. मिलोनी भारत बायोटेक(Bharat Biotech) की तैयार की गई कोवैक्सीन (Covaccine) की दोनों डोज ले चुकी हैं. लेकिन दिक्कत ये है कि कोवैक्सीन(Covaccine) को अभी तक डब्ल्यूएचओ (WHO)से मंजूरी नहीं मिला है. इसलिए कोलंबिया यूनिवर्सिटी की ओर से उनसे कहा गया है कि जब वो कैम्पस में आएंगी तो उन्हें दोबारा वैक्सीन लगवानी होगी. हालांकि, अभी इस बारे में कोई भी एक्सपर्ट या डॉक्टर ये नहीं कह रहे हैं कि दोबारा वैक्सीन लगवाना कितना सेफ होगा.
मिलोनी दोषी अकेली नहीं हैं जिनसे ऐसा कहा गया है, बल्कि ऐसे लाखों छात्राएं और छात्र हैं जो कोवैक्सीन और स्पुतनिक-V की दोनों डोज ले चुके हैं, लेकिन उनसे अमेरिका आने पर फिर से वैक्सीन लगवाने को कहा गया है. ऐसे में छात्रों में अब ये डर भी सता रहा है कि दो अलग-अलग वैक्सीन लगवाना कितना सेफ होगा?



एक रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च से लेकर अब तक अमेरिका की 400 से ज्यादा यूनिवर्सिटी ऐसा आदेश जारी कर चुकी हैं जिसमें ऐसे स्टूडेंट्स को दोबारा वैक्सीन लगवाने को कहा गया है जिन्होंने कोवैक्सीन और स्पुतनिक-V लगवाई है. ऐसा इसलिए क्योंकि इन दोनों ही वैक्सीन को अभी तक डब्ल्यूएचओ की तरफ से एप्रूवल नहीं मिला है.
डब्ल्यूएचओ की ताजा लिस्टिंग बताती है कि अब तक 8 वैक्सीन के इमरजेंसी यूज के लिए मंजूरी दी जा चुकी है. इनमें अमेरिका की तीन वैक्सीन- फाइजर-बायोएनटेक, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन के अलावा कोविशील्ड और चीन के साइनोवैक भी शामिल है. क्योंकि कोवैक्सीन और स्पुतनिक-V को अभी तक डब्ल्यूएचओ से मंजूरी नहीं मिली है, इसलिए अमेरिकी यूनिवर्सिटीज ने इन वैक्सीन को लगवा चुके छात्रों को अमेरिका आने पर दोबारा डब्ल्यूएचओ से एप्रूव्ड वैक्सीन लगवाने को कहा है.
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में एक तिहाई छात्र विदेशी हैं. यूनिवर्सिटी की चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर डोना लिन ने एनवाईटी को बताया है कि विदेशी छात्रों को डब्ल्यूचओ से एप्रूव्ड वैक्सीन लगवाने का सर्टिफिकेट पेश करने को कहा गया है.
अमेरिकी यूनिवर्सिटीज के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर भारतीय छात्रों पर पड़ने की आशंका है. ऐसा इसलिए क्योंकि हर साल 2 लाख से ज्यादा छात्र पढ़ने के लिए अमेरिका जाते हैं. हालांकि, पहले नंबर पर चीन है लेकिन वहां की साइनोवैक वैक्सीन को डब्ल्यूएचओ से एप्रूवल मिला है.
इन सबके अलावा एक सबसे बड़ी समस्या ये भी है कि अगर पहले ही कोवैक्सीन या स्पुतनिक-V की दोनों डोज ले चुके हैं तो दोबारा से दूसरी वैक्सीन लगवाना कितना सेफ होगा? इस बात का अभी कोई डेटा नहीं है. न्यूयॉर्क टाइम्स को अमेरिकी सीडीसी की प्रवक्ता क्रिस्टन नोर्डलंड ने बताया कि अभी तक दो अलग-अलग वैक्सीन की इफेक्टिवनेस को लेकर कोई स्टडी नहीं की गई है. हालांकि, वो ये सलाह जरूर देती हैं कि जो छात्र वैक्सीनेट हो चुके हैं और उन्हें फिर से डब्ल्यूएचओ एप्रूव्ड वैक्सीन लगवानी है तो कम से कम 28 दिन का गैप रखना चाहिए.

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