एमजीएम मेडिकल कॉलेज का दावा… ब्लड डोनरों की रिपोर्ट से हुआ खुलासा… 10 दिनों में और बढ़ी दर
इंदौर। कोरोना संक्रमण जितनी आबादी को प्रभावित करेगा, उसके मुताबिक ही हर्ड इम्युनिटी विकसित होगी। इंदौर में बीते 15 दिनों से कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है, मगर उसके साथ यह सुखद संकेत भी मिला कि 30 से 40 फीसदी इंदौर की शहरी आबादी में एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है। यह खुलासा एमजीएम मेडिकल कॉलेज ने किया है।
कुछ समय पूर्व आईसीएमआर के निर्देश पर सीरो सर्वे भी करवाया गया था, मगर तब 6 से 7 फीसदी ही एंटीबॉडी मिली थी। मगर अब मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट से यह दावा सामने आया कि तीन हजार से अधिक ब्लड डोनरों का जब कोविड एंटीबॉडी टेस्ट किया गया तो 30 से 40 फीसदी में कोरोना से लडऩे की एंटीबॉडी विकसित पाई गई। इसकी पुष्टि मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने की। वहीं कॉलेज के ट्रांसफ्यूजन मेडिसीन विभाग के एचओडी डॉ. अशोक यादव ने बताया कि रक्तदान करने के लिए आने वाले और अभी जो हम शिविर आयोजित कर रहे हैं, उसमें भी एंटीबॉडी टेस्टिंग की जाती है। सितम्बर से लेकर अभी अक्टूबर और दिसम्बर में जो टेस्ट किए गए उससे पता चलता है कि शहर की 30 से 40 फीसदी तक आबादी में एंटीबॉडी विकसित हो चुकी है, जो कि एक अच्छा संकेत भी है। डॉ. यादव के मुताबिक ब्लड डोनर का अनिवार्य रूप से यह टेस्ट करवाया जाता है और इसमें जो डोनर प्लाज्मा थैरेपी के इच्छुक हैं, उनसे कोरोना मरीजों के लिए प्लाज्मा भी लिया जाता है, क्योंकि इस थैरेपी से भी कोरोना संक्रमित मरीजों को काफी फायदा पहुंचा है। पूर्व में जहां एंटीबॉडी कम विकसित मिल रही थी, लेकिन अभी अक्टूबर अंत में और दिसम्बर के बीते दिनों में जो टेस्ट हुए उसमें अधिक लोगों में एंटीबॉडी मिल रही है। यहां तक कि बीते 5 दिसम्बर को तो किए गए 92 टेस्ट में 46 फीसदी तक एंटीबॉडी मिली है।
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