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जब ग्लोबल मंदी छाई रही…तब भारतीय अर्थव्यवस्था ने मारी छलांग, जाने बीते एक साल में क्‍या आया परिवर्तन

नई दिल्‍ली (New Delhi) । एक अप्रैल से नए वित्तीय वर्ष 2023-24 की शुरुआत हो चुकी है. वित्त वर्ष (2022-23) में कई मोर्चे पर भारत सरकार (Indian government) को खुशखबरी मिली. इस बीच सरकार ने कुछ सख्त कदम भी उठाए. बीते वित्त वर्ष रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) के बीच शुरू हुई जंग ने ग्लोबल सप्लाई चेन को बुरी तरह से प्रभावित किया, जिसकी वजह से पूरी दुनिया में महंगाई दर (inflation rate) चरम पर पहुंच गई. इसके बाद ग्लोबल मंदी की आशंका गहराने लगी. इस मुश्किल दौर में भी भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian economy) ने दम दिखाया और ब्रिटेन को पछाड़ते हुए दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गई. वित्त वर्ष 2021-22 के मुकाबले वित्त वर्ष 2022-23 में बड़े बदलाव देखने को मिले. तो चलिए ऐतिहासिक मील के पत्थरों पर एक नजर डाल लेते हैं.


दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी
आर्थिक मोर्चे पर मुश्किल हालात से गुजरते हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) ऐतिहासिक आंकड़े के पार पहुंची. भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 में ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की टॉप पांच अर्थव्यस्थाओं में अपनी जगह बनाई. भले ही दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं मंदी (Global Recession) और महंगाई (Inflation) की मार से परेशान रही हों, भारतीय अर्थव्यवस्था ने तमाम मुश्किलों के बावजूद एक बड़ा मिल का पत्थर पार किया. भारत की जीडीपी का आकार तीन ट्रिलियन डॉलर से अधिक का है.

22 फीसदी अधिक जीएसटी कलेक्शन
वित्त वर्ष 2022-23 में ग्रॉस GST का कुल कलेक्शन 18.10 लाख करोड़ रुपये हो गया. 2022-23 में ग्रॉस राजस्व पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक रहा. अप्रैल 2022 में 1.68 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी कलेक्शन अब तक सबसे अधिक कलेक्शन है. इसके बाद मार्च 2023 में GST का कलेक्शन 1.60 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े के पार पहुंचा.

डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में इजाफा
वित्त वर्ष 2022-23 में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन (Direct Tax collections) सरकार के अनुमान से अधिक रहा. वित्त वर्ष 2022-23 में नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 16.61 लाख करोड़ रुपये रहा है. वहीं, 2021-22 वित्त वर्ष में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 14.12 लाख करोड़ रुपये रहा था. इस हिसाब से 2022-23 में डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन बीते वर्ष के मुकाबले 17.63 फीसदी अधिक रहा है.

सोने की लौटी चमक
वित्तीय वर्ष FY23 में सोने की कीमतों (Gold Price) में डबल डिजिट में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. वित्त वर्ष 2022-23 में घरेलू बाजारों में सोने की कीमतें 52000 से 60000 रुपये तक पहुंचीं. यानी कीमतों में 8000 रुपये की उछाल आई और 15 फीसदी का रिटर्न गोल्ड ने दिया. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पैदा हुए जियो-पॉलिटिकल तनाव ने ग्लोबल स्तर पर महंगाई दर को बढ़ा दिया. इस वजह से पूरी दुनिया में मंदी की आशंका बढ़ गई. संकट की स्थिति को देखते हुए दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों ने सोने की खरीदारी शुरू कर दी और इसकी कीमतें चमक उठीं. भारत में सोना खरीदने की पुरानी परंपरा रही है.

रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद पूरी दुनिया की ग्लोबल सप्लाई चेन बुरी तरह से प्रभावित हुई. इस वजह से पूरी दुनिया में महंगाई दर ने जोरदार छलांग लगा दी. इस पर काबू पाने के लिए दुनिया के लगभग सभी देशों के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों में इजाफा करना शुरू कर दिया. इसके बाद से मंदी की आशंका और गहराने लगी. भारत में भी रिजर्व बैंक ने बीते वित्त वर्ष में रेपो रेट में 2.50 फीसदी का इजाफा किया है.

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