वाशिंगटन (Washington)। अंटार्कटिका (Antarctica) में बर्फ की चट्टान से लंदन जितना आकार का एक हिमखंड टूटकर अलग हो गया है। यह घटना रविवार की बताई जा रही है जहां हैली रिसर्च स्टेशन के पास की है। अंटार्कटिका (Antarctica) में बर्फ की चट्टान से ब्रिटेन के लंदन शहर (UK city of London) के आकार जितना एक आइसबर्ग (ice floe) टूटकर अलग हो गया है। नेशनल जियोग्राफिक की रिपोर्ट के मुताबिक, आइसबर्ग के टूटने की इस प्रोसेस को काविंग कहा जाता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार विशाल हिमखंड का आकार लगभग 600 वर्ग मील (1550 वर्ग किमी) है। रविवार को 492 फीट मोटी (150 मीटर) बर्फ की चट्टान अलग हो गया, हालांकि, यह घटना जलवायु परिवर्तन से जुड़ी नहीं है। ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे (BAS) की मानें तो वैज्ञानिकों को पहले से ही इस घटना की उम्मीद थी।
दरअसल, काविंग की प्रोसेस एकदम नेचुरल है। जब बर्फ की चट्टानें बेहद मोटी हो जाती हैं, तब ऐसा होता है। BAS अंटार्कटिका में बर्फ की चट्टानों की स्थिति की निगरानी करता है। BAS रिसर्च स्टेशन पर प्रतिदिन विशाल बर्फ की चट्टान की स्थिति की निगरानी करता है। BAS के ग्लेशियोलॉजिस्ट डोमिनिक होजसन ने बताया कि अंटार्कटिका के इस हिस्से में काविंग की घटना पिछले दो साल में दूसरी बार हुई है।
इससे पहले फरवरी 2021 में 1,270 वर्ग किलोमीटर का आइसबर्ग 150 मीटर मोटी बर्फ की चट्टान से टूटकर अलग हो गया था। इसका नाम A74 रखा गया था। BAS ने कहा कि नया हिमखंड ए 74 से थोड़ा बड़ा है। BAS ने कहा है कि नया आइसबर्ग भले ही काफी बड़ा है, लेकिन वह भी उसी दिशा में बहेगा जिसमें A74 बहा था। अभी इसका नाम नहीं रखा गया है। इसका नाम बाद में यूएस नेशनल आइस सेंटर द्वारा रखा जाएगा।
वैज्ञानिक दशकों से अंटार्कटिका में जमी बर्फ में दरारें नोटिस कर रहे हैं। 2021 से पहले विशाल आइसबर्ग के अलग होने की घटना 1971 में हुई थी। BAS ने एक प्रेस रिलीज में बताया है कि अंटार्कटिका के वातावरण में क्या सब बदलाव आ रहे हैं, इस पर नजर रखी जा रही है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा समेत दुनिया भर के कई सैटेलाइट्स इनका एनालिसिस कर रहे हैं। BAS ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि 2015 और 2022 के बीच, खाई बढ़ती जा रही है।
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