विदेश

एक ऐसा island जहां की मिट्टी खाते है मसाले की तरह

नई दिल्ली। इस दुनिया में कई जगह ऐंसी हैं जो अपनी खूबसूरती के लिए जगजाहिर है। कई जगह पर्यटन (Tourism) के हिसाब से कई जगह खानी पीके के हिसाब से मशहूर होती हैं। दुनिया के पर्यटकों को उनकी जानकारी आमतौर पर नहीं है। इसमें ईरान (Iran) का होर्मोज द्वीप कई लिहाज से आकर्षक जिसे रेनबो द्वीप (Rainbow Island) भी कहा जाता है। इस भूभाग की खासियत इसें बिखरे हर तरह के रंग हैं जो इसे बहुत ही खूबसूरत बनाते हैं।
बता दें कि पारस की खाड़ी में स्थित इस रहस्यमयी द्वीप के पहाड़ों के अलावा खूबसूरत समुद्री किनारे एक अलग ही सुंदरता को दर्शाते हैं, लेकिन इसके अलावा एक और चीज है जो इस द्वीप को खास बनाती है। कहते हैं कि यहां की मिट्टी मसालेदार होती है और लोग इसका इस्तेमाल करते हैं।
हाल ही में बीबीसी की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि द्वीप अपने खनिज पदार्थों की वजह से भी जाना जाता है इसीलिए इसे भूगर्भशास्त्रियों का डिजनीलैंड (Geologist’s Disneyland) भी कहा जाता है, यहां जाने वाले टूरिस्ट हमेशा सलाह देते हैं कि जब भी वहां जाने का मौका मिले तो वहां की मिट्टी जरूर चखें। यह द्वीप काफी रंगीन है और यहां कई जगह नमक के टीले भी दिखाई देते हैं जिनमें शेल, मिट्टी और लौह समृद्ध आग्नेय चट्टानों की परतें (Iron Rich Igneous Rocks) पाई जाती हैं।
इस द्वीप पर 70 तरह के खनिज पाए जाते हैं लोकल गाइड्स कहते हैं कि 42 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में हर इंच की जगह की अपनी अलग कहानी है. ब्रिटिश जियोलॉजीकल सर्वे की प्रमुख भूवैज्ञानिक डॉ कैथरीन गुडइनफ जो कि पहले ईरान के साथ काम करती थीं, उनका कहना है कि करोड़ों साल पहले फारस की खाड़ी और उसके आसपास उथले सागरों में नमक की मोटी परत बन गई थी. इन परतों का धीरे धीरे आपस में टकराव हुआ और यहां की खनिज समृद्ध ज्वालामुखी धूल की परतें भी इसमें मिल गईं। जिससे यहां रंगीन भूभाग बन गया है। पहले नमक की परतें ज्वालामुखी अवसाद से ढक गईं, फिर समय के साथ नमक दरारों से ऊपर आ गया और नमक के टीले बन गए. गुडइनफ बताती हैं कि नमक की मोटी परतें जमीन में कई किलोमीटर नीचे तक धंसी हुईं हैं और फारस की खाड़ी के बड़े इलाके में फैली हैं!



इस जगह की आकृति ऐसी है, जिससे यहां बहुत खूबसरत तट, पहाड़ और गुफाएं बन गई हैं। इसीलिए होरमूज को रेनबो आइलैंड भी कहते हैं। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा द्वीप है जहां खाने योग्य पहाड़ हैं दूर-दूर से आए हुए ट्रैवलर यहां की मिट्टी को चखने की सलाह जरूर देते रहते हैं।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यहां की मिट्टी मसालों की तरह उपयोग में लाई जाती है. यहां के पहाड़ों की गीलैक नाम की लाल मिट्टी, (जोकि हीमैटाइट नाम के लौह अयस्क से बनती है), के बारे में कहा जाता है कि वह आग्नेय चट्टानों से बनी है. दिलचस्प बात है कि गीलैक का उपयोग उद्योगों के अलावा स्थानीय भोजन में मसाले के तौर पर भी किया गया जाता है. इस मसाले को लोग यहां की स्थानीय ब्रेड के साथ भी खाते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां की लाल मिट्टी को सॉस (Sauce) की तरह भी यूज किया जाता है। इस खास सॉस को सूरखा कहते हैं. खाने के अलावा भी लाल मिट्टी कई तरह से इस्तेमाल की जाती है, जैसे कि लाल मिट्टी का प्रयोग पेंटिंग, रंगरोन, कॉस्मेटिक्स और सिरेमिक आदि में किया जाता है।
माणिक लाल पहाड़ के अलावा होरमूज के पश्चिम में नमक का पहाड़ भी है। इन सबके बावजूद इस द्वीप के बारे में दुनिया के बहुत कम लोग जानते हैं। साल 2019 में यहां केवल 1800 पर्यटक ही आए थे. यहां के लोग यहां पर्यटन सुविधाएं बढ़ाने का भी प्रयास कर रहे हैं. वे इस क्षेत्र को वैश्विक स्तर की पहचान के रूप में देखना चाहते हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि दुनिया की एकमात्र जगह जहां की मिट्टी खाई जाती है अब भी लोगों के लिए अनजान है।

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