इंदौर। प्रदेश की नई आबकारी नीति कल कैबिनेट ने मंजूर कर दी, जिसमें वर्तमान ठेकेदारों को 15 प्रतिशत अधिक दरों पर आगामी वित्त वर्ष के लिए पुन: ठेके लेने की सुविधा दी गई है। गत वर्ष 10 फीसदी अधिक राशि पर ठेके नीलाम किए गए थे। इस बार 1500 करोड़ रुपए से अधिक कीमत इंदौर की 173 शराब दुकानों की हो गई है। नई आबकारी नीति में अधिक फेरबदल नहीं किया गया है। गत वर्ष 70 फीसदी दुकानें रीन्युअल के लिए तैयार होने पर आगामी वर्ष का ठेका जारी रखने की अनुमति दी गई थी। इस बार इसे 75प्रतिशत किया गया है और अगर दुकानें नीलामी से बच जाती हैं तो फिर ई-ऑक्शन के जरिए उन्हें नीलाम किया जाएगा। ड्यूटी दरों में 6 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। जबकि बीयर और वाइन की ड्यूटी यथावत रखी गई। धार्मिक और शैक्षणिक स्थलों से पूर्व की तरह ही 100 मीटर दूरी पर शराब दुकानें रहेंगी और इस साल भी कोई नई दुकान नहीं खुलेगी और अहाते भी बंद रहेंगे।
वहीं बार लाइसेंस से लेकर अन्य शर्तें-मापदण्ड भी यथावत रखे गए हैं। यानी डॉ. मोहन यादव कैबिनेट ने आबकारी नीति में अधिक फेरबदल नहीं किया। गत वर्ष इंदौर जिले की 173 देसी-विदेशी शराब दुकानों की आरक्षित कीमत 1400 करोड़ रुपए थी, जिसमें 64 समूहों में इन दुकानों की नीलामी की गई। हालांकि बाद में 413 करोड़ की 46 दुकानें जो नीलामी से बची थी उन्हें ई-टेंडरों के जरिए नीलाम किया गया। इस वर्ष चूंकि 15 प्रतिशत अधिक दर पर वर्तमान ठेकेदार को ही आगामी वर्ष के लिए भी जारी रखा जा सकेगा, जिसके चलते इंदौर जिले की शराब दुकानों की कीमत 1500 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। अब देखना यह है कि आबकारी विभाग प्रदेश का सबसे महंगा ठेका आगामी वित्त वर्ष के लिए कितने करोड़ में नीलाम करने में सफल साबित होता है। हालांकि एक बार में सभी दुकानें नीलाम नहीं होंगी और पूर्व के वर्षों की तरह घाटे वाली दुकानों की नीलाम करने में विभाग को परेशानी आएगी। गत वर्ष इंदौर में भी 147 अहाते बंद कर दिए थे। उसके चलते भी शराब दुकानों की नीलामी में परेशानी आई।
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